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दुर्योधन के जन्म पर क्यों चिल्लाए सियार, उल्लू और गधे? जानें महाभारत का रहस्य!

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दुर्योधन के जन्म पर सियार, उल्लू और गधे क्यों चिल्लाए? ये सवाल आज भी क्यों अहम है?

महाभारत की कहानियों में एक ऐसा मोड़ आता है जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो पल जब हस्तिनापुर में खुशियाँ बरसनी चाहिए थीं, मगर प्रकृति ने कुछ और ही इंतजाम कर दिया। सोचिए – अचानक आसमान काला हो जाता है, तूफानी हवाएँ चलने लगती हैं, और फिर… सियार, उल्लू और गधे एक साथ चिल्लाने लगते हैं! ये कोई सामान्य घटना थी? बिल्कुल नहीं। असल में, ये तो आने वाले तूफान का पहला झोंका था।

जब प्रकृति खुद चेतावनी देने लगे

धृतराष्ट्र और गांधारी के घर जब बेटा पैदा हुआ, तो पूरा महल क्यों स्तब्ध रह गया? शास्त्र कहते हैं – सियार की आवाज़ मौत का, उल्लू की बोली अशांति का, और गधे की हँसी मूर्खता का संकेत होती है। अब सोचिए, ये तीनों एक साथ क्यों बोले? मेरी समझ से तो प्रकृति उस वक्त भी ‘red flag’ दिखा रही थी। दुर्योधन के अंदर छिपा अंधापन, जिद्द और क्रूरता – सब कुछ तो उसी पल साफ हो गया था। पर सुनता कौन?

क्या ग्रह-नक्षत्र भी चिल्ला रहे थे?

ज्योतिषियों ने बताया कि उस वक्त राहु-केतु का साया था, मंगल डूब रहा था, और शनि की नजर बुरी थी। आज की भाषा में कहें तो पूरा ‘celestial weather’ ही खराब था। विदुर जैसे समझदार मंत्री ने तो साफ कह दिया था – “ये बच्चा वंश का नाश करेगा।” लेकिन पिता का प्यार अक्सर अंधा होता है, है न? महाभारत हमें यही सिखाती है – nature के संकेतों को ignore करने की कीमत बहुत भारी पड़ती है।

आज के जमाने में इसकी क्या प्रासंगिकता?

हम modern लोग इसे अंधविश्वास कहकर टाल सकते हैं। पर एक बार गौर से सोचिए – क्या आज हमारे आसपास ‘दुर्योधन’ नहीं पैदा हो रहे? चाहे वो toxic relationships हों, bad business decisions हों या फिर social media की negativity – हर जगह warning signs तो मिलते हैं। पर हम कब तक ‘मैं समझदार हूँ’ कहकर अनदेखा करते रहेंगे? यही तो महाभारत की सबसे बड़ी सीख है।

सच तो ये है…

उन जानवरों की आवाजें कोई random noise नहीं थीं। वो तो भविष्य की आवाज थी जो हमें सुननी चाहिए थी। आज climate crisis हो या political unrest, प्रकृति हमें संकेत दे रही है। सवाल ये है कि क्या हम उन्हें पहचान पा रहे हैं? या फिर धृतराष्ट्र की तरह सच को अनसुना कर देंगे? सोचने वाली बात है। सच में।

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1. भईया, दुर्योधन के जन्म पर ये जानवर क्यों भड़क गए थे?

देखो, महाभारत की कहानी तो सबको पता है, लेकिन ये वाला हिस्सा बड़ा दिलचस्प है। जब दुर्योधन पैदा हुआ, तो सियार, उल्लू और गधा एक साथ चिल्लाने लगे। अब सवाल यह है कि ये सब क्यों? असल में, ये थे bad omens – मतलब अशुभ संकेत। जैसे आजकल हम कहते हैं “बिल्ली रास्ता काट गई, अब काम नहीं होगा”, वैसे ही उस ज़माने में इन जानवरों की आवाज़ को अशुभ माना जाता था। और सच कहूं तो, ये संकेत सही भी निकले। दुर्योधन ने आगे चलकर पूरे कुरु वंश का सत्यानाश कर दिया।

2. यार, क्या ये जानवर सच में भविष्य बता रहे थे? या फिर…

अरे नहीं भाई! symbolic था ये सब। हमारे पुराणों में जानवरों के व्यवहार को prediction का तरीका माना जाता था। सोचो न, उस ज़माने में मौसम विभाग तो था नहीं, तो लोग प्रकृति के संकेतों से ही समझते थे। उल्लू की हुआ-हुआ, गधे की ही-हाँ और सियार की हंसी… ये सब मिलकर एक ही बात कह रहे थे – “अरे भाई, ये बच्चा तो बवाल खड़ा कर देगा!”

3. इस पूरे घटनाक्रम का महाभारत में क्या रोल था?

बिल्कुल turning point था ये! एक तरफ तो ये दिखाता है कि दुर्योधन का जन्म ही अशुभ था। दूसरी तरफ… सोचो न, कितना बड़ा संयोग है कि ये भविष्यवाणी पूरी तरह सच साबित हुई। जैसे आजकल हम कहते हैं “पहला इंप्रेशन लास्ट इंप्रेशन”, वैसे ही दुर्योधन के केस में ये पहला संकेत आखिरी सच बन गया। क्या कहते हो?

4. सुनो, और कोई अजीबोगरीब चीज़ें हुई थीं क्या उस दिन?

अरे बिल्कुल! मानो प्रकृति ही चेतावनी दे रही थी। आसमान में बादल गरज रहे थे, पक्षी बेतरतीब उड़ रहे थे… और सबसे डरावना – ज़मीन काँप रही थी! ऐसा लग रहा था जैसे धरती माँ खुद कह रही हों, “अरे लोगो, ये बच्चा तो धर्म और न्याय का दुश्मन निकलेगा।” बाद के घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि ये संकेत गलत नहीं थे। सच कहूं तो, कभी-कभी प्रकृति साफ-साफ चेतावनी देती है, बस हम समझ नहीं पाते।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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