त्रिनिदाद-टोबैगो का ‘रेड हाउस’: जब आतंकवाद ने इतिहास को खून से रंग दिया
क्या आप जानते हैं कैरिबियन के इस छोटे से देश की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में एक ऐसी इमारत है जिसकी कहानी सुनकर रूह कांप जाती है? वो है ‘रेड हाउस’ – नाम तो सुना होगा न? असल में, इसका लाल रंग सिर्फ ईंटों की वजह से नहीं, बल्कि 1990 के उस काल दिन की याद दिलाता है जब आतंकियों ने यहां खून की होली खेल डाली। सच कहूं तो, ये घटना न सिर्फ इमारत के लिए, बल्कि पूरे त्रिनिदाद-टोबैगो के लिए एक ऐसा जख्म बन गई जो आज तक नहीं भरा।
कहानी शुरू होती है 1907 से…
देखिए न, ये रेड हाउस ब्रिटिश राज का देन है – 1907 में बना था। अंग्रेजों के जमाने की ये इमारत आजादी के बाद देश की संसद बन गई। लेकिन सच तो ये है कि इसकी असली पहचान बनी उसके लाल रंग से। पर 1990 आते-आते यही रंग एक अलग ही मायने लेने वाला था।
एक तरफ तो ये इमारत देश की राजनीति का केंद्र थी, वहीं दूसरी तरफ… 27 जुलाई 1990 को यहीं पर कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मानो इतिहास ने करवट बदल ली हो।
वो 6 दिन जिन्होंने देश को हिला दिया
सुबह-सुबह का वक्त… संसद में काम चल रहा होगा, कोई सोच भी नहीं सकता था कि अगले ही पल 100 से ज्यादा बंदूकधारी अंदर घुस आएंगे। प्रधानमंत्री रॉबिन्सन समेत कितने ही नेता बंधक बना लिए गए। भारत में संसद पर हमले की याद आ गई न? पर ये तो उससे भी 11 साल पहले की बात है।
छह दिनों तक चली इस मुक्ति कार्यवाही में 24 बेगुनाह मारे गए। इमारत तो क्षतिग्रस्त हुई ही, मगर देश का आत्मविश्वास भी टूट गया। सच कहूं तो, ये वो घटना थी जिसने पूरे कैरिबियाई क्षेत्र को चौंका दिया।
आज क्या हाल है?
अब तस्वीर कुछ बदली है। रेड हाउस को दोबारा बनाया गया, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई। पर क्या सच में हम सबक ले पाए? आज भी त्रिनिदाद-टोबैगो को आतंकवाद और गैंग वॉर से जूझना पड़ रहा है।
एक बात तो तय है – ये इमारत अब सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि एक सबक है। वो सबक जो हमें बताता है कि सतर्कता कभी ढीली नहीं होनी चाहिए। और हां, ये कहानी सिर्फ त्रिनिदाद-टोबैगो की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की है।
क्या हमने इससे सीख ली? शायद पूरी तरह नहीं। लेकिन रेड हाउस आज भी खड़ा है – एक गवाह की तरह। इतिहास को दोहराने न देने की चेतावनी देता हुआ।
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com