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2025 का दूसरा हिस्सा क्यों हो सकता है मिड-कैप स्टॉक्स के नाम? जानें मार्केट आउटलुक

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2025 का दूसरा हाफ: क्या मिड-कैप स्टॉक्स का टाइम आ गया है?

अरे भाई, 2025 के पहले छह महीनों (H1) में तो लार्ज-कैप स्टॉक्स ने धमाल मचा दिया! निवेशकों की जेबें गरम हो गईं। लेकिन अब? अब बाजार के जानकार कुछ और ही कहानी सुना रहे हैं। उनका कहना है – “अगले छह महीनों (H2) में मिड-कैप्स पार्टी करने वाले हैं।” और ये कोई हवाई बात नहीं है। तीन ठोस वजहें हैं:

मतलब साफ है – नए अवसरों का दरवाज़ा खुल रहा है।

H1 की कहानी: जब बड़े भाइयों ने मारी बाजी

इस साल की शुरुआत में तो लार्ज-कैप कंपनियों ने जैसे बाजार पर कब्ज़ा ही कर लिया था। समझिए ना, आर्थिक मंदी के डर में निवेशकों को स्थिरता चाहिए थी – और ये कंपनियां उन्हें वही दे रही थीं। लेकिन मिड-कैप्स? उनका तो बुरा हाल था। High interest rates और वैश्विक अनिश्चितता ने इन्हें पीछे धकेल दिया।

पर अब? अब तस्वीर बदल रही है। RBI ने interest rates में ढील दी है, raw materials की कीमतें स्थिर हुई हैं, और घरेलू मांग भी बढ़ रही है। मतलब? मिड-कैप्स के लिए माहौल बन रहा है।

H2 में क्यों बदल सकता है गेम?

तो सवाल यह है कि आखिर मिड-कैप्स अब अचानक इतने आकर्षक क्यों हो गए हैं? चलिए समझते हैं:

पहली वजह: कमाई (earnings) में सुधार। H2 में मिड-कैप्स की कमाई 15-20% तक बढ़ने का अनुमान है। यानी? यानी इन कंपनियों ने अब पैसा कमाना सीख लिया है।

दूसरी वजह: लार्ज-कैप्स अब बहुत महंगे हो चुके हैं। valuation देखकर तो लगता है जैसे ये स्टॉक्स अब premium segment में आ गए हैं। जबकि मिड-कैप्स में अभी भी कुछ सस्ते में अच्छे ऑप्शन मिल सकते हैं।

तीसरी वजह: बैंकिंग, ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में मिड-कैप कंपनियों से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। सच कहूं तो, इन सेक्टर्स में छोटी कंपनियां अक्सर बड़ों से ज्यादा फुर्तीला प्रदर्शन करती हैं।

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?

बाजार के बड़े खिलाड़ी भी इस ट्रेंड की पुष्टि कर रहे हैं। कुछ चालाक निवेशक तो पहले से ही मिड-कैप्स में अपनी पोजीशन बना चुके हैं। मोतीलाल ओसवाल के एक रिसर्च हेड का कहना है – “H2 में मिड-कैप्स, लार्ज-कैप्स को पीछे छोड़ देंगे।” सीधी बात ना?

वहीं एक फंड मैनेजर ने मुझे बताया – “अब जोखिम कम हो गया है, तो मिड-कैप्स में पैसा लगाने का यही सही वक्त है।” पर याद रखिए, ये सलाह नहीं है – सिर्फ जानकारी है!

तो क्या करें अब?

अगर वैश्विक आर्थिक हालात बिगड़े नहीं (और कोई बड़ा झटका नहीं लगा), तो यह मिड-कैप रैली लंबी चल सकती है। लेकिन हां – बिना सोचे-समझे कूद पड़ना खतरनाक हो सकता है। कंपनी के fundamentals और सेक्टर की हालत को अच्छी तरह चेक कर लें।

और हां, RBI की नीतियां और बजट 2025 के फैसले भी इस पूरे खेल को प्रभावित कर सकते हैं। तो इन पर भी नजर रखनी होगी।

अंत में: 2025 का दूसरा हाफ मिड-कैप स्टॉक्स के लिए उम्मीदों से भरा दिख रहा है। लेकिन बाजार है – कभी भी उल्टा मूड बना सकता है। सतर्क रहिए, सही रिसर्च कीजिए, और अगर निवेश करना ही है तो धैर्य से काम लीजिए। क्योंकि जल्दबाजी में लिया गया फैसला… वो तो आप जानते ही हैं कैसा होता है!

2025 का दूसरा हाफ और मिड-कैप स्टॉक्स – जानिए वो सब जो आप पूछना चाहते थे!

1. मिड-कैप स्टॉक्स आखिर होते क्या हैं? और 2025 के दूसरे हाफ में ये इतने चर्चे में क्यों हैं?

देखिए, मिड-कैप कंपनियां वो होती हैं जो न तो बहुत बड़ी होती हैं, न ही छोटी। यानी जिनकी मार्केट कैप ₹5,000 करोड़ से ₹20,000 करोड़ के बीच हो। अब सवाल यह है कि 2025 के दूसरे हाफ में इन पर सबकी नजर क्यों है? असल में, एक्सपर्ट्स की मानें तो इकोनॉमिक ग्रोथ के साथ-साथ सरकारी पॉलिसीज और कुछ सेक्टर्स की रिकवरी इन्हें रॉकेट की तरह उड़ा सकती है। मजेदार बात यह है कि ये छोटे दिखने वाले स्टॉक्स कई बार बड़ों को भी पछाड़ देते हैं!

2. मिड-कैप स्टॉक्स – सेफ बेट या हाई रिस्क गेम? सच्चाई जान लीजिए

ईमानदारी से कहूं तो, यह थोड़ा ट्रिकी सवाल है। एक तरफ तो इनमें ग्रोथ का पागलपन होता है – वो भी लार्ज-कैप्स के मुकाबले। लेकिन दूसरी तरफ, ये ज्यादा उछाल-कूद भी करते हैं। अगर आपका दिल मजबूत है और 5-7 साल का प्लान बना सकते हैं, तो ये आपके लिए बिल्कुल सही हो सकते हैं। पर याद रखिए – बिना रिसर्च और डाइवर्सिफिकेशन के तो FD में भी पैसा लगाना रिस्की हो सकता है। है न?

3. 2025 के सेकेंड हाफ में कौन से सेक्टर्स आएंगे धमाके के साथ?

अभी से नोट कर लीजिए! बैंकिंग, IT, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर – ये चार सेक्टर्स अगले छह महीने में धूम मचा सकते हैं। क्यों? क्योंकि सरकार की PLI स्कीम और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाएं इन सेक्टर्स को सीधे-सीधे बूस्ट दे रही हैं। और हां, छोटी-मोटी कंपनियां अक्सर इन मौकों का सबसे ज्यादा फायदा उठाती हैं। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com

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