स्कूल असेंबली में न्यूज़ पढ़ना: सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि ज़रूरी स्किल!
भई, सुबह की स्कूल assembly… वो क्या सिर्फ प्रार्थना और थके हुए चेहरों का मेला है? बिल्कुल नहीं! असल में देखा जाए तो ये छोटे-छोटे 20-30 मिनट हमारे बच्चों को सिर्फ स्टूडेंट नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनाने का काम करते हैं। और इसमें सबसे ज़्यादा फायदेमंद चीज़ क्या है? हां, वही जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं – न्यूज़ रीडिंग। सोचिए, एक तरफ तो ये बच्चों को दुनिया से जोड़ती है, दूसरी तरफ उनके अंदर का डर निकालकर माइक के सामने खड़ा कर देती है। कमाल की बात है न?
माइक पर आवाज़ उठाने के फायदे जो आपने कभी नोटिस नहीं किए
असल में बात ये है कि जब कोई बच्चा assembly में न्यूज़ पढ़ता है, तो सिर्फ खबरें ही नहीं बांट रहा होता। चलिए इसे ऐसे समझते हैं – पहला फायदा तो साफ दिखता है: confidence का पौधा पनपना। एक बार माइक के सामने बोल लिया, फिर तो क्लास प्रेजेंटेशन से लेकर कॉलेज इंटरव्यू तक में हाथ नहीं कांपते।
लेकिन यहीं पर रुकिए! दूसरा बड़ा फायदा जो हम भूल जाते हैं वो है language की पकड़। आजकल तो WhatsApp और shorthand ने हिंग्लिश (हिंदी+इंग्लिश) को इतना बिगाड़ दिया है कि सही उच्चारण तक भूलने लगे हैं। Assembly में न्यूज़ पढ़ने से वो professional communication की बुनियाद पड़ती है जो आगे जाकर काम आती है।
और सबसे मजेदार बात? बच्चे पढ़ते-पढ़ते इतने सारे current affairs सीख जाते हैं कि पैरेंट्स टीवी पर न्यूज़ देखकर जो सवाल पूछते हैं, उनके जवाब तैयार होते हैं। मेरे एक स्टूडेंट ने तो घर में political debate जीत ली थी सिर्फ assembly न्यूज़ की वजह से! सच कहूं तो ये एक तरह का life hack है जो स्कूल फ्री में दे रहा है।
न्यूज़ रीडिंग है या परफॉरमेंस आर्ट? सीखिए असली ट्रिक्स
अब सवाल यह उठता है कि क्या बस जोर-जोर से पढ़ देना ही काफी है? बिल्कुल नहीं! यहां कुछ टिप्स जो मैंने अपने 10 साल के टीचिंग एक्सपीरियंस से सीखे:
1. पहली गलती जो सब करते हैं – रोबोट की तरह पढ़ना। भई, आप खबर सुना रहे हैं, कोई मशीन नहीं हैं! थोड़ा emotion डालिए। अगर कोई achievement की खबर है तो आवाज़ में उत्साह होना चाहिए।
2. दूसरी बड़ी गलती – पूरी बॉडी लॉक करके खड़े हो जाना। हाथों को थोड़ा मूवमेंट दीजिए, सामने देखिए… वैसे ही जैसे आप दोस्तों से बात करते हैं।
3. और हां! सबसे ज़रूरी – practice करते समय मोबाइल रिकॉर्ड करके देखिए। आप खुद ही पकड़ लेंगे कि कहां सुधार की ज़रूरत है।
टीचर्स और स्टूडेंट्स, ये चीजें याद रखें
स्टूडेंट्स के लिए मेरी सलाह है – newspaper पढ़ने की आदत डालिए। पर सिर्फ headlines नहीं, details पढ़िए। एक ट्रिक बताता हूं – रोज़ सिर्फ एक खबर चुनकर उसे 5 points में समझने की कोशिश करें। फिर देखिए assembly में कैसे flow आता है।
टीचर्स, आपकी बारी! क्या आप सिर्फ बारी-बारी से नाम पुकारते हैं? थोड़ा creativity दिखाइए। कभी debate करवाइए, कभी breaking news का role-play… मेरे एक कॉलेग ने तो पूरी assembly को live newsroom बना दिया था – बच्चे आज तक याद करते हैं!
आखिरी बात (पर सबसे ज़रूरी)
सच पूछो तो assembly में न्यूज़ पढ़ना सिर्फ एक activity नहीं है। ये तो वो छोटी-सी training है जो बच्चों को classroom से बाहर की दुनिया के लिए तैयार करती है। confidence, knowledge, communication – ये तीनों मिल जाएं तो फिर क्या चाहिए?
तो अगली बार जब आपकी assembly में कोई बच्चा न्यूज़ पढ़े, तो बस ये मत सोचिए कि “ये तो रोज़ का रूटीन है”। बल्कि समझिए कि आप किसी future leader, journalist या CEO को तैयार होते देख रहे हैं। क्योंकि यहीं से शुरुआत होती है असली दुनिया की तैयारी की!
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) – आपके सारे कन्फ्यूजन दूर करें!
1. इस topic को सीखने के लिए best resources कौन-से हैं?
देखिए, मैं आपको बताता हूँ – YouTube tutorials तो एकदम ज़रूरी हैं, खासकर जब आप शुरुआत कर रहे हों। मेरा खुद का अनुभव? मैंने भी यहीं से शुरुआत की थी! Online courses जैसे Coursera या Udemy भी बढ़िया हैं, लेकिन एक बात याद रखें – official documentation को हल्के में न लें। वो असली गेम-चेंजर है। और हाँ, हमारी website पर भी कुछ चुनिंदा articles हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं।
2. क्या beginners इस topic को easily समझ सकते हैं?
अरे भई, क्यों नहीं! मैं तो यह कहूँगा कि आजकल के resources देखकर तो मुझे खुद ईर्ष्या होती है। हाँ, शुरू में थोड़ा सिर खुजलाने वाला लगेगा – मानो किसी ने आपके दिमाग में puzzle pieces उड़ेल दिए हों। लेकिन यकीन मानिए, regular practice से आप इसमें master बन जाएंगे। बस patience रखिए!
3. इस topic को सीखने में कितना time लगता है?
ये तो वैसा ही सवाल है जैसे कोई पूछे “दिल्ली से मुंबई पहुँचने में कितना समय लगेगा?” जवाब है – यह आपकी गाड़ी (यानी learning speed) और daily practice पर निर्भर करता है। औसतन? 2-3 महीने में आपको अच्छी पकड़ बन जाएगी। पर expert बनने की बात करें तो… ईमानदारी से कहूँ तो 6 महीने से लेकर 1 साल तक लग सकता है। पर याद रखिए, ये कोई race नहीं है!
4. क्या इस topic का future में scope है?
सुनिए, अगर मैं आपको ये बताऊँ कि इसका scope नहीं है, तो मैं झूठ बोल रहा हूँगा। सच तो ये है कि market में इसकी demand दिन-ब-दिन बढ़ रही है। High-paying jobs? हैं। Freelancing opportunities? बहुत सारी। पर एक बात – सिर्फ इसलिए न सीखें क्योंकि ये trending है। आपका genuine interest होना चाहिए। वरना तो… खैर, आप समझदार हैं!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com