राफेल डील पर चीन-फ्रांस की नोकझोंक: ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्या चल रहा है?
देखिए न, फ्रांस और चीन के बीच राफेल डील को लेकर जो तनातनी चल रही है, वो ऑपरेशन सिंदूर के बाद और भी गरमा गई है। असल में, चीन ने फ्रांस के आरोपों को बेबुनियाद बताकर ठुकरा दिया है – “अफवाहें फैलाने से काम नहीं चलेगा” वाला अंदाज़। और हैरानी की बात ये कि चीनी रक्षा मंत्रालय ने बीजिंग से ये बयान दिया है कि वो तो शांति के पुजारी हैं और सैन्य निर्यात में पूरी सावधानी बरतते हैं। मजे की बात ये कि ये सब उस वक्त हो रहा है जब फ्रांस और चीन के बीच छिपी हुई प्रतिस्पर्धा खुलकर सामने आ रही है।
पूरा माजरा क्या है? राफेल से सिंदूर तक की कहानी
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। ये पूरा झगड़ा तो शुरू हुआ था उस राफेल डील से, जिसमें फ्रांस ने भारत को 36 लड़ाकू विमान दिए थे। सच कहूं तो, ये डील सिर्फ विमानों की खरीद-फरोख्त नहीं थी – ये तो भारत-फ्रांस दोस्ती को और मजबूत करने वाला कदम था। और हां, चीन को इससे चिढ़ होना तो लाज़मी था। क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में इन्हीं राफेल्स का इस्तेमाल हुआ, जिससे चीन की सीमा पर हलचल बढ़ गई। चीन ने तो सीधे फ्रांस पर आरोप लगा दिए – “आपकी तकनीक से यहां अशांति फैल रही है!” वाला रिएक्शन।
ताज़ा हालात: चीन का गुस्सा और फ्रांस का खामोश रहना
अब चीन तो अपने अंदाज़ में फ्रांस को लताड़ ही रहा है – “ये सब झूठे आरोप हैं!” वाली भाषा। लेकिन फ्रांस? सुनसान! आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कह रहे, लेकिन सूत्र बताते हैं कि वो चीन के बयान से खफा हैं। और भारत? वो तो अभी तक इस मामले में ‘नो कमेंट’ मोड में है। पर डिफेंस एक्सपर्ट्स की राय है कि ये विवाद भारत-चीन के पहले से तनावपूर्ण रिश्तों में नमक-मिर्च लगा सकता है।
कौन क्या कह रहा है? सबके अपने-अपने तर्क
चीन का विदेश मंत्रालय तो अपने रिकॉर्डेड स्टेटमेंट पर अड़ा है – “हम सबकी संप्रभुता का सम्मान करते हैं, लेकिन झूठ नहीं सहेंगे।” फ्रांस के मीडिया का मानना है कि चीन की ये प्रतिक्रिया दरअसल उसकी बढ़ती चिंता को दिखाती है। और भारतीय विश्लेषक? वो तो मानते हैं कि चीन डर गया है – क्योंकि राफेल्स ने भारत की सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है। सच कहूं तो, ये सब देखकर लगता है जैसे चीन को भारत-फ्रांस की दोस्ती से चिढ़ हो रही है।
आगे क्या? तनाव बढ़ने के आसार
अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? अगर फ्रांस भारत को और सैन्य सहायता देता है, तो ये विवाद और बढ़ सकता है। भारत के लिए तो दोहरी मुसीबत है – एक तरफ सीमा विवाद, दूसरी तरफ ये डिप्लोमेटिक चैलेंज। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? ये मामला सैन्य निर्यात और भू-राजनीति पर नई बहस छेड़ सकता है।
आखिरी बात: ये पूरा विवाद साबित करता है कि आजकल डिफेंस डील्स सिर्फ पैसे का खेल नहीं हैं। इनके पीछे की राजनीति और रणनीति कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। चीन की प्रतिक्रिया से तो साफ लग रहा है कि वो भारत-फ्रांस की जोड़ी को अपने लिए खतरा मान रहा है। अब बस ये देखना है कि ये तनाव कितना बढ़ता है – और हमारे इलाके की शांति पर इसका क्या असर पड़ता है।
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तो देखा जाए तो, ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही राफेल डील को लेकर फ्रांस और चीन के बीच जो तनाव चल रहा था, उसकी असली वजह अब साफ हो गई है। और यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है, दोस्तों। असल में, यह खुलासा सिर्फ दोनों देशों की रणनीतियों को ही नहीं दिखाता, बल्कि भारत की सुरक्षा नीतियों के बारे में भी कुछ दिलचस्प सवाल खड़े करता है।
अब सोचिए न, क्या यह सब सिर्फ संयोग है? शायद नहीं।
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Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com