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YouTube के नए नियम: AI से बने दोहराव वाले कंटेंट पर रोक, लेकिन क्या यह क्रिएटर्स के लिए खतरा खत्म करेगा?

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YouTube के नए नियम: AI कंटेंट पर शिकंजा, पर क्या असली मसला सुलझेगा?

अरे भाई, YouTube ने तो हाल ही में बम फोड़ दिया है! उन्होंने ऐलान किया है कि अब AI से बने वो बेकार के दोहराव वाले videos, जो सिर्फ algorithm को खुश करने के लिए बनाए जाते हैं, उन पर पाबंदी लगेगी। सही कहा न? पर सवाल यह है कि क्या ये नए नियम असल में उन छोटे creators की मदद कर पाएंगे जिनका दम घुट रहा है?

पूरा माजरा क्या है?

देखो, पिछले दो-तीन सालों में तो AI tools (ChatGPT, DALL-E वगैरह) ने YouTube का नक्शा ही बदल दिया है। अब हर दूसरा चोर-सा चेहरा बिना मेहनत किए AI से video बना के views काट रहा है। और असली मेहनतकश creators? उनकी तो बल्ले-बल्ले! Engagement गिरा, कमाई घटी… कुछ reports तो कहती हैं 15-20% तक का नुकसान हुआ है।

YouTube पहले भी spam और clickbait वालों को टक्कर देता रहा है, लेकिन AI ने तो गेम ही बदल दिया। अब समझना मुश्किल हो गया है कि कौन सा content इंसान ने बनाया और कौन सा किसी bot ने ठेल दिया।

तो नए नियमों में क्या है खास?

YouTube का कहना है कि अब वो “low-effort, repetitive AI content” को हटाएगा। वो भी नये tools भी बना रहे हैं जो AI और human-made content में फर्क कर सकें। पर सच बताऊं? मुश्किल यह है कि ये फैसला कैसे होगा कि कौन सा video AI से बना है? Quality देखकर? या कोई जादुई टेक्नोलॉजी आएगी जो पकड़ लेगी? मजे की बात तो ये है कि अच्छा AI content तो इंसानी content से भी बेहतर हो सकता है!

लोग क्या कह रहे हैं?

इस पर तो हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है। जहां एक तरफ traditional creators खुशी से झूम रहे हैं, वहीं techie लोग कह रहे हैं कि YouTube को AI को बैन करने की बजाय समझदारी से regulate करना चाहिए। सच कहूं तो दोनों की बात में दम है।

AI companies तो बिल्कुल नाराज हैं – उनका कहना है कि ये तो innovation पर रोक लगाने जैसा है। और viewers? उनकी राय भी बंटी हुई है। कोई कहता है AI videos helpful होते हैं, कोई कहता है बेजान लगते हैं। मेरा मानना है कि… वैसे सुनो, आपको क्या लगता है?

आगे क्या होगा?

असली चुनौती तो अब आने वाली है। YouTube को balance बनाना होगा – ना तो AI को पूरी तरह खत्म करो, ना ही original creators को मरने दो। ये तो वैसा ही है जैसे चाय में चीनी की मात्रा – ना ज्यादा, ना कम।

अंत में एक बात तो तय है – ये नियम ना सिर्फ YouTube के भविष्य, बल्कि पूरे internet की creative freedom को प्रभावित करेंगे। देखते हैं, ये सिलसिला कहां जाकर रुकता है। आपकी क्या राय है? कमेंट में जरूर बताइएगा!

Source: Livemint – Industry | Secondary News Source: Pulsivic.com

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