Site icon surkhiya.com

“कांग्रेस ने भुला दिया अपने ही नेता त्रिभुवन दास को – अमित शाह का बड़ा बयान!”

amit shah congress forgot tribhuvan das 20250705112817947376

कांग्रेस ने भुला दिया त्रिभुवन दास को? अमित शाह का बयान और राजनीति का नया मैदान!

गुजरात में आज एक बड़ी खबर है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मेहसाणा में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की नींव रखी, लेकिन असली बातचीत तो उनके बयान को लेकर हो रही है। उन्होंने कांग्रेस पर सीधा निशाना साधते हुए कहा – “ये लोग अपने ही नेताओं को भूल गए!” बात त्रिभुवनदास पटेल की हो रही है, जिन्होंने गुजरात के सहकारिता आंदोलन को नई दिशा दी थी। सच कहूं तो, ये बयान आने वाले दिनों में बहुत चर्चा में रहने वाला है।

पूरा मामला क्या है?

एक तरफ तो त्रिभुवनदास पटेल को अमूल जैसे संस्थानों के पीछे की प्रेरक शक्ति माना जाता है, दूसरी तरफ कांग्रेस उनके योगदान को याद नहीं कर रही? अजीब बात है ना? असल में, ये वही पटेल साहब थे जिन्होंने दूध सहकारिता को गुजरात में जन-जन तक पहुंचाया। लेकिन अमित शाह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने इस नायक को इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया। सवाल यह है कि क्या सच में ऐसा हुआ? या फिर ये सिर्फ राजनीति का एक नया हथियार है?

यूनिवर्सिटी से ज्यादा दिलचस्प क्या हुआ?

मेहसाणा में यूनिवर्सिटी की नींव तो रखी गई – जो अपने आप में एक बड़ी बात है। अमित शाह ने कहा कि यहां के युवाओं को सहकारिता के नए अवसर मिलेंगे। लेकिन… हमेशा की तरह राजनीति ने बीच में घुसपैठ कर ली! शाह साहब ने सीधे कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वो सहकारिता के विकास में बाधक हैं। हैरानी की बात ये है कि ये आरोप ऐसे समय आए हैं जब 2024 के चुनाव दूर नहीं। संयोग? शायद नहीं!

किसने क्या कहा?

भाजपा वालों ने तो जमकर तालियां बजाईं। उनका कहना है – “कांग्रेस को इतिहास याद नहीं रहता।” वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने जवाब दिया – “ये सब झूठ है! हमने हमेशा सहकारिता को बढ़ावा दिया है।” सच कहूं तो, दोनों पक्षों के बयानों में सच का कुछ अंश जरूर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकती है। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?

आगे की राह क्या है?

देखा जाए तो ये मामला अब जल्द शांत होने वाला नहीं। 2024 की राजनीति की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और सहकारिता एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। यूनिवर्सिटी से युवाओं को फायदा मिलेगा – ये तो अच्छी बात है। लेकिन… क्या ये सहकारिता की नई कहानी लिखेगी या फिर राजनीति का एक नया अध्याय? वक्त ही बताएगा। एक बात तो तय है – गुजरात की सियासत अब और दिलचस्प होने वाली है!

यह भी पढ़ें:

अमित शाह का यह बयान तो सच में कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है। कांग्रेस के इतिहास और उसके नेताओं के साथ उनका जो रवैया रहा है, उसे लेकर सवाल तो उठते ही हैं। देखिए, त्रिभुवन दास जैसे नेताओं को भूल जाना… ये सिर्फ़ उनके योगदान को नज़रअंदाज़ करना नहीं है, बल्कि हमारी पूरी राजनीतिक विरासत को ही धुंधला देने जैसा है। और यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इसे लेकर गंभीर है?

असल में बात तो यह है कि इतिहास को संजोना सिर्फ़ एक पार्टी की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे देश का कर्तव्य है। लेकिन जब बड़े नेता ही अपने ही इतिहास से मुंह मोड़ लें, तो आम जनता क्या करे? ईमानदारी से कहूं तो, ये स्थिति थोड़ी अजीब है। क्या आपको नहीं लगता?

कांग्रेस और त्रिभुवन दास पर अमित शाह का बयान – क्या है पूरा मामला?

त्रिभुवन दास कौन थे? और कांग्रेस से उनका रिश्ता क्या था?

देखिए, त्रिभुवन दास कोई आम नेता नहीं थे। एक senior कांग्रेसी नेता, freedom fighter, और वो भी ऐसे जिन्होंने आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई। सच कहूं तो, उस दौर के कांग्रेस के top leaders में उनका नाम आता था। लेकिन आज? शायद ही कोई याद करता हो। अजीब बात है न?

अमित शाह ने कांग्रेस पर क्या आरोप लगाया?

अब यहां मजेदार बात यह है कि अमित शाह सीधे-सीधे कह रहे हैं – “कांग्रेस ने अपने ही नायक को भुला दिया!” उनका कहना है कि त्रिभुवन दास जैसे leaders को वो सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। और सच पूछो तो… इसमें कुछ तो सच्चाई लगती है। आपको नहीं लगता?

क्या सच में कांग्रेस ने त्रिभुवन दास को भुला दिया?

एक तरफ तो historians की राय है कि कांग्रेस ने अपने कई महान leaders को पीछे छोड़ दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस वाले शायद कहें कि ऐसा नहीं है। पर सवाल यह है – अगर ऐसा नहीं है तो आज की पीढ़ी त्रिभुवन दास के बारे में क्यों नहीं जानती? थोड़ा सोचने वाली बात है।

कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया है?

अभी तक official तौर पर कुछ नहीं सुनाई दिया। लेकिन मेरा अंदाजा? जल्द ही कोई न कोई बयान आएगा। क्योंकि अमित शाह के इन allegations को ignore करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। देखते हैं क्या होता है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version