यमन में निमिषा प्रिया की फांसी रद्द! केरल की इस नर्स को मिली ज़िंदगी की नई उम्मीद
बड़ी खबर! केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा रद्द हो गई है। अब सवाल यह है कि क्या यह पूरी तरह से सच है? दरअसल, भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के दफ्तर से यह खबर आई है, लेकिन यमन सरकार की तरफ से अभी कोई आधिकारिक कागज़ात नहीं आए हैं। फिर भी, यह खबर तो है न… और कभी-कभी खबर ही काफी होती है।
निमिषा प्रिया, जो कोल्लम की रहने वाली हैं, यमन में nurse का काम करती थीं। एक स्थानीय आदमी की मौत का आरोप उन पर लगा था – बस फिर क्या था, उन्हें मौत की सजा सुन दी गई। अब इसे ऐसे समझिए जैसे आपके घर का कोई सदस्य विदेश में फंस जाए… है न? पूरा भारत इस मामले पर बहस कर रहा था। विदेश मंत्रालय ने तो जैसे इसके ऊपर ही दिन-रात एक कर दिया था।
अब ग्रैंड मुफ्ती के दफ्तर से जो खबर आई है, उसके मुताबिक फांसी रद्द हो गई है। परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन दिल में डर तो है ही। क्योंकि अभी तक यमन सरकार की मुहर नहीं लगी है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का मानना है कि diplomatic channels के ज़रिए जल्द ही पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से लेकर दिल्ली तक, सबने इस खबर पर खुशी जताई है। पर सच कहूं तो, यह सिर्फ एक केस नहीं है। यह तो भारत की ताकत दिखाने वाली मिसाल बन गया है। विदेश मंत्रालय वालों ने बताया कि वे निमिषा को सुरक्षित घर लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
अब सबका ध्यान यमन सरकार के आधिकारिक बयान पर है। एक तरफ तो खुशी की लहर है, दूसरी तरफ इंतज़ार की तनाव भरी खामोशी। यह मामला साबित करता है कि भारत अब वो नहीं रहा जो पहले था। हमारी diplomatic muscle अब दुनिया देख रही है।
आखिर में बस इतना ही – निमिषा प्रिया का केस सिर्फ एक कानूनी जंग नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की आशा है जो विदेश में मुसीबत में फंस जाता है। अब बस यमन सरकार की पुष्टि का इंतज़ार है… और फिर? फिर तो केरल के उस छोटे से घर में खुशियों की बारिश होगी।
यह भी पढ़ें:
- Nimisha Priya Yemen Death Penalty Last Chance
- How Grand Mufti Saved Nimisha Priya Death Sentence Yemen
निमिषा प्रिया की फांसी रद्द होना… ये सिर्फ एक ख़बर नहीं, बल्कि एक ऐसी जीत है जिसने पूरे देश को एक साथ खुशी के आंसू रुला दिए। सोचिए, अगर यमन का ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय ये फैसला न लेता तो? लेकिन उन्होंने लिया, और इससे बड़ा उदाहरण न्याय और इंसानियत की जीत का क्या हो सकता है?
असल में देखा जाए तो, ये पूरी कहानी हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि लगातार कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। और निमिषा के मामले में तो सचमुच यही हुआ। भारत सरकार की मेहनत, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चले प्रयास… सबका नतीजा आखिरकार इस खुशखबरी के रूप में सामने आया। बिल्कुल वैसे ही जैसे लंबे अंधेरे के बाद सुबह होती है।
एक बात और – क्या आपने गौर किया कि ऐसे मौके हमें ये भी सिखाते हैं कि अच्छाई की जीत में देर हो सकती है, लेकिन अंत जरूर अच्छा होता है? सच कहूं तो, आज का दिन भारतीय इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ गया है। है न?
Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com