“धनखड़ को क्यों छोड़ना पड़ सकता है सरकारी आवास? जानिए उपराष्ट्रपति के रहने की पूरी कहानी”

धनखड़ को सरकारी आवास छोड़ना पड़ेगा? जानिए क्या है पूरा मामला

दिल्ली की राजनीति में इन दिनों एक नया मुद्दा गर्म है – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सरकारी आवास। सुना है सरकार नए नियम बना रही है, और इसकी वजह से शायद धनखड़ को अपना शानदार बंगला छोड़ना पड़े। पर सवाल सिर्फ एक घर का नहीं है ना? असल में ये तो संवैधानिक पदों की इज्जत और सरकारी संसाधनों के बंटवारे पर बड़ा सवाल उठा रहा है।

वो बंगला जिसने इतिहास बनाया

याद है जब 2022 में धनखड़ उपराष्ट्रपति बने थे? उन्हें मिला था वो खास बंगला – 6, मौलाना आजाद रोड वाला। कोई साधारण सरकारी क्वार्टर नहीं, बल्कि खास तौर पर उपराष्ट्रपति के लिए बना हुआ एक आलीशान परिसर। हैरानी की बात तो ये कि इससे पहले उपराष्ट्रपति के लिए कोई फिक्स्ड आवास ही नहीं होता था! अलग-अलग समय पर अलग-अलग बंगले इस्तेमाल होते रहे। धनखड़ को ये घर मिलना एक बड़ा फैसला माना गया था। एक तरह से उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को नई पहचान मिली थी।

अब क्यों हो रही है ये उलट-पुलट?

सूत्रों की मानें तो सरकार नए नियम बना रही है। हो सकता है आवास का साइज छोटा हो जाए, या शायद लोकेशन भी बदल जाए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स तो यहां तक कह रही हैं कि धनखड़ को छोटे घर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। गृह मंत्रालय और उपराष्ट्रपति सचिवालय के बीच इसको लेकर बातचीत चल रही है। हालांकि, अभी तक कुछ ऑफिशियल नहीं हुआ है। पर राजनीतिक गलियारों में बहस जोरों पर है।

राजनीति गरमा गई!

इस मामले ने तो राजनीतिक दलों को दो गुटों में बांट दिया है। विपक्ष वालों का कहना है – “ये तो सरकार की जिद है!” उनका मानना है कि इससे उपराष्ट्रपति पद की इज्जत पर सवाल उठता है। वहीं सत्ता पक्ष के नेता कहते हैं – “ये तो नॉर्मल प्रोसेस है।” सोशल मीडिया पर भी ये टॉपिक ट्रेंड कर रहा है। कई users सवाल कर रहे हैं – क्या देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के साथ ऐसा सलूक ठीक है?

अब आगे क्या?

अगले कुछ हफ्तों में सरकार का कोई फैसला आ सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर धनखड़ को घर बदलना पड़ा, तो ये उपराष्ट्रपति पद की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा कर देगा। कुछ संवैधानिक जानकार तो इस मामले में कानूनी पहलुओं की जांच की मांग भी कर रहे हैं। देखा जाए तो ये केस सिर्फ एक घर तक सीमित नहीं है। ये तो सरकारी नीतियों, संसाधनों के इस्तेमाल और संवैधानिक पदों की गरिमा से जुड़ा बहुत बड़ा मुद्दा है। आने वाले दिनों में ये और भी चर्चा में रहने वाला है। सच कहूं तो, दिलचस्प मामला है!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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