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अमेरिका ने भारत-रूस दोस्ती पर जताई नाराजगी, 500% टैक्स बिल से क्या होगा हम पर असर?

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अमेरिका को भारत-रूस दोस्ती पच नहीं रही? 500% टैक्स वाले बिल से हम पर क्या गुजरेगी?

अमेरिकी सरकार ने तो हद ही कर दी है! उन्होंने हाल में एक नया बिल पेश किया है – नाम है “Sanctioning Russia Act of 2025”। असल में, इसके तहत रूस से तेल या फिर कोई भी सामान खरीदने वाले देशों पर 500% का अतिरिक्त टैक्स लगेगा। सोचिए, ये कितना बड़ा शुल्क है! और समस्या ये है कि भारत तो रूस से बड़ी मात्रा में तेल लेता है। तो अब सवाल ये है कि क्या ये बिल हमारी जेब पर भारी पड़ेगा? क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो हमारी ऊर्जा सुरक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था तक पर बुरा असर पड़ सकता है।

पूरा माजरा क्या है? यूक्रेन वॉर से जुड़ी है ये पेंच

देखिए, यूक्रेन वॉर शुरू होने के बाद से पश्चिमी देश रूस को घेरने में लगे हैं। पर हमारा भारत? हमने तो अपना फैसला लिया – रूसी तेल खरीदना जारी रखा। और सच कहूं तो ये समझदारी भरा कदम था। क्यों? क्योंकि रूस का तेल सस्ता था और भरोसेमंद स्रोत भी। लेकिन अमेरिका को ये बात रास नहीं आई। पहले तो उन्होंने हल्के-फुल्के दबाव बनाए, लेकिन अब ये 500% टैक्स वाला बिल? ये तो सीधे-सीधे आर्थिक युद्ध की तरह है!

500% टैक्स का मतलब क्या? आम आदमी की जेब पर क्या असर?

अगर ये बिल पास हो गया तो? तब तो हमें रूसी तेल पर भारी-भरकम टैक्स चुकाना पड़ेगा। और इसका सीधा असर? पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने लगेंगे! महंगाई तो बढ़ेगी ही, साथ ही पूरी अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। अभी तक भारत सरकार ने कोई आधिकारिक बयान तो नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो अमेरिका के साथ बातचीत जारी है। वहीं दूसरी तरफ, चीन जैसे देश इस बिल को ‘आर्थिक बुलिंग’ बता रहे हैं। और सच में, ये वाकई में बुलिंग ही तो है!

क्या कह रहे हैं जानकार? राजनीति में क्या चल रहा है?

अर्थशास्त्रियों की राय? साफ है – ये बिल हमारी अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि हमें मिडिल ईस्ट (सऊदी अरब, UAE) और अफ्रीकी देशों से तेल आयात बढ़ाना चाहिए। राजनीति की बात करें तो… अरे भई, वहां तो हमेशा की तरह तू-तू मैं-मैं चल रही है! विपक्ष सरकार पर अमेरिका के आगे घुटने टेकने का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार कह रही है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। और अमेरिका में भी इस बिल को लेकर खेमेबाजी चल रही है – कुछ सांसद समर्थन कर रहे हैं तो कुछ चेतावनी दे रहे हैं कि इससे अमेरिका-भारत रिश्ते खराब होंगे।

तो अब आगे क्या? भारत के पास कौन से रास्ते हैं?

फिलहाल ये बिल अमेरिकी संसद में चर्चा के दौर से गुजर रहा है। अगर ये पास हो गया (जो कि होने की पूरी संभावना है), तो हमें अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव करने होंगे। एक तो ये रास्ता है कि रूस पर निर्भरता कम करके दूसरे देशों से तेल लेना शुरू करें। दूसरा विकल्प? अमेरिका के साथ बैठकर इस मसले को सुलझाने की कोशिश करें। सच कहूं तो ये हमारी विदेश नीति और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए बड़ी परीक्षा है। और इसका हल? बस एक ही शब्द में – सूझबूझ से काम लेना होगा!

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अमेरिका का यह 500% टैरिफ वाला बिल… सच कहूं तो मुझे लगता है कि यह सीधे-सीधे भारत-रूस के उस ‘ऑयल ब्रॉमेंस’ पर चोट करने की कोशिश है, जिससे हमारा देश पिछले कुछ सालों से काफी फायदा उठा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या अमेरिका वाकई हमें रूस से दूर कर पाएगा? देखिए, भारत ने हमेशा एक बात साफ की है – हमारी ऊर्जा सुरक्षा सबसे ऊपर। चाहे वो Iran के साथ हुआ हो या अब Russia के साथ, हमारी foreign policy में ‘राष्ट्रीय हित’ शब्द सिर्फ कागजों पर नहीं लिखा गया है।

तो अब क्या? मेरी नजर में, यहां दो चीजें एक साथ चल रही हैं। एक तरफ तो हमें अपने घर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कंट्रोल में रखनी हैं (और भाई, ये कोई मजाक नहीं है!), वहीं दूसरी तरफ अमेरिका जैसे दोस्तों के साथ रिश्ते भी बनाए रखने हैं। थोड़ा tightrope walking जैसा है, है न?

अंत में बस इतना कहूंगा – देखने वाली बात यह होगी कि Modi सरकार इस चेसबोर्ड पर कौन सा चाल चलती है। क्योंकि अगर इतिहास कुछ सिखाता है, तो वो यही कि भारत ने हमेशा ‘और-या-और’ के बजाय ‘और-और’ वाला रास्ता चुना है। थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन? बिल्कुल नहीं!

(Note: HTML

tags preserved as instructed, conversational tone with rhetorical questions, sentence fragments like “है न?”, mix of Hindi and untransliterated English terms like ‘tightrope walking’, and relatable analogies used throughout.)

अमेरिका-भारत-रूस विवाद: जानिए क्या है पूरा मामला और आपके लिए क्या मायने हैं

1. अमेरिका को भारत-रूस दोस्ती से दिक्कत क्यों है?

देखिए, अमेरिका का मूड खराब है – और वजह साफ है। भारत ने रूस के साथ जो defense deals की हैं और सस्ता oil खरीदा है, उससे अमेरिकी सरकार को चिढ़ हो रही है। असल में, वो चाहते हैं कि हम Russia की बजाय उनके और उनके दोस्तों (allies) के साथ business करें। खासकर Russia-Ukraine war के बाद तो ये मामला और भी गरमा गया है। सवाल यह है कि क्या भारत को अपने फायदे की बात छोड़कर दूसरों की बात माननी चाहिए?

2. 500% टैक्स वाली बात – ये क्या चक्कर है और आपकी जेब पर क्या असर होगा?

तो बात ये है कि अमेरिका ने Russian oil खरीदने वाले देशों पर ये नया टैक्स लगा दिया है। अब भारत ने तो रूस से oil की कुछ जबरदस्त deals की थीं – सस्ती और फायदे की। लेकिन अमेरिका को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया। नतीजा? हमारे oil imports महंगे हो सकते हैं। और अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने लगेंगे। सोचिए, आपके monthly budget पर क्या बीतेगी!

3. क्या भारत अमेरिका के इस दबाव में आएगा? या फिर अपनी राह चलेगा?

ईमानदारी से कहूं तो, भारत ने हमेशा अपनी foreign policy में independent approach अपनाया है। हमारी सरकार का पहला priority हमेशा national interest रहा है। लेकिन यहां diplomatic तरीके से चलना होगा – न तो पूरी तरह झुकना ठीक है, न ही जिद पकड़ना। एक तरफ economic relations हैं, दूसरी तरफ strategic autonomy। बैलेंस बनाना होगा।

4. आम आदमी के लिए इसका क्या मतलब है? जेब पर क्या असर?

अगर oil imports महंगे हुए (जो कि लगभग तय सी बात है), तो पेट्रोल-डीजल से लेकर LPG तक सबके दाम चढ़ेंगे। और ये तो बस शुरुआत है। अमेरिका के साथ trade relations पर भी असर पड़ सकता है। मतलब, electronics से लेकर daily use के कई products महंगे हो सकते हैं। परेशानी तो होगी – बस ये देखना है कि कितनी बड़ी। सच कहूं तो, अभी से बचत शुरू कर देनी चाहिए!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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