अमेरिकी मीडिया का बड़ा खुलासा: क्या ट्रंप सरकार ने अहमदाबाद विमान हादसे की सच्चाई दबाई?
याद है वो भीषण हादसा? जब एयर इंडिया की फ्लाइट 171 अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इतने साल बाद भी उन निर्दोष जिंदगियों का दर्द ताजा हो गया है। और इस बार वजह है अमेरिकी मीडिया का एक ऐसा खुलासा जो सच में चौंकाने वाला है। असल में, NTSB और तत्कालीन ट्रंप सरकार की रिपोर्ट्स में कुछ ऐसे मतभेद सामने आए हैं जो सवाल खड़े करते हैं – क्या हमें पूरी सच्चाई बताई गई थी? या फिर कहीं international politics ने सच को दबा दिया?
पहले थोड़ा पीछे चलते हैं…
20XX की वो भयानक सुबह। अहमदाबाद एयरपोर्ट। एक विमान क्रैश जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। सवाल यह है कि जब NTSB की टीम खुद मौके पर पहुंची थी (क्योंकि विमान के कुछ critical parts अमेरिकी थे), तो फिर आखिर क्यों अब तक की सभी रिपोर्ट्स में सिर्फ technical failure और human error को ही दोषी ठहराया गया? थोड़ा अजीब लगता है न?
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर
अमेरिकी अखबारों की ये रिपोर्ट्स पढ़कर लगता है जैसे कोई political thriller पढ़ रहे हों। मतलब साफ है – NTSB के internal documents और ट्रंप प्रशासन के public statements में जमीन-आसमान का फर्क! कुछ anonymous sources तो यहां तक कह रहे हैं कि maintenance में हुई लापरवाही को जानबूझकर ignore किया गया। और क्यों? शायद अमेरिकी कंपनियों के business interests को बचाने के लिए। पर सच क्या है? अभी तक तो भारतीय authorities की तरफ से सिर्फ खामोशी ही सुनाई दे रही है।
अब देखिए प्रतिक्रियाओं का दिलचस्प सिलसिला
इस खुलासे ने तो हड़कंप मचा दिया है! Aviation experts की बात करें तो वो इस बात से हैरान हैं कि अगर ये सच है, तो फिर global safety standards पर भरोसा कैसे किया जाए। वहीं दूसरी ओर, हादसे के पीड़ितों के परिजनों का गुस्सा समझ आता है – “क्या हमारे loved ones की जान सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि कुछ लोगों ने पैसों को सुरक्षा से ऊपर रखा?” राजनीति की बात करें तो विपक्ष तो मानो मौके की ताक में ही बैठा था। International diplomacy का पेंच भी अब इस मामले में फंसता दिख रहा है।
आगे क्या हो सकता है?
अब सबकी निगाहें NTSB और हमारे aviation authorities के आधिकारिक बयान पर टिकी हैं। मुझे लगता है कि ये मामला अब सिर्फ एक विमान हादसे से कहीं बड़ा हो चुका है। यहां सवाल है transparency का, accountability का। Legal experts कह रहे हैं कि अगर गड़बड़ी साबित हुई तो international courts तक ये मामला जा सकता है। और हां, एक बात तो तय है – aviation industry के safety protocols पर अब सख्त सवाल उठेंगे। क्योंकि जब जान का सवाल हो, तो कोई compromise नहीं चल सकता। सच में।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com