“पायलट गलती की ओर पूर्वाग्रह”: क्या सच में पायलट्स को बनाया जा रहा है बलि का बकरा?
अरे भाई, एयर इंडिया के अहमदाबाद हादसे को लेकर तो बवाल मचा हुआ है। सच कहूँ तो, ये मामला सिर्फ एक विमान दुर्घटना से कहीं ज़्यादा बड़ी बहस छेड़ रहा है। Airline Pilots’ Association of India (ALPA) ने तो AAIB की रिपोर्ट पर सीधे-सीधे सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि जांच में “पायलट गलती की ओर पूर्वाग्रह” दिखाया गया है। सच्चाई क्या है? शायद हमें थोड़ा और गहराई में जाने की ज़रूरत है।
याद है न वो 2023 का वो हादसा? जब एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद में लैंडिंग के वक्त फिसल गया था। अब AAIB ने अपनी रिपोर्ट में इसे पायलट error बताया है, लेकिन ALPA का कहना है कि ये तस्वीर का सिर्फ एक हिस्सा है। असल में, ATC, विमान का maintenance, मौसम – इन सभी फैक्टर्स को ठीक से नहीं देखा गया। क्या ये सच में न्यायसंगत है? मुझे तो लगता है कि ऐसे गंभीर मामलों में सभी पहलुओं पर बराबर नज़र डालनी चाहिए।
ALPA ने तो जैसे गुस्से में आकर कई मांगें रख दी हैं। CVR और FDR का पूरा डेटा चाहिए, स्वतंत्र जांच चाहिए… और हाँ, सोशल मीडिया पर #FairInvestigationForPilots ट्रेंड करवा दिया है। देखा जाए तो पायलट्स की ये बात भी ठीक है – सिर्फ उन्हें दोषी ठहराने से तो विमानन सुरक्षा के मूल सिद्धांत ही कमज़ोर पड़ते हैं। पर सवाल ये है कि AAIB इस पर क्या कहती है? अभी तक तो ख़ामोशी ही है।
अब क्या होगा? ALPA तो कानूनी रास्ता अपनाने की बात कर रही है। विमानन मंत्रालय से लेकर AAIB तक – सबकी नज़रें इस पर टिकी हैं। मेरी निजी राय? ये मामला भारतीय विमानन इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। एक तरफ पायलट अधिकारों की बहस है, तो दूसरी तरफ जांच प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की मांग।
आखिरकार, सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तो तय है – ये बहस अभी लंबी चलने वाली है। और हाँ, अगर आपको लगता है कि मैं किसी तरफ़ झुक रहा हूँ, तो बताइएगा ज़रूर। चलते-चलते एक बात और – क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे मामलों में जनता को भी पूरी जानकारी मिलनी चाहिए?
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एयर इंडिया क्रैश की यह रिपोर्ट… सच कहूं तो मामला काफी गंभीर है। पायलट्स एसोसिएशन के सवालों ने तो जैसे पूरे माहौल में ही सनसनी फैला दी है। असल में देखा जाए तो यह सिर्फ पायलट्स की विश्वसनीयता का सवाल नहीं, बल्कि पूरे Aviation Industry पर लोगों के भरोसे का मामला है। और यह भरोसा… एक बार टूटा तो फिर जोड़ना मुश्किल होता है।
तो अब सवाल यह उठता है कि आगे क्या? मेरी नज़र में तो जांच एजेंसियों को बिना किसी दबाव के, पूरी पारदर्शिता के साथ इस मामले की गहराई तक जाना चाहिए। न्याय सभी को मिले – यही तो होना चाहिए न?
लेकिन सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता मामला। हमें भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए… वाकई मजबूत सिस्टम चाहिए। जैसे कि आपके घर की बिजली का सर्किट – अगर फ्यूज नहीं लगा हो तो? बस वैसे ही। Prevention हमेशा cure से बेहतर होता है।
(एक छोटी सी बात और – क्या आपने कभी गौर किया है कि ऐसी खबरें आते ही social media पर कैसे अफवाहों का तूफान आ जाता है? वो अलग मुद्दा है, लेकिन फिर कभी!)
कुछ Key Points जो समझने चाहिए:
- पारदर्शिता सिर्फ एक शब्द नहीं… यह विश्वास की नींव है।
- Aviation safety में कोई compromise नहीं हो सकता। एकदम ज़ीरो टॉलरेंस।
- हम सबकी ज़िम्मेदारी है – सरकार, एजेंसियां, और हम आम लोग भी।
आखिर में बस इतना… ऐसे मामलों में emotional reactions से ज्यादा logical actions की ज़रूरत होती है। सोचिएगा ज़रूर!
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com