उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या है पूरा मामला?
दोस्तों, 11 जुलाई 2024 का दिन भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ लेकर आया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया – और ये खबर ऐसी थी जिसने सबको हैरान कर दिया। असल में, उन्होंने सीधे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा पत्र सौंपा और कहा कि स्वास्थ्य कारणों से वे इस पद पर बने रहने में असमर्थ हैं। अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य की वजह है या कुछ और भी है? खैर, उन्होंने अपने पत्र में राष्ट्रपति, PM और देशवासियों को धन्यवाद दिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में ये मुद्दा गर्मा गया है।
क्या है इसकी पीछे की कहानी?
याद कीजिए, जगदीप धनखड़ ने 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था। एक तरफ तो उनका राजनीतिक करियर बहुत ही दिलचस्प रहा है – पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से लेकर Supreme Court के जाने-माने वकील तक। लेकिन दूसरी तरफ, पिछले कुछ महीनों से उनके स्वास्थ्य को लेकर अफवाहें चल रही थीं। हालांकि, कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। अब जब इस्तीफा आ गया है, तो क्या यह सच में सिर्फ स्वास्थ्य की वजह से है? कई एक्सपर्ट्स तो यही मान रहे हैं, लेकिन राजनीति में कभी-कभी चीजें वैसी नहीं होतीं जैसी दिखती हैं।
क्या कह रहा है राजनीतिक गलियारा?
देखिए, एक तरफ तो इस्तीफे की प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक थी – सीधे राष्ट्रपति को पत्र सौंपा गया। लेकिन दूसरी तरफ, “स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं” का जिक्र करने के बावजूद कोई डिटेल्स नहीं दी गईं। और यहीं से शुरू होती है राजनीति! विपक्ष कह रहा है कि सरकार को सफाई देनी चाहिए, वहीं social media पर तो हंगामा मचा हुआ है। कुछ लोग उनके योगदान को सलाम कर रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये किसी दबाव का नतीजा हो सकता है। सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा।
अब आगे क्या?
अब सबकी नजरें राष्ट्रपति मुर्मू पर हैं – वे कब तक इस इस्तीफे को स्वीकार करती हैं। और फिर तो शुरू होगी नए उपराष्ट्रपति की रेस! संविधान के मुताबिक, अगले 6 महीनों में नया चुनाव होना है। मजे की बात ये है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अब अपने-अपने उम्मीदवारों पर मंथन शुरू कर देंगे। और धनखड़ जी? अगर सच में स्वास्थ्य ही वजह है, तो क्या वे फिर कभी सार्वजनिक भूमिका में आएंगे? या यही उनके राजनीतिक सफर का अंत है?
एक बात तो तय है – यह सिर्फ एक इस्तीफा नहीं, बल्कि हमारे संविधान के लिए एक अहम पल है। सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह इस स्थिति को कैसे हैंडल करती है। और हम सबके लिए? बस इंतजार करना कि आने वाले दिनों में और क्या खुलासे होते हैं। क्योंकि राजनीति में, दोस्तों, कुछ भी अंतिम नहीं होता जब तक कि वास्तव में अंतिम न हो जाए!
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा… वाह! ये तो हाल के दिनों की सबसे चर्चित राजनीतिक खबर बन गई है। सोशल मीडिया हो या चाय की दुकान पर बहस – हर जगह इसी की चर्चा है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इसके पीछे की असली वजह क्या है? राष्ट्रपति को लिखा गया वो पत्र क्या कहता है? ये सवाल न सिर्फ राजनीति के जानकारों को, बल्कि हम जैसे आम लोगों को भी परेशान कर रहे हैं।
देखा जाए तो ये घटना एक बड़ा सबक देती है। ऐसा नहीं कि पद और प्रतिष्ठा मायने नहीं रखते… लेकिन जब सिद्धांतों की बात आती है, तो ये चीजें गौण हो जाती हैं। थोड़ा अजीब लगता है न? पर लोकतंत्र की खूबसूरती यही तो है!
असल में, मैं पिछले कुछ दिनों से इस पर गौर कर रहा हूँ। क्या आपने भी नोटिस किया कि कैसे ये एक छोटी सी खबर से राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया? बिल्कुल वैसे ही जैसे पानी में पड़ा पत्थर तरंगें पैदा कर देता है। सच कहूँ तो, ऐसी घटनाएँ हमें लोकतंत्र की ताकत याद दिलाती हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या है पूरा मामला?
1. भईया, इतने अचानक इस्तीफा क्यों?
सच कहूं तो ये सवाल अभी सबके दिमाग में घूम रहा है। जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन असली वजह? अभी तक कोई official बयान नहीं आया। मगर राजनीति की गलियों से जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक ये कुछ नए political हालात या फिर personal कारणों से हो सकता है। पर सच तो तब पता चलेगा जब खुद धनखड़ साहब कुछ कहेंगे।
2. इस्तीफा पत्र गया किसके पास?
देखिए, यहां थोड़ा संवैधानिक पाठ पढ़ना पड़ेगा। भारत के संविधान में साफ लिखा है कि उपराष्ट्रपति को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को ही देना होता है। तो धनखड़ साहब ने अपना पत्र द्रौपदी मुर्मू जी को ही भेजा है। बस, प्रोटोकॉल फॉलो किया गया है।
3. क्या सरकार हिल जाएगी इस इस्तीफे से?
अरे नहीं! ये मत सोचिए कि सरकार चलाने वाले लोग अब परेशान होंगे। असल में उपराष्ट्रपति का पद तो mostly ceremonial ही होता है – बड़े-बड़े कार्यक्रमों में चेहरा दिखाना, कुछ formalities निभाना। लेकिन… हां एक ‘लेकिन’ जरूर है। राजनीतिक गलियारों में ये मामला खूब चर्चा का विषय बनेगा। Equations बदल सकती हैं। Game थोड़ा shift हो सकता है।
4. अब आगे क्या? नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा?
तो अब प्रक्रिया शुरू होगी। संविधान के rules के मुताबिक, राज्यसभा और लोकसभा के सांसद मिलकर नए उपराष्ट्रपति को चुनेंगे। Process में कुछ वक्त लगेगा – शायद एक-दो महीने। Political circles में तो अभी से speculation शुरू हो गई होगी कि अगला चेहरा कौन हो सकता है। Interesting times ahead!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com