एयर इंडिया क्रैश: क्या पायलट्स की गलती थी या फिर फ्यूल सिस्टम फेल?
याद है वो जून 2023 का वो हादसा जब एयर इंडिया का विमान क्रैश हो गया था? अब उसकी जांच ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है। असल में, जांचकर्ताओं की नजर अब दो चीजों पर है – पायलट्स के फैसले और विमान का वो अहम फ्यूल स्विच सिस्टम। और हैरानी की बात ये है कि शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, Boeing 787 Dreamliner या उसके GE Aerospace इंजन में कोई खराबी नहीं मिली है। तो फिर क्या वजह रही? सवाल यही है।
किस्सा ये था कि विमान उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद धराशायी हो गया। दुर्भाग्य से कई यात्रियों और क्रू मेंबर्स की जान चली गई। तब से लेकर आज तक ये केस गहराई से जांचा जा रहा है। Black box और मलबे की जांच से कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं, लेकिन पूरी पहेली अभी भी सुलझी नहीं है।
जांच के दो बड़े सवाल
अब जांचकर्ताओं के सामने दो बड़े सवाल हैं:
1. क्या पायलट्स ने इमरजेंसी में सही कदम उठाए? यानी प्रोटोकॉल फॉलो किया या नहीं?
2. और दूसरा – क्या फ्यूल स्विच मैकेनिज्म में कोई खामी थी?
दिलचस्प बात ये है कि अभी तक विमान या इंजन में कोई बड़ी टेक्निकल खराबी नहीं मिली है। पर सच क्या है? ये तो पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा।
क्या कह रहे हैं लोग?
एयर इंडिया वालों का कहना है – “हम पूरा सहयोग कर रहे हैं, जल्दबाजी में निष्कर्ष न निकालें।” वहीं एक्सपर्ट्स की राय है कि अगर फ्यूल सिस्टम में दोष निकला तो ये गंभीर मामला हो सकता है। क्योंकि पहले भी ऐसे केसेस देखे गए हैं। और तो और, पीड़ितों के परिवार साफ कह रहे हैं – “अगर लापरवाही साबित हुई तो जिम्मेदारों को सजा मिलनी चाहिए।”
अब आगे क्या?
अब जांच टीम पायलट्स के कम्युनिकेशन रिकॉर्ड्स और फ्लाइट डेटा को गहराई से चेक करेगी। दो संभावनाएं हैं:
– अगर फ्यूल सिस्टम में खामी मिली तो aviation regulators नए सेफ्टी रूल्स बना सकते हैं
– और अगर लापरवाही साबित हुई तो एयरलाइन या पायलट्स के खिलाफ एक्शन हो सकता है
सच कहूं तो पूरी दुनिया की नजर इस केस पर है। क्योंकि ये सिर्फ एक हादसे की जांच नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने का मौका भी है। आखिरकार, सुरक्षा सबसे जरूरी है न?
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एयर इंडिया क्रैश जांच: पायलट्स के एक्शन और फ्यूल स्विच से जुड़े वो सवाल जो आपके दिमाग में घूम रहे हैं
1. भईया, पायलट्स के एक्शन्स पर इतना ज़ोर क्यों?
देखिए, जांचकर्ताओं को लग रहा है कि कहीं न कहीं पायलट्स ने फ्यूल स्विच या दूसरे सिस्टम्स को लेकर कोई गड़बड़ की होगी। वरना ऐसा क्या हुआ कि प्लेन क्रैश हो गया? असल में, cockpit में हुई बातचीत और उनके decisions को बारीकी से जांचा जा रहा है। ठीक वैसे ही जैसे आप किसी puzzle के टुकड़ों को जोड़ते हैं।
2. फ्यूल स्विच – ये छोटी सी चीज़ इतनी बड़ी मुसीबत कैसे बन गई?
अरे भाई, छोटी सी चीज़ ही तो बड़ा फर्क करती है! अगर फ्यूल स्विच ठीक से काम नहीं करेगा या technical दिक्कत होगी, तो प्लेन को पर्याप्त fuel कहाँ से मिलेगा? और बिना fuel के engine तो बंद होगा ही न? जांचकर्ता इसी बात पर गौर कर रहे हैं कि क्या यही वो छोटी सी गलती थी जिसने बड़ा हादसा करवा दिया।
3. क्या इस जांच के बाद पायलट ट्रेनिंग में कुछ बदलाव आएंगे?
सच कहूँ तो हाँ, बिल्कुल आएंगे! अगर जांच में पायलट्स की कोई गलती सामने आती है या फिर training प्रोसीजर में कोई कमी निकलती है, तो DGCA और एयरलाइंस को तो कुछ करना ही पड़ेगा न? वरना अगली बार फिर वही हादसा होगा। Safety measures को अपडेट करना तो बनता है।
4. यार, ये जांच रिपोर्ट आखिर हम तक पहुँचेगी कब?
असल में, ऐसे केसों में वक्त लगता है भाई – कम से कम 6 महीने से लेकर 1 साल तक। रिपोर्ट आने के बाद aviation authorities इसे जनता के सामने रखेंगे, पर एक बात समझ लीजिए – कुछ technical details शायद हमें न बताई जाएँ। वो confidential रह सकती हैं। पर इंतज़ार करना पड़ेगा, ये तो तय है।
Source: WSJ – US Business | Secondary News Source: Pulsivic.com