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अमेरिका के ईरान पर हमले का कानूनी पहलू: क्या यह वैध है या असंवैधानिक?

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अमेरिका ने ईरान पर मारी मिसाइलें – कानूनी तौर पर सही या गलत?

अरे भाई, अमेरिका वालों ने तो ईरान पर जमकर हवाई हमले कर दिए! लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में आता है? वैसे तो अमेरिका अपने हर एक्शन को “आत्मरक्षा” कहकर जस्टिफाई करता आया है… पर क्या सच में यही सच है? मैं तो यही कहूँगा कि चाय की चुस्की लेते हुए इस पूरे मामले को समझने की कोशिश करते हैं।

आत्मरक्षा का हक़ या फिर ज़्यादती? समझिए पूरा मामला

देखिए, UN चार्टर का आर्टिकल 51 तो देशों को आत्मरक्षा का अधिकार देता है, लेकिन सिर्फ तभी जब सीधा हमला हो चुका हो। यहाँ तो मामला ही अलग है। आजकल तो खतरे भी नए-नए आने लगे हैं – साइबर अटैक, proxy wars, ड्रोन स्ट्राइक… इन सबके चलते देश “pre-emptive self-defence” के नाम पर कुछ भी करने लगे हैं। पर सच पूछो तो, कानून में इसकी कोई मंजूरी नहीं है।

और हाँ, अमेरिका-ईरान का यह झगड़ा कोई नया तो है नहीं। सालों से चल रहा है यह सिलसिला – nuclear deal टूटा, तेल टैंकरों पर हमले हुए, ड्रोन स्ट्राइक हुई… अब तो मामला इतना बिगड़ गया कि अमेरिका ने सीधे एक्शन लेने में ही भलाई समझी।

दुनिया की क्या राय? UN में हंगामा!

अमेरिका का कहना है कि यह तो बस ईरानी आतंकवादियों के खिलाफ “जवाबी कार्रवाई” थी। लेकिन UN सुरक्षा परिषद में सब एकमत नहीं हो पाए। कानून के जानकार तो यहाँ तक कह रहे हैं कि अमेरिका ने “principle of proportionality” को ताक पर रख दिया। मतलब यह कि जवाबी कार्रवाई उतनी ही होनी चाहिए जितनी मार खाई हो।

दुनिया की प्रतिक्रिया? बँटी हुई। ईरान तो इसे “अवैध हमला” बता रहा है। रूस-चीन UN चार्टर की बात कर रहे हैं। European Union ने तो बिल्कुल ही अलग राग छेड़ दिया – उनका कहना है कि बातचीत से हल निकालो भाई!

आगे क्या? ICJ तक पहुँच सकता है मामला

अब तो यह भी हो सकता है कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) तक पहुँच जाए। अगर हमले को गलत ठहराया गया तो अमेरिका पर प्रतिबंध भी लग सकते हैं। पर असली चिंता तो मध्य पूर्व की स्थिरता को लेकर है – यह तनाव और कितने नए संघर्षों को जन्म देगा?

सच कहूँ तो, यह पूरा मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – क्या आत्मरक्षा के पुराने नियम आज के जमाने में भी कारगर हैं? जब तक इस बहस का कोई हल नहीं निकलता, दुनिया को ऐसे हमलों के नैतिक पहलुओं पर भी सोचना होगा। वैसे मेरी निजी राय? यह सब कुछ ज्यादा ही जटिल होता जा रहा है…

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Source: The Hindu – International | Secondary News Source: Pulsivic.com

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