us tariff impact on india gdp growth rating agency warning 20250808143050148307

“रेटिंग एजेंसी की बड़ी चेतावनी! अमेरिकी टैरिफ से भारत की विकास दर होगी 6% पर सिमट, जानें पूरा मामला”

रेटिंग एजेंसी ने दी चौंका देने वाली चेतावनी! क्या अमेरिकी टैरिफ भारत की ग्रोथ को 6% पर ला देगा?

अरे भाई, Moody’s ने तो आजकल एक ऐसी रिपोर्ट जारी की है जिसने सबकी नींद उड़ा दी। असल में बात ये है कि अमेरिका अगर भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो हमारी GDP ग्रोथ सीधे 6% तक गिर सकती है। सुनकर डर लगता है न? और तो और, Moody’s का कहना है कि अगर टैरिफ 50% तक पहुँच गया तो इसी साल ग्रोथ में 0.30% की गिरावट आ सकती है। ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जब हमारी अर्थव्यवस्था कोरोना के बाद उबरने की कोशिश कर रही है। सोचिए, जैसे कोई बीमार व्यक्ति को और मार पड़े वाली स्थिति!

पूरा मामला क्या है?

देखिए, अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ की लड़ाई कोई नई नहीं है। पिछले कुछ सालों से ये तनाव चल ही रहा था। लेकिन अब अमेरिका ने स्टील, एल्युमिनियम और दूसरे उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। Moody’s का मानना है कि इससे हमारे निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा – खासकर IT, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर। और भई, ये तीनों सेक्टर तो हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं! निर्यात का बड़ा हिस्सा और लाखों नौकरियां इन्हीं पर टिकी हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

Moody’s की रिपोर्ट में कुछ डरावने आंकड़े सामने आए हैं:
GDP ग्रोथ में 0.30% तक की कमी
• अगर टैरिफ 50% होता है तो ग्रोथ 6% पर अटक सकती है
• ये तो सरकार के 7%+ के लक्ष्य से काफी नीचे है

सबसे मजेदार (या चिंताजनक?) बात ये है कि सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। नतीजा? बाजारों में हड़कंप मचा हुआ है।

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

अब सवाल ये उठता है कि इस स्थिति में क्या किया जाए? एक्सपर्ट्स की राय है कि भारत को अपने घरेलू बाजार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। साथ ही अमेरिका के अलावा दूसरे देशों के साथ भी व्यापार बढ़ाना होगा। FICCI और CII जैसे उद्योग संगठन तो बिल्कुल परेशान हैं – उनका कहना है कि इससे निर्यात और रोजगार दोनों पर असर पड़ेगा। राजनीति की बात करें तो विपक्ष सरकार पर जमकर हमला कर रहा है। उनका आरोप है कि सरकार ने अमेरिका के साथ व्यापारिक रणनीति में गलती की है।

आगे का रास्ता क्या है?

तो अब क्या होगा? देखिए, सरकार के पास कुछ विकल्प हैं:
1. अमेरिका के साथ जल्द वार्ता करना
2. निर्यात को बढ़ावा देने वाली नई योजनाएं लाना
3. यूरोप और मिडिल ईस्ट जैसे नए बाजार तलाशना

लेकिन असली समाधान तो लंबे समय का है – ‘आत्मनिर्भर भारत’ को सच में अमल में लाना होगा। हमें अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ानी होगी।

आखिर में, Moody’s की ये चेतावनी हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। ग्रोथ, रोजगार, उद्योग – सब पर असर पड़ेगा। लेकिन मेरा मानना है कि हर संकट में एक अवसर छिपा होता है। अगर सरकार और उद्योग मिलकर सही कदम उठाएं, तो हम इस मुश्किल घड़ी से भी बाहर निकल सकते हैं। वैसे भी, भारत ने पहले भी ऐसी चुनौतियों का सामना किया है न?

यह भी पढ़ें:

अमेरिकी टैरिफ और भारत की GDP: क्या हमारी ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी धक्का?

अरे भाई, अमेरिका वाले फिर से अपने टैरिफ का डंडा घुमा रहे हैं। और हमारी GDP? उसका क्या होगा? आइए बात करते हैं बिना किसी जटिल इकोनॉमिक्स की भाषा के – जैसे दोस्तों के बीच चाय की चुस्कियों के साथ होती है।

1. GDP ग्रोथ पर कितना बड़ा धब्बा लगेगा?

देखिए, रेटिंग एजेंसियां तो कह रही हैं 6% तक की गिरावट आ सकती है। पर असल सवाल ये है – क्या ये आंकड़ा सच में डरावना है? एक तरफ तो हां, क्योंकि एक्सपोर्ट्स पर सीधा असर पड़ेगा। लेकिन दूसरी तरफ… हमारी घरेलू मांग (domestic demand) अभी भी मजबूत है। तो पूरी तस्वीर उतनी काली नहीं जितनी दिख रही।

2. कौन-कौन से सेक्टर्स रोने लगेंगे?

सच कहूं तो IT और फार्मा वालों को तो बुरी तरह छींटे पड़ने वाले हैं। सोचिए – ये सेक्टर्स अमेरिका को सालाना लाखों करोड़ का सामान भेजते हैं! टेक्सटाइल वालों की भी हालत खस्ता होगी। पर एक अच्छी बात? हमारे स्टार्टअप्स और MSMEs पर असर कम होगा। छोटी राहत!

3. सरकार के पास कोई जादू की छड़ी है?

जादू की छड़ी तो नहीं, लेकिन कुछ चालें जरूर हैं। नए ट्रेड डील्स की बात चल रही है – अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ। घरेलू मांग बढ़ाने के लिए भी कुछ प्लान्स हैं। पर सवाल ये कि क्या ये कदम समय रहते काम कर पाएंगे? वो तो वक्त ही बताएगा।

4. क्या हम अकेले हैं इस मुसीबत में?

बिल्कुल नहीं! चीन तो पहले से ही टैरिफ की आग में झुलस रहा है। यूरोप को भी नुकसान होगा। पर हमारी मुश्किल थोड़ी ज्यादा है – क्योंकि हमारी इकोनॉमी का एक बड़ा हिस्सा एक्सपोर्ट्स पर निर्भर करता है। मगर डरने की बात नहीं – भारत ने पहले भी ऐसे संकटों का सामना किया है।

तो कुल मिलाकर? स्थिति गंभीर है, लेकिन नाउम्मीदी की कोई बात नहीं। जैसा कि हमारे दादाजी कहते थे – “हर मुश्किल के बाद आसानी जरूर आती है।” सच नहीं लगता? पर इतिहास गवाह है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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