“दिल्ली जाकर भी शिबू सोरेन से क्यों नहीं मिल पाईं सीता सोरेन? अस्पताल में देखकर हिम्मत नहीं हुई!”

सीता सोरेन ने दिल्ली जाकर भी शिबू सोरेन से मिलने से क्यों किया इनकार? अस्पताल में देखते ही दिल टूट गया!

दोस्तों, कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ ले आती है जहां इंसान चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता। झारखंड की राजनीति के दिग्गज शिबू सोरेन जी की हालत इन दिनों काफी नाज़ुक है, और उनके परिवार का एक दर्द भरा पल सामने आया है। उनकी बहू सीता सोरेन जब दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल पहुंचीं, तो वो अपने ससुर को उस हालत में देखकर खुद को संभाल नहीं पाईं। अस्पताल से बाहर आकर उनकी आंखों में आंसू थे – “गुरुजी को ऐसे देखकर… मैं अंदर जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाई।” सच कहूं तो, ये सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीति का एक नया अध्याय भी हो सकता है।

क्या है पूरा मामला? स्वास्थ्य, सियासत और परिवार के बीच तनाव

अब सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या? देखिए, शिबू सोरेन जी उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां सेहत साथ नहीं देती। 78 साल की उम्र में सांस की तकलीफ और कमजोरी ने उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया। वहीं दूसरी तरफ सीता सोरेन, जो खुद झामुमो की बड़ी नेता हैं, उनके और हेमंत सोरेन (मौजूदा मुख्यमंत्री) के परिवार के बीच तनाव की खबरें नई नहीं हैं। मीडिया वाले तो यहां तक कहते हैं कि पार्टी के भीतर दो धड़े बन चुके हैं। ऐसे में सीता जी का यह कदम क्या सच में सिर्फ भावनात्मक था, या फिर राजनीति का कोई खेल है? समझना मुश्किल है, लेकिन इतना ज़रूर है – ये मामला जितना साधारण दिखता है, उससे कहीं ज्यादा पेचीदा है।

भावुकता या राजनीति? विश्लेषकों में बहस

अस्पताल के बाहर सीता जी ने जो कहा, वो सुनने लायक है – “गुरुजी हमारे लिए सिर्फ ससुर नहीं, एक मिसाल हैं।” लेकिन हैरानी की बात ये है कि उन्होंने राजनीति की कोई बात ही नहीं छेड़ी। और भई, यहीं से तो सवाल पैदा होते हैं! आखिर एक अनुभवी नेता इतनी आसानी से भावुक कैसे हो सकती है? कुछ लोग कह रहे हैं कि ये झामुमो में बढ़ते कलह का संकेत है, तो कुछ का मानना है कि ये महज एक बेटी का दर्द है। सच तो ये है कि राजनीति में कुछ भी साफ-साफ नहीं होता।

सोशल मीडिया पर तूफान: किसने क्या कहा?

अरे भई, इस मामले ने तो Twitter और Facebook पर धमाल मचा दिया! #SitaSoren ट्रेंड कर रहा है, और लोग दो खेमों में बंट गए हैं। एक तरफ वो लोग हैं जो सीता जी के दर्द को समझ रहे हैं – “एक बेटी का दिल देखो, राजनीति से परे” वाली बातें कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग सीधे सवाल पूछ रहे हैं – “अचानक इतनी भावुकता क्यों?” एक यूजर ने तो बड़ी मार्के की बात कही – “जब घर में ही दो राजा हों, तो रानी को रोना ही पड़ता है।” सच कहूं तो, जनता की राय हमेशा दो रंगों में ही होती है।

अब आगे क्या? सेहत और सत्ता का सवाल

अब सबकी निगाहें शिबू सोरेन जी की सेहत पर टिकी हैं। अगर हालात नहीं सुधरे, तो झामुमो के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा हो सकता है। क्या सीता जी का यह कदम कोई बड़ी राजनीतिक चाल का हिस्सा है? या फिर ये सच में एक बेटी का दिल था जो टूट गया? सच तो ये है कि झारखंड की राजनीति अब नए मोड़ पर पहुंच चुकी है। और हां, एक बात तो तय है – आने वाले दिनों में ये मामला और गरमायेगा। क्या पता, ये सिर्फ शुरुआत हो!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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