US और EU का नया व्यापार डील: 15% टैरिफ वाली चाय पत्ती की कहानी!
अरे भाई, अमेरिका और यूरोप वालों ने आखिरकार बैठकर कुछ तय किया है! हाल ही में हुए इस ऐतिहासिक समझौते को लेकर चर्चा तो पूरी दुनिया में हो रही है। असल में देखा जाए तो यह डील दोनों पक्षों के बीच चल रही टेंशन को कम करने वाली एक बड़ी चाल है। अब EU से अमेरिका जाने वाले ज्यादातर सामान पर 15% का टैरिफ लगेगा – यानी यूरोपीय उत्पाद अमेरिका में थोड़े महंगे होंगे। लेकिन इसके बदले में अमेरिकी कंपनियों को यूरोप के बाजार में ज्यादा आजादी मिलेगी। सच कहूं तो यह सिर्फ दोनों देशों के लिए ही नहीं, पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी बात है।
पीछे की कहानी: जब स्टील-अल्युमिनियम ने बिगाड़े थे रिश्ते
यार, पिछले कुछ सालों में US-EU के रिश्ते बिल्कुल वैसे ही थे जैसे ससुराल वाले और दामाद के! 2018 में अमेरिका ने अचानक यूरोपीय स्टील और अल्युमिनियम पर 25% और 10% के एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिए। सोचो, अगर आपके घर का किराया एकदम से 25% बढ़ जाए तो? EU ने तो गुस्से में अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी प्रतिबंध लगा दिए। इस ट्रेड वॉर का असर दोनों तरफ के उद्योगों पर पड़ा। 2021 से चल रही बातचीत अब इस डील के रूप में फल दे गई है। शुक्र है कि ये लोग समझदारी से काम ले रहे हैं!
डील की खास बातें: किसे मिला क्या?
अब जरा इस डील के मसालेदार पहलुओं पर नजर डालते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह कि EU के एक्सपोर्ट्स पर 15% टैरिफ लगेगा – जो कि पहले के मुकाबले कम है। वहीं अमेरिकी कंपनियों को यूरोप में ज्यादा मौके मिलेंगे। स्टील और अल्युमिनियम सेक्टर के लिए नए नियम बनाए गए हैं जो पुराने झगड़ों को सुलझाएंगे। और हां, carbon intensive उत्पादों को लेकर भी दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। मतलब यह कि पर्यावरण का भी ख्याल रखा गया है। कुल मिलाकर एक बैलेंस्ड डील लगती है, है न?
किसको पसंद आया, किसको नहीं?
इस डील पर सबकी अपनी-अपनी राय है। अमेरिकी सरकार तो मानो खुशी से उछल पड़ी है – उनका कहना है कि यह अमेरिकी workers और businesses के लिए फायदेमंद है। व्हाइट हाउस वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि इससे मिडिल क्लास को फायदा होगा। EU के नेता भी संतुष्ट दिख रहे हैं, उन्हें लगता है कि इससे रिश्ते मजबूत होंगे। लेकिन कुछ उद्योगपति अभी भी टैरिफ को लेकर चिंतित हैं। पर यार, कोई भी डील सबको पूरी तरह खुश नहीं कर सकती न?
आगे क्या? चीन और UK पर पड़ेगा असर?
अब सवाल यह है कि भविष्य में क्या होगा? एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे US-EU ट्रेड में नई जान आएगी। और तो और, यह डील चीन और UK जैसे बड़े खिलाड़ियों पर भी दबाव बना सकती है। अगले कुछ महीनों में सबकी नजर इसके इम्प्लीमेंटेशन पर होगी। क्योंकि अभी भी digital tax और aircraft subsidies जैसे मुद्दे बाकी हैं। सच बताऊं तो यह तो सिर्फ शुरुआत है!
आखिर में कहूं तो यह डील वैश्विक व्यापार के नए दौर की शुरुआत हो सकती है। हालांकि लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स अभी साफ नहीं हैं, लेकिन इतना तो तय है कि दोनों महाशक्तियों के बीच यह एक पॉजिटिव कदम है। बस, अब देखना यह है कि यह चाय कितनी गर्म रहती है!
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यूएस और ईयू की ट्रेड डील: जानिए क्या होगा असर और क्या हैं मायने?
1. असल में ये डील है क्या बला? समझिए मामला
देखिए, बात सीधी है – अमेरिका और यूरोप ने आपस में एक डील की है जिसमें टैरिफ और ट्रेड के रास्ते में आने वाली रुकावटों को कम करने की बात हुई है। अब सवाल ये कि इससे किसको फायदा? सीधा जवाब – दोनों को! बिजनेस बढ़ेगा, पैसा बनेगा। लेकिन इतना सरल भी नहीं है, क्योंकि…
2. भारत जैसे देशों के लिए क्या मतलब है ये डील?
ईमानदारी से कहूं तो हमारे लिए थोड़ी चिंता की बात है। जब अमेरिका-यूरोप एक-दूसरे से ज्यादा खरीदेंगे, तो हमारे एक्सपोर्ट्स पर दबाव बढ़ सकता है। पर इतना घबराने की बात नहीं! भारत भी तो बैठा नहीं है – हम चीन, UAE और दूसरे देशों के साथ नए डील कर सकते हैं। गेम थोड़ा मुश्किल होगा, बस।
3. क्या ये सिर्फ पैसे की बात है या और भी कुछ?
अरे नहीं! इस डील में पर्यावरण और मजदूरों के हक की बातें भी शामिल हैं। मतलब क्लाइमेट चेंज से लड़ने और अच्छी वर्किंग कंडीशन्स को लेकर भी गंभीरता दिखाई गई है। थोड़ा सराहनीय कदम है, सच कहूं तो।
4. आम आदमी को क्या मिलेगा इससे?
अच्छा सवाल! आपके और मेरे लिए क्या है इसमें? पहली बात तो शायद महंगाई थोड़ी कम हो – जब टैरिफ कम होगा तो इम्पोर्टेड चीजें सस्ती होंगी। दूसरा, नौकरियों के नए अवसर आ सकते हैं। और तीसरा… अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स आसानी से मिलेंगे। फायदे की बात है, है न?
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com