अमृतपाल सिंह कौन है? और कैसे फौजा सिंह जैसे महान व्यक्तित्व की जान चली गई…
सच कहूँ तो ये खबर पढ़कर दिल दहल गया। 114 साल के फौजा सिंह, जिन्होंने पूरी दुनिया को दिखाया था कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, अब हमारे बीच नहीं रहे। और वो भी कैसे? एक लापरवाह ड्राइवर अमृतपाल सिंह ढिल्लों की वजह से। सोचिए, जिस शख्स ने पूरी जिंदगी लोगों को प्रेरित किया, उसकी जान एक रोड एक्सीडेंट में चली गई। पुलिस ने हालांकि 24 घंटे में ही आरोपी को पकड़ लिया, लेकिन सवाल तो बहुत सारे खड़े होते हैं न? सड़क सुरक्षा को लेकर, ड्राइविंग के तौर-तरीकों को लेकर… असल में ये सिर्फ एक हादसा नहीं, एक सिस्टम की विफलता है।
फौजा सिंह: जिन्होंने ‘नामुमकिन’ शब्द को ही मिटा दिया
अरे भई, 89 साल की उम्र में मैराथन दौड़ना शुरू करना कोई मजाक थोड़े ही है! फौजा सिंह साहब ने साबित कर दिया कि उम्र अगर दिमाग में हो तो बस… शरीर तो फॉलो करेगा ही। London Marathon हो या Toronto Waterfront Marathon – उन्होंने सबको चौंकाया। मैं तो कहता हूँ, ये सिर्फ एक धावक नहीं, एक जिंदा मोटिवेशन थे। और सच बताऊँ? उनकी मौत से सिर्फ परिवार ही नहीं, पूरा देश स्तब्ध है। क्योंकि ऐसे लोग हर सौ साल में पैदा होते हैं।
वो काला दिन: जब हुआ हादसा
कल्पना कीजिए – सुबह की ताजी हवा, अपनी रूटीन वॉक पर निकले एक बुजुर्ग… और फिर अचानक एक गाड़ी! [स्थान का नाम] में हुई इस घटना ने सचमुच रोंगटे खड़े कर दिए। सबसे हैरानी की बात? अमृतपाल सिंह ने तो बस टक्कर मारी और भाग निकला! भला ऐसा कैसे हो सकता है? खैर, CCTV और गवाहों ने पुलिस की मदद की। और पता चला कि ये कोई पहली बार नहीं था – आरोपी का पहले से ही क्रिमिनल रिकॉर्ड था। सोचकर ही गुस्सा आता है न?
पुलिस की एक्शन: देर से ही सही, लेकिन…
इस मामले में पुलिस ने कमाल का रेस्पॉन्स दिया। 24 घंटे? सच में इम्प्रेसिव है। CCTV फुटेज, गवाह, टीम वर्क – सब कुछ परफेक्ट। पुलिस वाले तो बोले, “हमने तुरंत केस लिया और आरोपी को पकड़ लिया।” लेकिन मेरा सवाल है – क्या सिर्फ पकड़ लेना काफी है? ऐसे केस में सजा कितनी जल्दी मिलेगी? ये तो वक्त ही बताएगा।
लोगों का गुस्सा और दुख: समझ आता है
फौजा सिंह के परिवार का दुख तो समझ में आता ही है। उनकी मांग पूरी तरह जायज है – सख्त से सख्त सजा! सोशल मीडिया पर भी लोग आग बबूला हैं। कोई उनके योगदान को याद कर रहा है, तो कोई रोड सेफ्टी पर सवाल उठा रहा है। सच तो ये है कि ये घटना हम सबके लिए एक वेक-अप कॉल है।
अब आगे क्या? सवाल बड़े हैं…
अमृतपाल सिंह तो जेल पहुँच गया, केस चल रहा है। पुलिस उसकी गाड़ी की स्पीड, मानसिक हालत, पुराने रिकॉर्ड – सब चेक कर रही है। वहीं फौजा सिंह के चाहने वाले उनके नाम पर एक स्मारक बनाना चाहते हैं। और हाँ, ये तो तय है कि उनकी विरासत कभी नहीं मरने वाली। लेकिन क्या हम इस घटना से कुछ सीखेंगे? क्या सड़कों पर गाड़ी चलाने का तरीका बदलेगा? ये तो भविष्य ही बताएगा। एक बात पक्की है – फौजा सिंह जैसे लोग हमेशा याद किए जाएंगे, जबकि अमृतपाल सिंह जैसे लोगों को सब भूल जाएंगे।
अंत में बस इतना कहूँगा – फौजा सिंह साहब, आपकी याद हमेशा हमारे दिलों में रहेगी। और हाँ… गाड़ी चलाते वक्त थोड़ा ध्यान रखिएगा, क्योंकि सड़क पर सिर्फ आप ही नहीं, और भी लोग होते हैं।
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com