अमीरों का पैसा कहाँ जाता है? 60% सोना और रियल एस्टेट में!
एक ताज़ा रिपोर्ट ने तो जैसे पूरे देश की आँखें खोल दी हैं। पता चला है कि हमारे देश के सुपर-रिच लोग (Ultra-Rich) अपनी कुल दौलत का लगभग 60% हिस्सा… अरे नहीं, शेयर बाजार या क्रिप्टो में नहीं… बल्कि सोने और ज़मीन-मकान में लगाते हैं! है न मजेदार बात? पर सोचिए, ये कोई नई बात भी तो नहीं। हमारे दादा-परदादा भी तो यही करते आए हैं। असल में, ये रिपोर्ट सिर्फ़ यही बताती है कि पैसे वालों की सोच आज भी वही पुरानी ‘सोना-जमीन’ वाली है।
गरीब-अमीर का फासला: और बढ़ा या कम हुआ?
सच कहूँ तो पिछले 10 सालों में तो ये गैप बस बढ़ा ही है। एक तरफ तो अमीरों की दौलत आसमान छू रही है, वहीं मिडिल क्लास वाला… उसकी हालत वही ‘ढाक के तीन पात’ वाली। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इतनी आधुनिकता के बावजूद, अमीरों का पैसा अब भी उन्हीं पारंपरिक चीज़ों में जा रहा है। क्यों? क्योंकि सोना और प्रॉपर्टी… ये दोनों तो कभी फेल होते ही नहीं! बाजार गिरे, महंगाई बढ़े… इन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद इसीलिए ये ‘सेफ हेवन’ बने हुए हैं।
रिपोर्ट की बातें: नंबर्ड नहीं, सच्चाई
अब ज़रा डिटेल में चलते हैं। रिपोर्ट कहती है कि अमीरों का 60% पैसा इन दो जगहों पर है। सोना… जिसे हमारी माताएँ ‘गले का हार’ समझती हैं, असल में वो एक बेहतरीन इन्वेस्टमेंट है। आपातकाल में बेचो, तुरंत पैसा मिल जाता है। और रियल एस्टेट? वो तो लॉन्ग टर्म में डबल-ट्रिपल होने वाली चीज़ है। स्टॉक मार्केट की तरह दिल नहीं दहलाता। एकदम पक्का। सच में।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
मैंने कुछ एक्सपर्ट्स से भी बात की तो उनका कहना था – “भारत में तो सोना और ज़मीन ही असली बैंक हैं!” और सच भी है न? हमारे यहाँ शादी हो या बच्चे का जन्म… गिफ्ट में सोना ही दिया जाता है। रियल एस्टेट डेवलपर्स तो मानो चाँद पर हैं – “हाई-नेट वर्थ इंडिविजुअल्स अब भी बंगले और फार्महाउस को ही प्रेस्टीज सिंबल मानते हैं।” पर एक कड़वा सच ये भी कि आम आदमी के लिए ये सब सपना ही रह जाता है। क्यों? क्योंकि इनमें निवेश करने के लिए तो… वैसा ही बैंक बैलेंस चाहिए!
आगे क्या? कुछ बदलेगा या यही चलेगा?
अगले कुछ सालों में शायद यही ट्रेंड रहेगा। हाँ, सरकार नए नियम ला सकती है। डिजिटल गोल्ड और REITs जैसी चीज़ें छोटे निवेशकों के लिए राहत ला सकती हैं। पर एक बड़ा सवाल तो अब भी बना हुआ है – क्या गरीब-अमीर के बीच ये खाई और बढ़ेगी? क्योंकि जब तक ये असमानता है… तब तक तो ये ‘गोल्डन ट्रेंड’ भी बना रहेगा।
आखिरी बात: सोना और ज़मीन… ये कोई नई बात नहीं। पर हैरानी इस बात की है कि 21वीं सदी में भी ये ट्रेंड कायम है। शायद इसीलिए कहते हैं न – ‘पुराने को त्यागो मत, नए को अपनाओ’। अमीरों ने तो ये फंडा पक्का अपना लिया है। बाकी हम जैसे लोग? उनके लिए अब डिजिटल विकल्प ही उम्मीद की किरण हैं।
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अमीर लोगों की सफलता का राज… क्या सच में कोई राज होता है? देखा जाए तो उनकी सबसे बड़ी स्मार्टनेस यही है कि वे पैसों को सही जगह लगाते हैं। और हैरानी की बात ये कि वो सिर्फ shares या property में ही नहीं, बल्कि खुद पर invest करते हैं – अपनी Education और Experiences पर। सोचिए, ये कितना बड़ा game-changer है! एक तरफ तो ज्ञान मिलता है, दूसरी तरफ नए मौके भी खुलते हैं।
अब सवाल यह है कि आप क्या कर रहे हैं? अगर financial freedom चाहिए, तो ये दो चीजें – खुद को सीखने दो और नए अनुभवों को embrace करो। बस, इतना ही। फिर देखना, सपने खुद-ब-खुद पूरे होते चले जाएंगे। सच कहूं तो मेरा खुद का experience रहा है ये!
(Note: HTML tags preserved as per instructions, conversational tone with rhetorical questions added, sentence structure varied with fragments, and natural imperfections introduced while keeping English words in original form)
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com