वंदे भारत ट्रेनों की स्पीड कम क्यों? रेल मंत्री का जवाब और असली वजह
अरे भाई, क्या आपने भी नोटिस किया कि हमारी शान वंदे भारत ट्रेनें पहले जैसी तेज़ नहीं दौड़ रही? मुझे तो पिछले दिनों एक दोस्त ने पूछा – “यार, ये नई ट्रेन वाला मज़ा कहाँ गया?” तो सच्चाई ये है कि संसद में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद इसकी वजह बताई है। और सुनकर आपको हैरानी होगी – असल में ट्रैक की हालत, पुराने सिग्नल सिस्टम और कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से स्पीड कम करनी पड़ रही है। ऐसा नहीं कि ट्रेन कमजोर है, बल्कि रास्ता ही अभी तैयार नहीं!
याद है न वो दिन जब वंदे भारत को ‘गेम चेंजर’ बताया जा रहा था? 180 km/h की रफ्तार का वादा, वो भी भारतीय रेलवे में! लेकिन अब सच्चाई ये है कि ज़्यादातर रूट्स पर ये अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही। थोड़ा disappointing लगता है न? पर सोचिए, अगर आपकी नई फ़रारी को पुरानी गली में दौड़ाने लगें, तो क्या होगा? कुछ वैसा ही हाल है।
मंत्री जी ने कुछ दिलचस्प बातें बताईं:
– कुछ जगहों पर सुरक्षा को देखते हुए जानबूझकर स्पीड कम रखी गई है
– मौसम की मार भी पड़ रही है
– सिग्नल सिस्टम अपग्रेड हो रहा है… पर धीरे-धीरे
अच्छी खबर? 2024 तक बड़े रूट्स पर काम पूरा होने का दावा है। लेकिन यार, हम भारतीयों को तो ‘कल करेंगे’ वाली आदत पता ही है। क्या पता कब तक इंतज़ार करना पड़े!
लोग क्या कह रहे? यात्री तो खुश नहीं, पर समझ रहे हैं। एक्टिविस्ट चिल्ला रहे हैं – “पहले इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करो!” विपक्ष वालों को तो मौका मिल ही गया सरकार को घेरने का। पर सच पूछो तो, ये सिर्फ़ एक ट्रेन का मामला नहीं। ये तो हमारे देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर की कहानी है – नए सपने, पुरानी चुनौतियाँ।
तो क्या उम्मीद करें? अगर सच में 2024 तक वादा पूरा होता है, तो शायद हमें असली वंदे भारत का स्वाद मिले। वरना… खैर, भारतीय रेलवे और देरी? कोई नई बात तो है नहीं! 😉
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तो देखिए, वंदे भारत ट्रेनों की स्पीड कम करने के पीछे कोई बड़ा स्कैंडल तो नहीं है। असल में बात बस इतनी सी है – Technical और Safety के नियमों को फॉलो करना ज़रूरी था। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा फैसला? लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जो बताया, उससे साफ पता चलता है कि यह यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों के Long-Term Performance को ध्यान में रखकर लिया गया है। समझदारी भरा कदम, है न?
एक तरफ तो हम सब को तेज़ ट्रेनें चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ Safety भी तो ज़रूरी है न? अभी थोड़ा सब्र रखिए… जल्द ही नई Technologies और बेहतर Infrastructure के साथ और तेज़ वंदे भारत ट्रेनें देखने को मिलेंगी। वैसे भी, धीरे चलो पर दूर तक जाना है न!
(Note: I’ve retained the original paragraph structure as requested while making the text more conversational and human-like with rhetorical questions, relatable phrasing, and natural flow.)
वंदे भारत ट्रेन की स्पीड कम होने का सच – क्या सच में यह एक बड़ी समस्या है?
वंदे भारत की स्पीड कम क्यों हुई? असल वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!
देखिए, रेल मंत्री जी ने तो संसद में safety और passenger comfort की बात की है। लेकिन हमारे सूत्रों के मुताबिक, कुछ routes पर तो track condition ऐसा है कि… अरे भई, पूछो मत! सच कहूं तो हमारी railways को अभी और upgrade की ज़रूरत है। वैसे भी, क्या जल्दबाज़ी में safety से समझौता करना ठीक होगा? बिल्कुल नहीं!
क्या फिर से तेज़ दौड़ेगी वंदे भारत? मेरा personal analysis
अब यहां मज़ेदार बात यह है कि रेलवे वाले खुद मान रहे हैं कि speed बढ़ेगी। पर सवाल यह है – कब तक? मेरे हिसाब से तो… शायद अगले 2 साल? Infrastructure upgrade होने में समय लगेगा ही। लेकिन अच्छी बात यह है कि कम से कम यह process तो शुरू हुआ है। थोड़ा patience रखना होगा!
Schedule पर असर? एक आम यात्री की perspective
अच्छा सवाल पूछा! असल में देखा जाए तो timetable adjust कर लिया गया है। मतलब? ऑफिशियली तो कोई देरी नहीं। लेकिन… हम सभी जानते हैं न कि Indian railways और timing? कभी-कभार 10-15 मिनट की देरी हो जाती है। पर यह तो हमारी आदत सी हो गई है, है न?
Current maximum speed – क्या यह वाकई कम है?
130 kmph! सुनने में भले ही कम लगे, लेकिन सच तो यह है कि हमारी 90% trains तो 110 kmph से ऊपर जाती ही नहीं। तुलना करें तो… मान लीजिए आपके पास एक Swift है और कोई कहे कि “यार 180 नहीं चलाता?” जबकि पड़ोसी तो Alto में 100 पर ही खुश है! समझे मेरा point?
एकदम सच बात? Speed कम हुई है, हां। लेकिन अंत में passenger safety ही तो मायने रखती है। है न?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com