अमेरिका ने स्विट्ज़रलैंड के सोने पर भारी टैरिफ लगाया – बाजारों में खलबली मच गई!
अरे भाई, अमेरिका ने तो एक ऐसा बम फोड़ दिया है जिसने पूरे वैश्विक bullion market की नींद ही उड़ा दी। सोचो, स्विट्ज़रलैंड से आने वाली हर 1 किलो सोने की bar पर 15-20% का अतिरिक्त चार्ज! ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। असल में देखा जाए तो ये कदम न सिर्फ स्विस निर्यात को झटका देगा, बल्कि पूरी दुनिया में सोने की कीमतों को हिलाकर रख देगा। और हम भारतीय? हमारे लिए तो ये और भी बड़ी मुसीबत है – दिवाली और शादियों का सीजन आने वाला है ना?
पर ये सब हुआ क्यों? थोड़ा पीछे चलते हैं…
देखिए, स्विट्ज़रलैंड तो सोने का बादशाह है – साल में अरबों डॉलर का सोना यहाँ से दुनिया भर में जाता है। लेकिन अमेरिका के साथ इनके रिश्ते पहले से ही कुछ खट्टे-मीठे चल रहे थे। Intellectual property से लेकर banking regulations तक – बहस के कई मुद्दे थे। और अब? अमेरिका अपना trade deficit कम करने के चक्कर में स्विस सोने पर भारी-भरकम टैरिफ लगा बैठा। मजे की बात ये कि ये कोई पहला मामला नहीं है – चीन के साथ भी तो यही हुआ था ना?
तुरंत असर: बाजारों में भूचाल आ गया!
USTR (अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय) का कहना है कि ये “राष्ट्रीय हित” में जरूरी था। पर असल में? स्विट्ज़रलैंड के लिए ये बड़ा झटका है – अमेरिका उनका सबसे बड़ा ग्राहक है। और तो और, इस खबर के आते ही global markets में सोने की कीमतों ने डगमगाना शुरू कर दिया। Market analysts की राय है कि अगर और देश भी इसी रास्ते पर चल पड़े, तो सोने का पूरा अंतरराष्ट्रीय व्यापार ही उलट-पुलट जाएगा। सच कहूँ तो, ये सिर्फ टैरिफ नहीं, एक बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत हो सकती है।
दुनिया क्या कह रही है? मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ
Financial experts की चिंता साफ दिख रही है – भारत और चीन जैसे देश जहाँ सोने की भूख ही अलग है, वहाँ supply chain बुरी तरह प्रभावित होगी। स्विस सरकार ने बयान जारी किया है कि वो “गंभीरता से विचार” कर रहे हैं। लेकिन असली मज़ा तो भारतीय Jewelers Association के बयान में है – उनकी चिंता साफ है: “अगर सोना महंगा हुआ, तो दिवाली और शादियों में गहनों की बिक्री पर क्या बीतेगी?” सच में, हम भारतीयों के लिए ये सिरदर्द से कम नहीं है!
आगे क्या? कुछ अंदाज़ा, कुछ अटकलें
ईमानदारी से कहूँ तो, ये सिर्फ शुरुआत है। दो संभावनाएँ दिख रही हैं: या तो अमेरिका-स्विट्ज़रलैंड नई बातचीत शुरू करेंगे, या फिर दूसरे देश भी अपनी trade policies बदलने लगेंगे। कुछ investors तो यहाँ तक कह रहे हैं कि लोग सोना छोड़कर U.S. Treasury bonds या cryptocurrency की ओर भाग सकते हैं। पर एक बात तय है – अगले कुछ हफ्तों में जैसे-जैसे असर साफ होगा, तस्वीर और भी स्पष्ट होगी।
फिलहाल तो पूरी दुनिया यही देख रही है कि क्या ये नया टैरिफ युद्ध का पहला शॉट साबित होगा, या फिर दोनों देश किसी समझौते पर पहुँच जाएँगे। पर हम भारतीयों को तो बस इतना सोचना है – इस साल दिवाली पर सोना खरीदने का बजट बढ़ाना पड़ेगा क्या?
अमेरिका का स्विट्ज़रलैंड के सोने पर टैरिफ – क्या ये आपके गहनों को महंगा कर देगा?
1. अमेरिका ने स्विट्ज़रलैंड के सोने पर टैरिफ लगाया… पर क्यों?
असल में बात ये है कि अमेरिका अपने घरेलू gold market को बचाना चाहता है। ठीक वैसे ही जैसे हम भारतीय ‘मेड इन इंडिया’ को प्राथमिकता देते हैं। टैरिफ लगाकर वो स्विस gold को महंगा कर रहा है, ताकि उनकी खुद की gold industries को फायदा हो। चालाकी है, है न?
2. 1 किलो सोने की बार – क्या अब ये और भी महंगी हो जाएगी?
देखिए, सीधी सी बात है – जब import पर टैक्स बढ़ेगा तो कीमत तो बढ़ेगी ही! स्विट्ज़रलैंड से आने वाला gold महंगा होगा, और ये असर पूरी दुनिया में दिखेगा। भारत में भी। हालांकि, असर कितना होगा? वो तो समय ही बताएगा।
3. क्या भारतीय बाजार पर पड़ेगा असर? सच्चाई जान लीजिए
ईमानदारी से कहूं तो हां, असर पड़ेगा। पर सीधा नहीं, थोड़ा घुमा-फिराकर। जब global prices बढ़ेंगी, तो हमारे यहां भी दाम चढ़ेंगे। खासकर क्योंकि हमारा 90% से ज्यादा सोना import पर निर्भर है। एक तरफ तो हमारे पास gold reserves हैं, लेकिन दूसरी तरफ import पर निर्भरता… समस्या यहीं है।
4. स्विट्ज़रलैंड की अर्थव्यवस्था: क्या ये टैरिफ उनके लिए बड़ा झटका होगा?
सुनिए, स्विट्ज़रलैंड gold export में टॉप पर है। अब अमेरिका जैसा बड़ा ग्राहक अगर उनके सामने दीवार खड़ी कर दे तो? साफ है कि demand कम होगी। और जब export घटेगा तो economy पर दबाव तो पड़ेगा ही। पर ये भी याद रखिए – स्विट्ज़रलैंड के पास हमेशा से ही अपने निवेशकों को खुश रखने के तरीके होते हैं। देखना ये है कि वो इस बार क्या चाल चलते हैं!
एक बात और – क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल कितना सोना खरीदा जाता है? लगभग 800-900 टन! तो अब समझिए कि global prices का हम पर क्या असर पड़ता होगा। सोचने वाली बात है…
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com