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“यूपी का ये शहर जल्द पछाड़ देगा नोएडा को! 5 एक्सप्रेसवे और मेट्रो-रैपिड रेल की तैयारी”

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यूपी का ये शहर नोएडा को पछाड़ने वाला है? 5 एक्सप्रेसवे और मेट्रो-रैपिड रेल का खेल बदल देगा!

सुनकर थोड़ा अजीब लगता है न? मेरठ… जी हाँ, वही ऐतिहासिक मेरठ जो अब तक नोएडा और गाजियाबाद के सामने सेकंड फिडल बना हुआ था, अब बड़ा खेल खेलने आ रहा है! सरकार ने हाल ही में जो योजनाएं पेश की हैं, उन्हें देखकर तो लगता है कि अगले 5-7 सालों में मेरठ पूरे NCR का नया चहेता बन सकता है। 5 एक्सप्रेसवे? मेट्रो-रैपिड रेल? भई, ये कोई मामूली बात तो है नहीं!

मेरठ: जहां इतिहास और भविष्य की टक्कर होने वाली है

देखिए, मेरठ हमेशा से औद्योगिक और शैक्षणिक दृष्टि से मजबूत रहा है – ये तो हम सब जानते हैं। लेकिन कनेक्टिविटी? वहाँ हमेशा से ही दिक्कत रही। अब तक तो नोएडा वाले मेरठ को ‘दूर का रिश्तेदार’ समझते थे। पर अब स्थिति बदलने वाली है। पिछले कुछ सालों में यहाँ जिस तरह के हाउसिंग प्रोजेक्ट्स आए हैं, और अब ये ट्रांसपोर्ट प्लान्स… सच कहूँ तो गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

एक्सप्रेसवे और रैपिड रेल: मेरठ की ‘हाइपरलूप’ मोमेंट?

असल में बात ये है कि ये 5 एक्सप्रेसवे मेरठ को सीधे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, हरिद्वार और बागपत से जोड़ेंगे। सोचिए, सुबह मेरठ से निकलकर दोपहर तक हरिद्वार में गंगा आरती देखना! और दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल? वो तो 60 मिनट में पहुँचा देगी। ये सब हो गया तो फिर क्या कहने!

लेकिन यहीं पर सबसे दिलचस्प बात आती है – इंडस्ट्रियल कॉरिडोर। जब कनेक्टिविटी बेहतर होगी, तो नौकरियाँ भी बढ़ेंगी। और जहाँ नौकरियाँ होंगी, वहाँ प्रॉपर्टी की डिमांड तो अपने आप बढ़ेगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बात करें तो… है न टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंट का दिलचस्प कॉम्बिनेशन?

लोग क्या कह रहे हैं? ग्राउंड रिपोर्ट

मेरठ चैंबर ऑफ कॉमर्स वाले तो मानो खुशी से उछल पड़े हैं। उनका कहना है, “ये सिर्फ सड़कें नहीं बन रहीं, बल्कि हमारे व्यापार के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं।” और रियल एस्टेट वालों की तो बात ही अलग है – “अभी निवेश करो, बाद में पछताओगे” वाली स्थिति।

सरकारी बाबू भी कम नहीं। उनका कहना है कि टास्क फोर्स बना दी गई है। पर हम सब जानते हैं न, भारत में सरकारी योजनाएँ और उनका क्रियान्वयन… खैर, उम्मीद तो अच्छी रखनी चाहिए!

आगे क्या? क्रिस्टल बॉल में झाँकते हैं

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगले 5-7 सालों में मेरठ की ग्रोथ रेट नोएडा को पीछे छोड़ सकती है। प्रॉपर्टी प्राइस? वो तो बढ़ेंगे ही। पर सवाल ये है कि क्या ये सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगा? अगर ठीक से इम्प्लीमेंट हो गया, तो मेरठ सच में उत्तर भारत का नया इकोनॉमिक हॉटस्पॉट बन सकता है।

तो क्या मेरठ अब सिर्फ 1857 की क्रांति और कैंट के लिए नहीं, बल्कि अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रोथ के लिए जाना जाएगा? वक्त ही बताएगा। पर एक बात तो तय है – अगर आप निवेश की सोच रहे हैं, तो मेरठ पर नज़र ज़रूर रखिएगा। कहीं ऐसा न हो कि ट्रेन छूट जाए!

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1. यूपी का कौन सा शहर नोएडा को टक्कर देने वाला है?

अरे भाई, सीधी सी बात है – गाजियाबाद! वो भी पूरे जोश के साथ। सच कहूं तो पिछले कुछ सालों में यहां जो काम हुए हैं, वो देखकर लगता है कि अब नोएडा को पीछे छोड़ने का वक्त आ गया है। 5 नए एक्सप्रेसवे? मेट्रो-रैपिड रेल? ये सब मिलकर इसे नया बिजनेस हब बना देंगे। और हां, ये कोई खाली दावा नहीं – प्रोजेक्ट्स पर काम भी चल रहा है!

2. गाजियाबाद में कौन-कौन से एक्सप्रेसवे बन रहे हैं?

देखिए, यहां तो जैसे एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जा रहा है! पक्की जानकारी के मुताबिक पांच प्रपोज्ड एक्सप्रेसवे हैं:
– दिल्ली-मेरठ (जो पहले से ही काम शुरू हो चुका है)
– गाजियाबाद-बुलंदशहर
– गाजियाबाद-अलीगढ़
– गाजियाबाद-हापुड़
– और सबसे दिलचस्प – गाजियाबाद-नोएडा

सोचिए, जब ये सब बन जाएंगे तो कनेक्टिविटी कितनी बेहतर हो जाएगी! आप दिल्ली से मेरठ तक बिना ट्रैफिक के पहुंच जाएंगे। बस… थोड़ा सब्र रखना होगा।

3. क्या गाजियाबाद में मेट्रो और रैपिड रेल की सुविधा आ रही है?

अरे हां भई! ये तो बिल्कुल कन्फर्म है। दिल्ली मेट्रो का एक्सटेंशन तो है ही, साथ में RRTS (यानी रैपिड रेल) भी आ रही है। मतलब क्या? सुबह का ऑफिस टाइम हो और आप गाजियाबाद से दिल्ली पहुंच जाएं बिना ट्रैफिक स्ट्रेस के। एक तरह से देखा जाए तो ये NCR की कनेक्टिविटी को ही नया शेप दे देगा। लेकिन… इम्प्लीमेंटेशन में देरी न हो जाए, यही डर है!

4. गाजियाबाद का इंफ्रास्ट्रक्चर नोएडा से बेहतर कैसे होगा?

असल में बात ये है कि गाजियाबाद में सिर्फ एक्सप्रेसवे और मेट्रो ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ चल रहा है। नए इंडस्ट्रियल पार्क्स? हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट? है। रोड नेटवर्क का अपग्रेडेशन? वो भी चल रहा है।

और सबसे बड़ी बात – प्रॉपर्टी रेट्स! नोएडा के मुकाबले यहां अभी भी काफी कम हैं। मतलब समझे? बेहतर इंफ्रा के साथ-साथ जेब पर भी कम दबाव। लेकिन याद रखिए, ये सब तभी कामयाब होगा जब सब कुछ टाइम पर पूरा हो। वरना… आप समझ ही गए होंगे!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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