इजरायल ने खामेनेई को क्यों नहीं मारा? कैट्ज़ का बयान और असली वजह
शुरुआत
इजरायल और ईरान का झगड़ा कोई नई बात नहीं है। 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से ये दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। अभी हाल में इजरायल के रक्षा मंत्री योव कैट्ज़ ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने माना कि इजरायल ने ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई को टारगेट करने की प्लानिंग की थी, लेकिन ये मिशन अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। आज हम जानेंगे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और पीछे की असली वजह क्या थी।
इजरायल-ईरान टेंशन की कहानी
पुरानी रंजिश
ईरान तो इजरायल को ‘नाजायज देश’ कहता ही आया है। उनकी नीतियों और बयानों ने इजरायल के लिए हमेशा मुश्किलें खड़ी की हैं। असल में देखा जाए तो ईरान ने हमास और हिज़बुल्लाह जैसे ग्रुप्स को सपोर्ट दिया है जिन्हें इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
हाल के सालों में बढ़ती खटपट
सीरिया में चल रहे संघर्ष ने इस आग में घी का काम किया। इजरायल को ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से भी बहुत डर है। 2015 के डील के बावजूद, इजरायल को लगता है कि ईरान अब भी परमाणु हथियार बना सकता है।
कैट्ज़ के बयान की खास बातें
खामेनेई को टारगेट करने की प्लानिंग
रक्षा मंत्री कैट्ज़ ने बताया कि इजरायल ने खामेनेई को निशाना बनाने की सीरियस प्लानिंग की थी। उनके मुताबिक, इजरायल की intelligence एजेंसी मोसाद और आर्मी ने इसके लिए तैयारियां भी कर ली थीं। ये प्लान तब बनी थी जब दोनों देशों के बीच टेंशन सबसे ज्यादा थी।
प्लान फेल क्यों हुई?
कैट्ज़ ने बताया कि खामेनेई को इजरायल के इरादों का पता चल गया था। साथ ही, पॉलिटिकल और मिलिट्री चैलेंजेस भी इस मिशन में रोड़ा बनीं। इंटरनेशनल कम्युनिटी की रिएक्शन का डर भी एक बड़ी वजह थी।
इजरायल की स्ट्रैटजी और लिमिटेशन्स
इंटेलिजेंस और मिलिट्री पावर
मोसाद को दुनिया की टॉप intelligence एजेंसियों में गिना जाता है। पिछले कुछ सालों में मोसाद ने ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स को टारगेट करने जैसे ऑपरेशन्स किए हैं। 2010 में स्टक्सनेट वायरस से ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाना भी इजरायल की काबिलियत दिखाता है।
पॉलिटिकल और एथिकल इश्यूज
किसी देश के सर्वोच्च नेता को टारगेट करना इंटरनेशनल लॉ के खिलाफ माना जाता है। इसके अलावा, ईरान की तरफ से किसी धार्मिक या ऐतिहासिक प्रतिक्रिया का डर भी था।
ईरान की रिएक्शन और आगे क्या?
खामेनेई और ईरान सरकार का जवाब
ईरान ने इजरायल के खिलाफ बहुत हार्ड बयान दिए हैं। उन्होंने इजरायल को ‘आतंकवादी राज्य’ बताया है। अब देखना ये है कि ईरान सैन्य या राजनीतिक स्तर पर क्या एक्शन लेता है।
क्या आगे युद्ध की संभावना है?
दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। इजरायल और ईरान दोनों ही अपनी सेना को मजबूत कर रहे हैं। इंटरनेशनल कम्युनिटी की भूमिका अहम होगी, क्योंकि अगर यहां युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ेगा।
आखिरी बात
इजरायल की योजना और उसकी सीमाएं दोनों साफ दिख रही हैं। खामेनेई को टारगेट करने की प्लान पॉलिटिकल, मिलिट्री और एथिकल वजहों से पूरी नहीं हो पाई। ये घटना आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित कर सकती है। सवाल ये है कि क्या इजरायल को ऐसी प्लानिंग करनी चाहिए थी?
पाठकों के सवाल (FAQ)
1. क्या इजरायल ने पहले भी ईरानी लीडर्स को टारगेट किया है?
हां, इजरायल ने पहले भी कई ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स और मिलिट्री ऑफिसर्स को टारगेट किया है।
2. खामेनेई को टारगेट करने के क्या फायदे-नुकसान हो सकते थे?
फायदा ये कि ईरानी लीडरशिप को झटका लगता, लेकिन नुकसान ये कि पूरे मिडिल ईस्ट में युद्ध छिड़ सकता था।
3. दुनिया ने इस पर क्या रिएक्शन दिया?
अभी तक UN ने ही दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है, बाकी देश चुप हैं।
इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद! अगर आपके कोई सवाल हैं तो कमेंट में जरूर पूछें।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com