Operation Mahadev और विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी का दर्द: “मेरे अंदर का एक हिस्सा…”
देखिए, Operation Mahadev की सफलता ने हम सभी के दिलों में एक उम्मीद जगाई है – यह बात तो सच है। लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह उम्मीद काफी है? शहीद विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने जो कहा, वो सुनकर दिल दहल जाता है। उनके शब्दों में सिर्फ गम नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। “यह मेरे पति की शहादत का बदला ज़रूर है,” उन्होंने कहा, “लेकिन क्या सच में बदला लेने से दर्द खत्म हो जाता है?”
विनय नरवाल: एक जांबाज़ की कहानी
विनय सर… उनके बारे में क्या कहें? सच कहूं तो ऐसे जवान ही तो हैं जो हमारी नींद की कीमत पर अपनी आँखें खुली रखते हैं। उस दिन भी वो आतंकवादियों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। और हम? हम सिर्फ TV पर खबर देखकर “वाह! क्या बहादुरी है!” कहते रह जाते हैं। Operation Mahadev उन्हीं की शहादत का नतीजा था – एक ऐसी स्ट्राइक जिसने आतंकवादियों को सीधा निशाना बनाया। लेकिन क्या यह काफी है? यही सवाल हिमांशी ने उठाया है।
हिमांशी का दर्द: सिर्फ एक पत्नी नहीं, एक आवाज़
हिमांशी का वो इंटरव्यू सुनकर मैं रुक गया। उन्होंने कहा – “मेरे अंदर का एक हिस्सा शांत हुआ है…” और फिर रुककर कहा, “…लेकिन दर्द अभी भी बरकरार है।” सच बोलूं? ये शब्द सुनकर लगा जैसे किसी ने सीधे दिल में छुरा घोंप दिया हो। उन्होंने सरकार और फौज की तारीफ भी की, पर साथ ही एक सवाल भी छोड़ा – “क्या सिर्फ आतंकवादियों को मार देने से समस्या खत्म हो जाएगी?” बिल्कुल सही पूछा न? हमें जड़ से समस्या को खत्म करना होगा।
देश की प्रतिक्रिया: गर्व है, पर चिंता भी
सोशल मीडिया पर तो जैसे जश्न सा छा गया था। #OperationMahadev ट्रेंड कर रहा था, लोग शहीदों को सलाम कर रहे थे। रक्षा मंत्रालय ने इसे “दृढ़ संकल्प” बताया। विशेषज्ञ? वो थोड़ा सतर्क हैं। उनका कहना है – “यह अच्छा कदम है, लेकिन लंबी लड़ाई के लिए हमें और करना होगा।” और सच्चाई यही है न? एक लड़ाई जीत लेने का मतलब युद्ध जीत लेना नहीं होता।
आगे का रास्ता: क्या होगा अब?
सरकार ने संकेत दिया है कि और सख्त कार्रवाई होगी। शायद शहीद परिवारों के लिए नई योजनाएं आएँ। पर मेरा सवाल यह है – क्या सिर्फ योजनाएं बनाना काफी है? हिमांशी जैसे लोगों की आवाज़ सुननी होगी। उनका दर्द समझना होगा। क्योंकि जब तक आतंकवाद की जड़ें हैं, तब तक कोई भी Operation पूरी कहानी नहीं बताती।
हिमांशी ने सिर्फ अपना दर्द नहीं बांटा – उन्होंने हम सभी को एक सबक दिया है। शायद यही विनय सर और उन जैसे सभी शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी – न सिर्फ उन्हें याद करना, बल्कि उनकी शहादत को सार्थक बनाना। सोचिएगा ज़रूर…
Operation Mahadev और विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी का दर्द – आपके सवाल, हमारे जवाब
Operation Mahadev क्या था? और विनय साहब का इसमें क्या रोल था?
देखिए, Operation Mahadev कोई आम मिलिट्री ऑपरेशन नहीं था। ये वो मिशन था जहां हमारे जांबाज़ विनय नरवाल ने अपनी शहादत दी। सच कहूं तो, ऐसे लोग ही होते हैं जो देश की सरहद पर हमारी नींद सुरक्षित करते हैं। विनय साहब न सिर्फ़ एक बहादुर सैनिक थे, बल्कि एक पति, एक बेटे और करोड़ों भारतीयों के हीरो भी थे।
हिमांशी जी ने अपने दर्द को कैसे बयां किया?
अरे, सुनिए… हिमांशी जी के शब्द तो दिल को छू जाते हैं। उन्होंने कहा – “मेरे अंदर का एक हिस्सा हमेशा के लिए चला गया है”। सच बताऊं? ये सुनकर मेरी आंखें नम हो गईं। एक पत्नी का ये दर्द वो है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उन्होंने बहुत हिम्मत से अपने जज़्बात साझा किए – शहादत के बाद का सूनापन, अकेलापन, वो हर लम्हा जब पति की याद सताती है…
विनय साहब के बाद हिमांशी को किस तरह की मदद मिली?
तो सुनिए, आर्मी और सरकार ने फाइनेंशियल हेल्प तो की ही – ये उनका ड्यूटी था। लेकिन असली बात ये है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा हुआ। सोशल मीडिया पर लोगों ने जो प्यार दिया, वो किसी फंड से कम नहीं। कई लोगों ने उनकी हिम्मत की तारीफ़ भी की – और सही भी किया! मगर सच पूछो तो, कोई भी सहायता उस खालीपन को भर सकती है क्या?
हिमांशी की कहानी से हम क्या सीख सकते हैं?
असल में, ये कहानी सिर्फ़ शहादत की नहीं है। ये उन परिवारों की कहानी है जो हमारे लिए अपने चाहते खो देते हैं। एक तरफ तो देशभक्ति है, बलिदान है – लेकिन दूसरी तरफ है एक पत्नी का सूनापन, एक मां का आंसू। हमें ये समझना होगा कि फौजी सिर्फ़ यूनिफॉर्म नहीं होते – वो किसी के पिता होते हैं, बेटे होते हैं, पति होते हैं। और हाँ, अगली बार जब किसी सैनिक को देखें, तो बस एक सेल्यूट ही नहीं, एक दुआ भी करें। क्योंकि ये लोग… वाकई ख़ास होते हैं।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com