HSBC के चेयरमैन मार्क टकर को बदलना इतना मुश्किल क्यों? जानिए पूरी कहानी
HSBC, जिसे हम सभी दुनिया के टॉप बैंकों में गिनते हैं, इन दिनों एक ऐसी मुश्किल में फंसा है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सोचिए, इतने बड़े बैंक को अपने ही चेयरमैन का रिप्लेसमेंट ढूंढने में इतनी दिक्कत क्यों आ रही है? असल में, मामला इतना सिंपल नहीं है जितना लगता है। पहले के ज़माने में FTSE 100 कंपनियों के चेयरमैन की पोस्ट को ‘रिटायरमेंट के बाद की आरामदायक चेयर’ समझा जाता था। लेकिन अब? अब तो ये एक ऐसा जंग का मैदान बन चुका है जहां हर दिन नई चुनौतियां हैं। और हां, अब यहां सिर्फ अनुभव ही काफी नहीं – आपको दुनिया भर के बैंकिंग स्टॉर्म को हैंडल करने की क्षमता चाहिए!
चेयरमैन की भूमिका: पहले और अब
मार्क टकर 2017 से इस पद पर हैं और 2024 तक रहेंगे। लेकिन सच तो ये है कि पिछले 5 साल में ये पोस्ट पूरी तरह बदल चुकी है। पुराने दिनों में ये पद थोड़ा ‘लाइट’ हुआ करता था – बोर्ड मीटिंग्स अटेंड करो, कुछ सलाह दो, कंपनी की इमेज मेनटेन करो। बस! पर आज? आज तो ये एक फुल-टाइम वॉर रूम जैसा हो गया है। जियोपॉलिटिकल टेंशन से लेकर डिजिटल डिसरप्शन तक – हर चीज़ का जवाब देना होता है। ऐसे में अब ये पोस्ट उन्हीं के बस की बात है जो रणनीतिक सोच के साथ-साथ एक्शन भी ले सकते हैं। सच कहूं तो, अब ये पोस्ट सेवानिवृत्त बाबुओं के लिए नहीं, युवा और एनर्जेटिक लीडर्स के लिए है!
HSBC की परेशानी की असली वजह?
अब सवाल यह है कि HSBC को इतनी दिक्कत क्यों हो रही है? दरअसल, उन्हें एक ‘सुपरमैन’ चाहिए जो कई हुनर एक साथ रखता हो। पहला तो – ग्लोबल बैंकिंग का गहरा अनुभव। दूसरा – एशिया, खासकर चीन की बारीकियों की समझ (क्योंकि HSBC का बड़ा बिजनेस वहीं है)। और तीसरा – यूरोपियन रेगुलेटरी मामलों की जानकारी। ये तीनों क्वालिटी एक ही व्यक्ति में? वाह! मुश्किल तो होगा ही। कई लोगों ने तो इस पद के ऑफर को ठुकरा भी दिया है। कारण? जिम्मेदारी बहुत ज्यादा, सिरदर्द भी खूब! और तो और, बैंक के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर खेमेबाजी चल रही है। सच में, मामला और उलझता जा रहा है।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
इस पर विश्लेषकों की राय काफी क्लियर है – “आज चेयरमैन सिर्फ फोटो खिचवाने वाला पद नहीं रहा।” HSBC के एक वरिष्ठ ने तो यहां तक कहा – “अब हमें ऐसा लीडर चाहिए जो डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और जियोपॉलिटिकल टेंशन दोनों को हैंडल कर सके।” निवेशकों की चिंता भी समझ आती है। उनका सीधा सवाल – “अगर सही व्यक्ति नहीं मिला तो बैंक की स्थिरता पर सवाल उठेंगे।” और ये सवाल सीधे शेयर प्राइस पर असर डालेंगे। डरावना है न?
अब आगे क्या?
HSBC अगले कुछ महीनों में फाइनल कैंडिडेट्स की लिस्ट बनाने की कोशिश करेगा। पर अगर कोई सही व्यक्ति नहीं मिला तो? तो शायद मार्क टकर का कार्यकाल बढ़ाया जाए। ये केस तो दूसरी FTSE 100 कंपनियों के लिए भी एक वेक-अप कॉल है। समझ लीजिए – अब चेयरमैन की कुर्सी पर बैठना कोई आसान खेल नहीं रहा!
तल्ख सच्चाई: HSBC की ये परेशानी बताती है कि आज के बिजनेस वर्ल्ड में लीडरशिप की डिमांड पूरी तरह बदल चुकी है। अब ये पद सिर्फ इमेज का नहीं, बल्कि असली काबिलियत का प्रतीक है। जो कंपनियां इस बदलाव को समझेंगी, वही आगे निकल पाएंगी। बाकी? बाकी तो बस इतिहास की किताबों में जगह पाएंगे!
HSBC के चेयरमैन मार्क टकर से जुड़े वो सवाल जो आप पूछना चाहते थे!
1. आखिर क्यों HSBC के चेयरमैन मार्क टकर को बदलना इतना मुश्किल है?
देखिए, HSBC कोई छोटा-मोटा regional bank नहीं है – यह एक global giant है। और इसकी कमान संभालने वाले व्यक्ति का चुनाव? वो भी कोई आम बात नहीं। मार्क टकर का experience तो एक तरह से बैंक के लिए gold mine है। सच कहूं तो, उन्हें replace करना वैसा ही है जैसे किसी बड़े cricket team से suddenly Kohli को हटाना! साथ ही, regulatory approvals और board की सहमति जैसे पचड़े तो हैं ही।
2. क्या मार्क टकर के जाने के बाद HSBC का game plan बदल जाएगा?
अभी तक तो ऐसा कोई संकेत नहीं मिला। पर याद रखिए, हर नया कप्तान अपने तरीके से टीम को lead करता है। हो सकता है नया चेयरमैन कुछ fine-tuning करे, लेकिन bank का मुख्य ध्यान Asia और global markets पर ही रहेगा – यह तय है। आखिर यही तो HSBC की strength है, है न?
3. मार्क टकर के replacement में क्या-क्या qualities देखी जाएंगी?
सुनिए, यह कोई entry-level job तो है नहीं! Candidate को चाहिए:
– Banking sector का गहरा अनुभव
– Global financial markets की ABCD
– Regulations की पक्की समझ
और सबसे important – Asia markets की पूरी जानकारी। क्योंकि HSBC का ज्यादातर business इसी region में चलता है। बिना इन qualities के तो application भी नहीं भेजना चाहिए!
4. क्या मार्क टकर का जाना shareholders के लिए चिंता की बात है?
थोड़ी बहुत initial hiccups तो होंगी ही – जैसे नए कप्तान के आते ही cricket team में होती हैं। लेकिन HSBC कोई नया startup थोड़े ही है जो leadership change से हिल जाएगा! अगर successor सही निकला (और हमें उम्मीद है कि वैसा ही होगा), तो long term में shareholders को relax रहना चाहिए। एकदम सीधी सी बात है।
Source: Financial Times – Work & Careers | Secondary News Source: Pulsivic.com