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** “चीन का विशालकाय डैम: 600 KM में फैली झील, 22.5 GW बिजली और दुनिया में नंबर-1 की पोजीशन!”

चीन का ये राक्षसी डैम: 600 KM में फैला पानी, 22.5 GW बिजली और दुनिया को चौंका देने वाला रिकॉर्ड!

अरे भाई, चीन का Three Gorges Dam सुनने में जितना बड़ा लगता है, असल में देखो तो उससे कहीं ज़्यादा बड़ा है! ये कोई साधारण बांध नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग का वो करिश्मा है जिसने पूरी दुनिया का मुंह खुला का खुला रह गया। अभी हाल में ही इसने 22.5 गीगावॉट बिजली पैदा करके नया कीर्तिमान बना डाला। मतलब साफ है – दुनिया का सबसे ताकतवर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट! लेकिन यहां बात सिर्फ बिजली की नहीं… सच तो ये है कि इसके पानी के दबाव ने धरती के घूमने की स्पीड तक को थोड़ा सा बदल दिया! हां, माइक्रोसेकंड लेवल पर ही सही, लेकिन है तो सच ना? चीन के लिए ये सिर्फ बिजली का जरिया नहीं, बल्कि उसकी तकनीकी ताकत का प्रतीक बन चुका है।

पीछे की कहानी: कैसे बना ये दैत्याकार डैम?

देखिए न, यांग्त्ज़ी नदी पर बना ये डैम Hubei में है। 1994 में शुरू हुआ काम और 2012 तक चला। मूल मकसद था – बाढ़ रोकना, बिजली बनाना और shipping को आसान करना। 2012 में इसने ब्राजील-पराग्वे के Itaipu Dam को पछाड़कर नंबर वन का तमगा हासिल किया। लेकिन यकीन मानिए, इसकी कीमत बहुत भारी पड़ी। करीब 14 लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा। सोचिए, कितना बड़ा नुकसान?

ताजा हालात: बिजली के नए रिकॉर्ड, पर्यावरण के नए खतरे

अभी-अभी तो इस डैम ने 22.5 गीगावॉट का कमाल कर दिखाया! चीन के लिए ये बड़ी बात है, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी तो देखिए – इसने 600 किलोमीटर लंबी एक कृत्रिम झील बना डाली है। नतीजा? पर्यावरण को भारी नुकसान। वैज्ञानिक कहते हैं इतना पानी जमा होने से धरती के घूमने पर भी असर पड़ा। और तो और, मछलियों से लेकर मिट्टी तक सब प्रभावित हुआ। भूकंप का खतरा भी बढ़ा। सच कहूं तो ये डैम एक तरफ जहां चमत्कार है, वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी समस्या भी।

लोग क्या कहते हैं: तारीफें या आलोचनाएं?

चीनी सरकार तो इसे “राष्ट्रीय गर्व” बताती है। उनके लिए ये ऊर्जा सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लेकिन पर्यावरणविद? उन्होंने तो इसे “इकोलॉजिकल डिजास्टर” का नाम दे दिया! उनका कहना है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। और भूलिए मत वो लाखों विस्थापित लोग जिन्हें न्याय तक नहीं मिला। मुआवजे और पुनर्वास को लेकर शिकायतें तो आज भी जारी हैं।

आगे क्या? चीन की योजनाएं और बड़े सवाल

चीन तो और ज़्यादा बिजली बनाने की फिराक में है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सस्टेनेबल है? पूरी दुनिया में बड़े बांधों पर बहस हो रही है। चीन नए hydropower plants बनाने की तैयारी में है, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर? ईमानदारी से कहूं तो बड़ा सवाल ये है कि भविष्य में क्या दिशा लेंगे – और बड़े बांध या फिर अक्षय ऊर्जा की ओर रुख? जवाब अभी किसी के पास नहीं।

आखिरी बात

Three Gorges Dam ने चीन को ग्लोबल पावर हाउस बनाने में मदद की है, लेकिन इसकी कीमत किसने चुकाई? पर्यावरण और स्थानीय लोगों ने। ये डैम टेक्नोलॉजी का करिश्मा है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। आने वाले समय में चीन को बिजली और प्रकृति के बीच संतुलन बनाना होगा। बड़ी चुनौती है, देखते हैं कैसे निपटते हैं!

अरे भाई, चीन का यह डैम तो कुछ ज़्यादा ही बड़ा है! सच कहूं तो इंजीनियरिंग का यह करिश्मा देखकर दिमाग चकरा जाता है। लेकिन सिर्फ़ बड़ा होना ही काफी नहीं – असल में यह sustainable energy के मामले में भी एक बेंचमार्क बन गया है। सोचो तो, 600 KM में फैली झील… यानी दिल्ली से जयपुर का फासला! और बिजली? 22.5 GW… मतलब पूरे दिल्ली को महीनों power दे सकता है। एक तरफ तो यह मानवीय सामर्थ्य का प्रतीक है, लेकिन दूसरी तरफ सवाल यह भी उठता है – क्या हम भारत में ऐसे प्रोजेक्ट्स ला पाएंगे? ईमानदारी से कहूं तो, यह डैम सिर्फ़ तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि भविष्य का blueprint है। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

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चीन का विशालकाय डैम – जानिए कुछ दिलचस्प बातें!

1. कहाँ है ये डैम और क्या है इसका नाम?

देखिए, ये डैम चीन के हुबेई प्रांत में है, यांग्त्ज़ी नदी पर। नाम है Three Gorges Dam – जो सुनने में ही इतना बड़ा लगता है ना? असल में ये दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम है। सच कहूँ तो इंजीनियरिंग का एक करिश्मा!

2. कितनी बिजली बनाता है ये डैम?

अरे भई, ये तो बिजली का खजाना है! 22.5 गीगावॉट (GW) की क्षमता वाला ये पावर प्लांट लगभग 1.5 करोड़ घरों को रोशन कर सकता है। सोचिए, हमारे पूरे दिल्ली शहर को कई बार पावर दे सकता है ये। है न कमाल की बात?

3. क्या कोई रिकॉर्ड बनाए हैं इसने?

रिकॉर्ड? अरे ये तो रिकॉर्ड्स का बाप है! एक तरफ दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, तो दूसरी तरफ सबसे बड़ी कंक्रीट स्ट्रक्चर। और तो और, इससे बनी 600 किलोमीटर लंबी झील भी एक रिकॉर्ड है। कुल मिलाकर – एकदम ज़बरदस्त!

4. क्या हैं इसके नुकसान?

ईमानदारी से कहूँ तो हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। लगभग 13 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा, कई पुराने ऐतिहासिक स्थल पानी में डूब गए। पर्यावरण पर भी असर पड़ा। लेकिन चीन का दावा है कि ये प्रोजेक्ट कार्बन एमिशन कम करने में मददगार है। सच्चाई? शायद दोनों ही बातें सही हैं।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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