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“योगी सरकार का बड़ा एक्शन! ‘तिलिस्मी’ छांगुर बाबा की 3 करोड़ी कोठी ध्वस्त, UP से मुंबई तक छापेमारी”

योगी सरकार का बड़ा एक्शन! ‘तिलिस्मी’ छांगुर बाबा की 3 करोड़ी कोठी ध्वस्त, UP से मुंबई तक छापेमारी

अरे भई, यूपी सरकार ने तो आजकल बाबाओं के पीछे ऐसी दौड़ लगाई है जैसे IPL में कोई रनचेस हो! ‘तिलिस्मी बाबा’ यानी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की 3 करोड़ की कोठी को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। सच कहूं तो यह सिर्फ एक इमारत गिराने वाली कार्रवाई नहीं है, बल्कि एक साफ संदेश है – अब बाबागिरी का business model खतरे में पड़ गया है। और तो और, मुंबई तक पहुंचकर पुलिस ने बाबा के बेटे और भतीजे को भी पकड़ लिया। क्या यह सच में धार्मिक ठगी के खिलाफ एक turning point होगा? देखते हैं…

मामले की पृष्ठभूमि: ये छांगुर बाबा आखिर है कौन?

असल में देखा जाए तो ये ‘बाबा’ तो एक पूरा स्टार्टअप चला रहे थे! ‘चमत्कारी इलाज’ और ‘तंत्र-मंत्र’ के नाम पर गरीबों की जमा-पूँजी हड़पने का ये तो कोई नया तरीका नहीं है। लेकिन इनका scale देखकर हैरानी होती है। सोचिए – जो लोग खुद दवाई तक नहीं खरीद पाते, उनसे लाखों रुपये ऐंठ लिए जाते हैं। और सबसे दुखद बात? शिकार अक्सर वही होते हैं जो पहले से बीमारी या गरीबी से जूझ रहे होते हैं। पुलिस के मुताबिक तो ये एक पूरा organized network था, जैसे कोई corporate fraud चल रहा हो!

कार्रवाई का विवरण: बुलडोजर एक्शन से लेकर मुंबई तक!

अब यूपी सरकार का तरीका देखिए – सीधे बुलडोजर ले आए! 3 करोड़ की कोठी? ढहा दी। मुंबई में बाबा के बेटे और भतीजे को पकड़ा। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब कुछ बहुत planned तरीके से हुआ? जैसे कोई movie script हो। पुलिस ने तो पूरा case watertight बनाने की कोशिश की है – documents seize किए, evidence जमा किए। पर सवाल यह है कि क्या ये सब court में stand कर पाएगा? क्योंकि हमने पहले भी ऐसे कई cases देखे हैं जो बाद में weak evidence की वजह से collapse हो गए।

प्रतिक्रियाएं: कौन खुश, कौन नाराज?

सरकार तो अपनी पीठ थपथपा रही है – “हमारी zero tolerance policy का नतीजा है!” स्थानीय लोग? उनके चेहरे पर मुस्कान। एक दुकानदार ने तो मुझसे कहा, “भई साहब, ये बाबा तो हमारे इलाके का भूत था जिसे अब उतारा गया है।” लेकिन विपक्ष की reaction? वो तो हर मौके पर सरकार को घेरने के लिए तैयार बैठा है! उनका कहना है, “ये सब दिखावा है, असली माफिया तो अभी भी आराम से घूम रहे हैं।” सच्चाई क्या है? शायद समय ही बताएगा।

आगे क्या? अब की बारी किसकी?

अब तो लगता है पुलिस इस पूरे network को उजागर करने पर तुली है। और संपत्तियां? वो तो अब government की हो चुकी हैं। पर असली सवाल यह है – क्या ये case सच में एक मिसाल बनेगा? क्या दूसरे राज्य भी ऐसी ही कार्रवाई करेंगे? मेरा personal opinion? जब तक लोगों की ‘बाबाओं’ में आस्था बनी रहेगी, तब तक ये धंधा चलता रहेगा। बस तरीके बदल जाएंगे।

निष्कर्ष: सच कहूं तो ये कोठी गिरना सिर्फ एक इमारत का ढहना नहीं है, बल्कि एक सिस्टम के खिलाफ बगावत का प्रतीक है। लेकिन याद रखिए – जब तक demand रहेगी, supply भी रहेगी। बस फर्क इतना होगा कि अगली बार ये ‘बाबा’ और ज्यादा smart तरीके से काम करेंगे। क्या हम सच में इस चक्र को तोड़ पाएंगे? वक्त बताएगा…

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योगी सरकार का बड़ा एक्शन! छांगुर बाबा केस पर आपके सारे सवालों के जवाब

1. छांगुर बाबा कौन हैं और उनकी कोठी क्यों गिराई गई?

देखिए, छांगुर बाबा वो हैं जिन्हें हम आम भाषा में कहें तो ‘self-styled godman’ – यानी खुद को ही बाबा घोषित कर लेने वाले। अब सवाल यह है कि इनकी कोठी क्यों ढहाई गई? असल में, illegal activities और fraud के आरोपों की लिस्ट इतनी लंबी है कि… छोड़िए, बात यह है कि 3 करोड़ की अवैध संपत्ति पर सरकार ने एक्शन लिया। और सही किया।

2. यूपी से मुंबई तक छापेमारी की कहानी

अब ये तो होना ही था न भाई! जब एक जगह से illegal assets और black money के सबूत मिले, तो दूसरी जगहों पर raids तो बनते ही थे। UP Police और दूसरी agencies ने मुंबई समेत कई जगहों पर एक साथ कार्रवाई की। एक तरह से देखें तो ये पूरी तैयारी के साथ किया गया ऑपरेशन था।

3. योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ पॉलिसी का असली मतलब

ईमानदारी से कहूं तो इस एक्शन से साफ संदेश गया है – चाहे कोई बाबा हो या बापू, illegal काम करेगा तो छूट नहीं मिलेगी। ये उसी तरह है जैसे आपके घर के सामने कोई गंदगी फैलाए और आप तुरंत एक्शन लें। बस फर्क इतना है कि यहां स्केल थोड़ा… बहुत बड़ा है!

4. छांगुर बाबा के खिलाफ केस की स्थिति क्या है?

जी हां, केस तो बन ही गए हैं – और एक नहीं, कई! Fraud से लेकर illegal land grabbing और tax evasion तक… गंभीर आरोपों की लिस्ट देखकर तो यही लगता है कि अब इन बाबाओं का ‘बाबा’ नाम सच में खराब हो रहा है। सच कहूं तो ऐसे लोगों के कारण ही असली साधु-संतों को भी शक की निगाह से देखा जाता है। दुखद, लेकिन सच्चाई।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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