लॉक्ड शेल्फ से सबको नफरत! रिटेलर्स भी परेशान!
अरे भई, क्या आपने भी नोटिस किया है कि अब दुकानों में हर दूसरी चीज़ लॉक्ड शेल्फ में रखी होती है? सच कहूँ तो ये ट्रेंड शुरू में तो समझ आता था – चोरी रोकने के लिए ठीक है ना? लेकिन अब… हद हो गई है! ग्राहकों का तो पूरा मूड खराब हो जाता है, और दुकानदार भी इससे परेशान दिखते हैं। “Big Tech” पॉडकास्ट में हाल ही में इसी बात पर जमकर बहस हुई – क्या ये पॉलिसी अब बैकफायर कर रही है?
मामले की पृष्ठभूमि
देखिए, समस्या असल में कुछ साल पहले शुरू हुई जब शॉपलिफ्टिंग और ऑर्गनाइज्ड चोरी के केस आसमान छूने लगे। Walmart, Target जैसे बड़े खिलाड़ियों ने महंगे सामान को लॉक करना शुरू किया। शुरुआत में तो ये चाल चल गई। पर अब? मानो हर चीज़ जेल में बंद हो! टूथपेस्ट से लेकर डियोड्रेंट तक… सच में?
क्यों बढ़ रही है नाराजगी?
सोचिए जरा – आप दुकान में घुसे, जल्दी में हैं, और बस एक छोटी सी चीज़ लेनी है। लेकिन वो भी लॉक्ड शेल्फ में! अब आपको किसी स्टाफ को ढूंढना होगा, जो शायद दूसरे ग्राहकों को संभाल रहा हो। 5 मिनट का काम 15 मिनट में होता है। दिल्ली के राहुल ने तो मुझे बताया – “भाई, एक बार तो मैंने टूथपेस्ट छोड़ दिया। इंतज़ार करने का नंबर ही नहीं आ रहा था!”
और ये सिर्फ एक किस्सा नहीं है। पूरे देश से ऐसी ही आवाज़ें आ रही हैं। ग्राहकों का कहना है – “हम यहाँ खरीदारी करने आते हैं, जेल विजिट करने नहीं!”
रिटेलर्स की दुविधा
पर दुकानदारों की मजबूरी भी समझिए। मुंबई के एक स्टोर मैनेजर ने कॉन्फिडेंशियल बताया – “हमारे लिए ये दोहरी मार है। एक तरफ चोरी से लाखों का नुकसान, दूसरी तरफ गुस्सा ग्राहक।” अब कई बड़ी कंपनियाँ AI CCTV और स्मार्ट सेल्फ-चेकआउट जैसे विकल्पों पर काम कर रही हैं। शायद यही भविष्य है।
एक रिटेल एक्सपर्ट ने तो यहाँ तक कहा – “लॉक्ड शेल्फ वैसे ही हैं जैसे बुखार में पैरासिटामोल – अस्थायी आराम देते हैं, पर समस्या का समाधान नहीं।”
आगे की राह
तो अब क्या? सच तो ये है कि कोई आसान जवाब नहीं है। ग्राहक चाहते हैं आज़ादी, दुकानदार चाहते हैं सुरक्षा। शायद तकनीक ही इसका समाधान हो। पर तब तक? हमें ये तो करना ही होगा – धैर्य रखें, और… शायद ऑनलाइन शॉपिंग को थोड़ा और अपनाएँ? क्या सोचते हैं आप?
एक बात तो तय है – ये मुद्दा अभी जल्दी खत्म होने वाला नहीं। तब तक… अगली बार जब किसी लॉक्ड शेल्फ के सामने खड़े हों, तो गहरी सांस लेना याद रखिएगा!
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लॉक्ड शेल्फ क्या होता है और यह क्यों परेशानी का कारण बन रहा है?
असल में, लॉक्ड शेल्फ वो जालिम तरीका है जिसे दुकानदारों ने हमारी ‘चोरी करने की आदत’ से निपटने के लिए ईजाद किया है। मतलब, महंगे या high-demand प्रोडक्ट्स को ताला लगे कैबिनेट में रख दिया जाता है। सिद्धांत तो अच्छा है – चोरी रुकेगी। लेकिन असलियत? हर बार shampoo या deodorant के लिए staff को ढूंढो, फिर उनका mood अच्छा होना चाहिए… बस, shopping का सारा मज़ा किरकिरा!
क्या लॉक्ड शेल्फ की वजह से sales पर असर पड़ता है?
सीधा जवाब – हाँ, बिल्कुल! देखिए न, हम भारतीयों को तो ‘छूने-परखने’ में ही विश्वास है। अगर product हाथ तक नहीं लगेगा, तो खरीदेंगे कैसे? और हाँ, कई बार तो staff मिलता ही नहीं या फिर वो busy होते हैं। ऐसे में customer चुपचाप वहाँ से खिसक लेता है। मेरा एक दोस्त तो कहता है – “भाई, locked shelf देखकर मेरा shopping mood ही off हो जाता है!” सच्ची बात है।
क्या retailers लॉक्ड शेल्फ की जगह कोई और solution अपना सकते हैं?
अरे बिल्कुल! Technology के इस दौर में ताला ही एकमात्र उपाय थोड़े ही है। कुछ दुकानें तो security tags लगाकर छोड़ देती हैं – जैसे कपड़ों में लगा होता है वो। फिर CCTV cameras तो आजकल हर जगह हैं ही। और सबसे बढ़िया है AI-based monitoring… पर ये थोड़ा महंगा पड़ सकता है। एक तरीका और है – high-theft items को checkout counter के पास रख दो। Staff की नज़र तो रहेगी ही, customer को झंझट भी नहीं।
लॉक्ड शेल्फ से निपटने के लिए customers क्या कर सकते हैं?
पहली बात तो ये कि घबराएँ नहीं! Staff से help माँगने में कोई शर्म नहीं – ये उनका काम है। दूसरा, अगर बार-बार staff नहीं मिल रहा या system ही खराब लगे, तो management को feedback ज़रूर दें। वैसे, मेरा personal suggestion? जिन चीज़ों के लिए बार-बार staff की मदद चाहिए, उन्हें online ऑर्डर कर लो। घर बैठे मिल जाएगा, झंझट भी नहीं। हालाँकि… ‘छूने’ का मज़ा फिर भी नहीं आएगा न!
Source: Livemint – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com