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ट्रंप के फैसले से NATO क्यों डरा हुआ है? यूरोप को अमेरिकी समर्थन पर सवाल!

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NATO को ट्रंप के बयानों से क्यों चिंता सता रही है? यूरोप की अमेरिका पर निर्भरता पर बहस!

परिचय

दोस्तों, क्या आपने ट्रंप के ताज़ा बयानों पर नज़र डाली? पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिर से NATO को लेकर ऐसी बातें कही हैं जिनसे पूरा यूरोप चिंता में पड़ गया है। असल में, यूरोपीय देशों की सुरक्षा का बड़ा हिस्सा अमेरिकी सैन्य समर्थन पर टिका है। आज हम इसी मुद्दे को समझेंगे – ट्रंप के फैसलों का NATO पर क्या असर होगा? यूरोप कैसे रिएक्ट कर रहा है? साथ ही, EU के ग्रीन डील को लेकर चल रही बहस पर भी बात करेंगे।

NATO की चिंता बढ़ाने वाले ट्रंप के बयान

1. “पैसे नहीं दोगे तो सहायता नहीं मिलेगी”

ट्रंप ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि NATO के सदस्य देश अपने रक्षा बजट का पर्याप्त हिस्सा नहीं दे रहे। उनका तो यहाँ तक कहना है कि अगर देश अपना हिस्सा नहीं देंगे, तो अमेरिका उन्हें सैन्य सहायता देना बंद कर सकता है। देखा जाए तो ये सीधी-सीधी धमकी है जिसने NATO को हिलाकर रख दिया है।

2. NATO में अमेरिका का दबदबा

यह कोई रहस्य नहीं कि NATO में अमेरिका का रोल सबसे बड़ा है – चाहे पैसे की बात हो या सैन्य ताकत की। यूरोप तो लगभग अमेरिकी सेना और तकनीक पर ही निर्भर है। अगर अमेरिका पीछे हटता है, तो NATO का क्या होगा? यही सवाल सबके मन में घर कर गया है।

3. यूरोप में फैली बेचैनी

ट्रंप के इन बयानों ने यूरोपीय देशों को हिलाकर रख दिया है। अब कई देश अपनी अलग रक्षा व्यवस्था बनाने के बारे में सोच रहे हैं। मतलब साफ है – NATO से अलग रास्ता अपनाने की तैयारी!

क्या यूरोप अमेरिका से आज़ाद हो पाएगा?

1. रूस का खतरा और अमेरिकी सहायता

देखिए, रूस जैसा पड़ोसी हो तो यूरोप को अमेरिकी सैन्य सहायता की ज़रूरत तो पड़ेगी ही। NATO के बिना यूरोप की हालत कमज़ोर हो जाएगी, क्योंकि ज़्यादातर देशों के पास इतने सैन्य संसाधन हैं भी नहीं।

2. फ्रांस-जर्मनी की चाल

अब फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देश अपनी खुद की रक्षा नीति बनाने में जुट गए हैं। EU ने तो एक संयुक्त सेना बनाने का प्लान तक रख दिया है। मकसद साफ है – अमेरिका पर निर्भरता कम करना!

3. 2024 का बड़ा सवाल

अगर ट्रंप 2024 में फिर से राष्ट्रपति बन गए, तो अमेरिका-यूरोप रिश्तों में भूचाल आ सकता है। और ये सिर्फ़ दो महाद्वीपों तक सीमित नहीं रहेगा – पूरी वैश्विक राजनीति पर इसका असर पड़ेगा।

EU ग्रीन डील पर जलवायु प्रमुख की चेतावनी

1. ग्रीन डील – सपना या हकीकत?

EU की ग्रीन डील जलवायु परिवर्तन से लड़ने की बड़ी योजना है। पर समस्या ये है कि कुछ देश और Industries इसे कमज़ोर करने पर तुले हुए हैं। अगर ऐसा हुआ तो EU के जलवायु लक्ष्यों को भारी झटका लगेगा।

2. “अभी नहीं तो कभी नहीं”

EU के जलवायु प्रमुख ने साफ़ कर दिया है – ग्रीन डील के नियमों को पूरी तरह लागू करना होगा। उनका कहना है कि जलवायु संकट इतना गंभीर है कि अब देरी की कोई गुंजाइश नहीं।

3. दो खेमों में बँटे यूरोप

इस मुद्दे पर यूरोपीय देश दो हिस्सों में बँटे हैं – कुछ ग्रीन डील का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे अपनी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा मानते हैं। आने वाले दिनों में इस पर और ज़ोरदार बहस होने वाली है।

आखिरी बात

ट्रंप के बयानों ने NATO और यूरोप को अस्थिरता के दौर में धकेल दिया है। यूरोप अब अपनी अलग रक्षा नीति बनाने की ओर बढ़ सकता है, जो दुनिया भर की ताकतों के समीकरण को बदल देगा। वहीं, EU की ग्रीन डील पर चल रही लड़ाई भी उतनी ही दिलचस्प है। आपकी क्या राय है? क्या यूरोप को अमेरिका से अलग होकर अपना रास्ता बनाना चाहिए? कमेंट में ज़रूर बताएं!

Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com

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