WB BJP का बड़ा दावा: क्या बंगाली प्रवासियों और रोहिंग्याओं की पहचान में जुट गए हैं कार्यकर्ता?
अरे भाई, पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया मसला गरमा गया है! BJP के नेताओं ने ऐसा दावा किया है जिस पर चर्चा तो होनी ही थी। कह रहे हैं कि उनके कार्यकर्ता सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर बंगाली प्रवासियों और रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान में जुटे हुए हैं। मतलब साफ है – अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने की कोशिश। पर सच कहूँ तो, ये मामला इतना सीधा-साधा भी नहीं है। राजनीति हो या समाज, हर तरफ बहस छिड़ गई है।
पहले समझिए पूरा कॉन्टेक्स्ट
देखिए, बंगाल में ये मुद्दा कोई नया नहीं है। बांग्लादेशी प्रवासी और रोहिंग्या मुसलमानों के बसने की बातें सालों से चल रही हैं। असल में, ये सिर्फ सीमा सुरक्षा का सवाल नहीं, बल्कि पूरे राज्य के डेमोग्राफिक्स को बदल देने वाला मामला है। केंद्र सरकार ने NRC और CAA जैसे टूल्स इस्तेमाल करने की कोशिश की, पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच तनाव का ये सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। और अब BJP का ये नया कदम… सोचने वाली बात है न?
क्या चल रहा है असल में?
तो सीन ये है कि WB BJP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनके लोग प्रशासन के साथ मिलकर एक डेटाबेस बना रहे हैं। ये डेटा बाद में केंद्र को दिया जाएगा ताकि अवैध निवासियों के खिलाफ एक्शन लिया जा सके। सुनने में तो बिल्कुल सही लगता है न? पर दूसरी तरफ, विपक्षी दलों का कहना है कि ये सब सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा है। TMC तो सीधे-सीधे आरोप लगा रही है कि BJP जानबूझकर समाज को बाँटने की कोशिश कर रही है।
किसने क्या कहा?
अब सुनिए दोनों पक्षों की बातें। BJP का कहना है – “भई, ये तो राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। अवैध घुसपैठ पर कंट्रोल जरूरी है।” वहीं TMC वाले चिल्ला रहे हैं – “ये सब दंगे कराने की साजिश है!” और हाँ, मानवाधिकार वालों ने भी अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि रोहिंग्याओं को सिर्फ सुरक्षा खतरे की नजर से देखना गलत है। सच कहूँ तो, दोनों तरफ के तर्कों में कुछ न कुछ दम तो है ही।
अब आगे क्या?
BJP तो अपने इस काम को जारी रखने की बात कर रही है। उनका प्लान है कि और डेटा जुटाकर केंद्र को सौंपा जाए। पर राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि इससे राज्य और केंद्र के बीच तनाव और बढ़ सकता है। और अगर वाकई में बड़ी कार्रवाई हुई तो? उसका असर तो पूरे समाज पर पड़ेगा ही।
आखिर में यही कहूँगा कि ये मामला सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं रहने वाला। पूरे देश में अवैध प्रवासन और सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ जाएगी। एक तरफ सरकार की चिंताएँ हैं, दूसरी तरफ मानवाधिकारों की बातें। देखना ये है कि आने वाले दिनों में ये मामला किस रुख पर जाता है। क्या आपको नहीं लगता कि ये बहुत ही नाजुक मुद्दा है?
WB BJP के दावे पर चर्चा: क्या सच में है कोई खतरा?
पहले बात करते हैं – WB BJP का दावा क्या है?
देखिए, WB BJP एक बड़ा दावा कर रही है। उनका कहना है कि बंगाली प्रवासी (Bengali migrants) रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) को यहाँ छुपने में मदद कर रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, पार्टी इसे सुरक्षा का मुद्दा बता रही है। पर सवाल यह है – क्या यह सिर्फ राजनीति है या फिर कोई सच्चाई भी है?
रोहिंग्या कौन हैं? और भला बंगाल ही क्यों?
असल में बात ये है कि रोहिंग्या म्यांमार (Myanmar) के वो लोग हैं जिन्हें वहाँ से निकाल दिया गया। बेचारों के पास जाने को जगह नहीं, तो भागकर बांग्लादेश (Bangladesh) और हमारे यहाँ आ रहे हैं। अब बंगाल की सीमा तो बांग्लादेश से लगी ही है – तो समझिए ना कि ये लोग सबसे पहले यहीं क्यों पहुँचते हैं। सीधी सी बात है न?
क्या सच में बंगाली प्रवासी मदद कर रहे हैं?
BJP वालों का तो यहाँ तक कहना है कि कुछ लोग रोहिंग्याओं को जाली दस्तावेज (fake documents) दिलवा रहे हैं। यानी भारतीय नागरिक बनाने की पूरी कोशिश चल रही है। लेकिन यहाँ दिक्कत ये है कि अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है। तो सवाल तो बनता ही है – क्या ये सिर्फ आरोप हैं या फिर कुछ सच्चाई भी है?
सरकार इस मामले में क्या कर रही है?
केंद्र सरकार तो रोहिंग्याओं को सुरक्षा खतरा मान चुकी है। उन्हें वापस भेजने की कोशिश भी हो रही है। पर दूसरी तरफ, WB BJP पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगा रही है कि वो नरमी दिखा रही है। अब यहाँ सवाल ये उठता है – क्या ये सच में सुरक्षा का मसला है या फिर राजनीति का एक नया हथियार?
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com