विश्व आयोडीन अल्पता दिवस 2025: जानिए क्यों है यह छोटा सा तत्व हमारे लिए इतना बड़ा मसला?
सोचिए, एक चुटकी भर चीज़ जो हमारे पूरे शरीर का संतुलन बिगाड़ सकती है! आयोडीन ठीक वैसा ही है – छोटा सा माइक्रोन्यूट्रिएंट, पर असर बहुत बड़ा। असल में देखा जाए तो यह थायरॉइड हार्मोन बनाने का मुख्य घटक है, जो हमारे मेटाबॉलिज्म से लेकर दिमाग के विकास तक सब कुछ कंट्रोल करता है। और यही वजह है कि 21 अक्टूबर को हम विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाते हैं। भारत जैसे देशों में तो यह समस्या और भी गंभीर है – गॉइटर से लेकर मानसिक मंदता तक, न जाने कितनी बीमारियों की जड़ है यही आयोडीन की कमी।
कैसे पहचानें कि शरीर में आयोडीन की कमी हो रही है?
अब सवाल यह है कि इसकी कमी का पता कैसे लगाएं? सबसे आम संकेत तो गले में सूजन है, जिसे हम गॉइटर कहते हैं। लेकिन इसके अलावा भी कई संकेत हैं जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं – जैसे बेवजह थकान, त्वचा का रूखापन या फिर बालों का ज़रूरत से ज़्यादा झड़ना। बच्चों के मामले में तो यह और भी गंभीर हो जाता है। एक तरफ जहाँ इससे उनका मानसिक विकास रुक सकता है, वहीं IQ लेवल भी प्रभावित होता है। सच कहूँ तो यह एक ऐसी समस्या है जिस पर हमें गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
और हाँ, इसकी कमी के पीछे क्या वजहें हैं? सबसे पहले तो हमारे खान-पान में आयोडीन युक्त चीज़ों की कमी। गर्भवती महिलाओं को तो खासतौर पर इसकी ज़्यादा ज़रूरत होती है। दूसरा बड़ा कारण है हमारी मिट्टी में आयोडीन की कमी – जिससे उगने वाली सब्ज़ियों और फसलों में भी यह तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं होता।
कैसे पूरा करें आयोडीन की कमी? कुछ आसान उपाय
तो फिर समाधान क्या है? सबसे आसान तरीका तो यही है कि आयोडाइज्ड नमक का इस्तेमाल करें। मगर सिर्फ़ इतना ही काफी नहीं। समुद्री मछलियाँ खासकर टूना और कोड, झींगे और समुद्री शैवाल तो आयोडीन का खज़ाना हैं ही, साथ ही दूध, दही और अंडे भी अच्छे स्रोत हैं। एक बात और – गर्भवती महिलाओं और बच्चों का तो नियमित चेकअप ज़रूर करवाना चाहिए।
क्या खाएँ और क्या न खाएँ – यही तो है सवाल!
अब बात करते हैं डाइट की। आयोडीन बढ़ाने के लिए तो आयोडाइज्ड नमक, मछली, डेयरी प्रोडक्ट्स और केले जैसी चीज़ें खाइए। लेकिन साथ ही कुछ चीज़ों से परहेज़ भी ज़रूरी है। जैसे कि प्रोसेस्ड फूड जिनमें साधारण नमक हो, या फिर बहुत ज़्यादा नमकीन स्नैक्स। और हाँ, कच्ची गोभी और ब्रोकली भी ज़्यादा मात्रा में न खाएँ – ये थायरॉइड के काम में रुकावट डाल सकती हैं।
डॉक्टर के पास कब जाएँ? ये संकेत न करें नज़रअंदाज़
अगर गले में कोई गांठ महसूस हो, वजन अचानक बढ़ने लगे या फिर हमेशा थकान रहे – तो ये सभी चेतावनी के संकेत हैं। गर्भवती महिलाओं को तो खासतौर पर सावधान रहना चाहिए। बच्चों का विकास धीमा हो तो भी तुरंत जाँच करवाएँ। सच तो यह है कि छोटी सी लापरवाही बड़ी समस्या बन सकती है।
21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस पर हम सबकी यही ज़िम्मेदारी बनती है कि इस छोटे से तत्व के महत्व को समझें और दूसरों को भी जागरूक करें। थोड़ी सी समझदारी और सही खान-पान से हम इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं। आखिरकार, सेहत ही तो सबसे बड़ा धन है, है न?
विश्व आयोडीन अल्पता दिवस 2025 – जानिए क्यों है ये दिन खास और कैसे करें आयोडीन की कमी पूरी?
क्या आप जानते हैं विश्व आयोडीन अल्पता दिवस क्यों मनाया जाता है?
देखिए, हर साल 21 अक्टूबर को World Iodine Deficiency Day मनाने के पीछे एक बड़ी वजह है। असल में, हमारे देश में अब भी बहुत से लोग नहीं जानते कि आयोडीन की कमी से कितनी बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह दिन सिर्फ awareness फैलाने के लिए नहीं, बल्कि एक practical solution – iodized salt को promote करने के लिए भी मनाया जाता है। सच कहूं तो, ये छोटी सी आदत हमारी बड़ी-बड़ी बीमारियों से रक्षा कर सकती है!
आयोडीन हमारे लिए इतना जरूरी क्यों?
अब सवाल यह है कि ये आयोडीन है क्या बला? तो समझिए, ये हमारे thyroid gland का सबसे अच्छा दोस्त है। बिना इसके ये gland ठीक से काम नहीं कर पाता। और जब thyroid hormones का production ही ठीक नहीं होगा, तो metabolism से लेकर brain development तक सब प्रभावित होता है। सीधे शब्दों में कहें तो, आयोडीन की कमी सिर्फ goiter नहीं, बल्कि mental retardation जैसी गंभीर समस्याएं भी पैदा कर सकती है। डरावना लगता है ना? लेकिन समाधान बहुत आसान है।
तो फिर कैसे पूरी करें आयोडीन की कमी?
सबसे आसान तरीका? iodized salt का इस्तेमाल। लेकिन भईया, सिर्फ नमक ही तो जीवन नहीं! अपनी diet में seafood, dairy products और eggs को शामिल करें। हालांकि, अगर आप शाकाहारी हैं तो tension न लें – कुछ vegetables भी आयोडीन का अच्छा स्रोत हैं। और हां, अगर डॉक्टर कहे तो supplements भी ले सकते हैं। पर ध्यान रहे, बिना सलाह के नहीं!
21 अक्टूबर को ही क्यों?
अच्छा सवाल! दरअसल 1994 में इसी दिन global level पर पहली बार आयोडीन की कमी के खिलाफ मुहिम शुरू करने का फैसला लिया गया था। और तब से ये सिलसिला चला आ रहा है। सोचिए, एक दिन की awareness हमारी आने वाली पीढ़ियों को कितने रोगों से बचा सकती है। कमाल की बात है ना?
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com