कांवड़ यात्रा पर कांच बिछाने का मामला: LG ने जांच के आदेश दिए, पर सवाल बाकी!
दिल्ली के शाहदरा में कल एक ऐसी घटना हुई जिसने सबको झकझोर कर रख दिया। कांवड़ यात्रा के रास्ते पर कांच के टुकड़े? सच में? ये सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अगर कोई भक्त नंगे पैर चल रहा होता तो क्या होता, सोचकर ही डर लगता है। और तो और, ये मामला अब राजनीतिक आग में घी डालने का काम कर रहा है। LG साहब ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं – लेकिन असल सवाल तो ये है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों?
कांवड़ यात्रा: भक्ति या राजनीति का खेल?
देखिए, कांवड़ यात्रा हमारे देश की सबसे पवित्र परंपराओं में से एक है। गंगाजल लेकर नंगे पैर चलना… ये तो श्रद्धा की पराकाष्ठा है। लेकिन आजकल लगता है कुछ लोगों को इसी में राजनीति दिखती है। शाहदरा में कांच बिछाने वालों ने सिर्फ भक्तों के पैरों को नहीं, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की है। स्थानीय लोगों ने जब ये देखा तो उनका गुस्सा फूट पड़ा – और सही भी है!
और फिर शुरू हुआ राजनीतिक तूफान। BJP वाले तो मानो तैयार बैठे थे – “देखा, ये तो साजिश है!” वहीं AAP का कहना है कि जांच पूरी होने तक इंतज़ार करो। पर सच क्या है? ईमानदारी से कहूं तो अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, एक बात तो तय है – ये घटना किसी की सोची-समझी चाल लगती है।
LG का एक्शन मोड: अब क्या होगा?
LG सक्सेना ने तुरंत पुलिस को कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। वैसे भी, ऐसे मामलों में देरी करना मतलब आग में घी डालना होता है। प्रशासन ने तुरंत कांच साफ करवा दिए, लेकिन क्या ये काफी है? सवाल तो वहीं का वहीं खड़ा है – कौन हैं ये लोग जो धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की हिम्मत करते हैं?
कपिल मिश्रा जी तो social media पर धमाल मचा रहे हैं। उनका वीडियो viral हो रहा है जिसमें वो इसे “धर्म के साथ खिलवाड़” बता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ AAP के नेता press conference में सफाई दे रहे हैं। मजे की बात ये कि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रोटियां सेक रहे हैं। असल मुद्दा कहीं पीछे छूट गया लगता है!
लोग क्या कह रहे हैं? सुनिए जनता की आवाज
मैंने वहां के कुछ स्थानीय लोगों से बात की तो पता चला – डर तो सच में था। एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने कांपते हुए कहा, “बेटा, अगर मेरा पोता यहाँ चल रहा होता तो…” बात पूरी भी नहीं कर पाए। ये सिर्फ कांच के टुकड़े नहीं हैं, ये तो समाज की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश है।
और राजनीति? अरे भई, वो तो हर मौके पर तैयार बैठी है! BJP वाले सीधे साजिश का राग अलाप रहे हैं, वहीं AAP सरकार कह रही है कि “जल्दबाजी न करें”। मतलब साफ है – चुनावी हवाएं तेज हो रही हैं, और ये मामला तो जैसे राजनीतिक दलों के लिए वरदान साबित होगा।
अब आगे क्या? CCTV और FIR का खेल
अब तो पूरा मामला CCTV footage और FIR के चक्कर में फंस गया है। पुलिस वाले बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन क्या वाकई किसी को पकड़ पाएंगे? राजनीति के इस दौर में तो हर चीज संदेह के घेरे में है। एक तरफ तो प्रशासन निगरानी बढ़ाने की बात कर रहा है, दूसरी तरफ सवाल ये कि क्या ये घटना हमारे बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव का संकेत है?
सच तो ये है कि आजकल हर धार्मिक आयोजन राजनीति का मोहरा बनता जा रहा है। क्या हम अपनी पवित्र परंपराओं को राजनीति के दलदल से बचा पाएंगे? ये सवाल सिर्फ शाहदरा का नहीं, पूरे देश का है। फिलहाल तो बस इतना ही – जांच का इंतज़ार करो, और… सावधान रहो!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com