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एम्स में 70 मरीजों को लगा आर्टिफिशियल कॉर्निया – जानें कैसे लौटी उनकी रोशनी!

एम्स ने 70 मरीजों की जिंदगी में जगाई नई रोशनी – Artificial Cornea की कमाल की कहानी!

सोचिए, अचानक से दुनिया अंधेरे में डूब जाए? बस, यही तो होता है जब किसी की आँखों की रोशनी चली जाती है। और सच कहूँ तो, ये सिर्फ शारीरिक समस्या नहीं है – पूरी जिंदगी उलट-पुलट हो जाती है। अब तक तो कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए हम दूसरे इंसान के कॉर्निया पर निर्भर थे, लेकिन अब विज्ञान ने एक जबरदस्त विकल्प दिया है – Artificial Cornea! एम्स दिल्ली के आरपी सेंटर में 70 मरीजों को यह टेक्नोलॉजी मिल चुकी है, और उनकी जिंदगी फिर से रंगीन हो उठी है।

कॉर्निया की समस्या: इन संकेतों को न करें नजरअंदाज

असल में, समय रहते पहचान लेना ही सबसे बड़ा इलाज है। अगर आपको लगातार –
• धुंधला या डबल दिखाई दे
• आँखों में ऐसा दर्द जैसे कुछ चुभ रहा हो
• रोशनी से आँखें चौंधियाने लगें (Photophobia वाली बात)
• आँखें लाल होकर सूज जाएं

…तो समझ जाइए, ये कॉर्निया की खराबी के संकेत हो सकते हैं। और हाँ, ये सब चोट, इन्फेक्शन या Keratoconus जैसी बीमारियों की वजह से हो सकता है।

घर पर ही कुछ आसान उपाय – थोड़ी राहत के लिए

शुरुआती दिक्कत हो तो कुछ घरेलू नुस्खे काम आ सकते हैं। मसलन –
• गुलाब जल की 2 बूँदें डालें – ठंडक मिलेगी
• ठंडे पानी से आँखें धोएं – जलन कम होगी
• स्क्रीन टाइम कम करें (हाँ, ये मोबाइल वाली पीढ़ी के लिए मुश्किल है!)
• विटामिन वाली डाइट – गाजर, पालक, संतरे खाएं

पर याद रखें, ये सिर्फ टेम्पररी सॉल्यूशन हैं। असली समस्या का इलाज तो डॉक्टर ही बता सकते हैं।

आँखों के लिए डाइट: क्या चाहिए, क्या नहीं?

यहाँ एक सिंपल फॉर्मूला –
✅ खाएं: गाजर (विटामिन-ए), आँवला (विटामिन-सी), मछली/अखरोट (ओमेगा-3)
❌ अवॉइड करें: ज्यादा नमक, तेल, शराब, सिगरेट और प्रोसेस्ड फूड

एक दिलचस्प बात – क्या आप जानते हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियां आँखों के लिए सुपरफूड की तरह काम करती हैं?

डॉक्टर के पास कब भागें?

कुछ लक्षण ऐसे हैं जहाँ ‘कल देखते हैं’ वाला रवैया खतरनाक हो सकता है –
• अचानक दिखना बंद हो जाए
• आँखों से पानी या मवाद आने लगे
• असहनीय दर्द हो
• कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद कोई दिक्कत हो

ऐसे में तुरंत एक्सपर्ट से संपर्क करें। देरी करना पछतावे का कारण बन सकता है।

तो क्या यही भविष्य है?

Artificial Cornea ने वाकई एक क्रांति ला दी है, खासकर उनके लिए जिन्हें डोनर नहीं मिल पाता। एम्स केस स्टडी तो यही बता रही है कि यह तकनीक कारगर है। लेकिन…हमेशा की तरह एक ‘लेकिन’ तो है ही – नियमित चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है। तो अगर आप या आपके किसी अपने को आँखों से जुड़ी कोई समस्या है, तो एक बार विशेषज्ञ से जरूर मिलें। आखिरकार, आँखें ही तो हैं जो इस खूबसूरत दुनिया को देखने का मौका देती हैं!

वाह! AIIMS ने 70 मरीज़ों को artificial cornea लगाकर उनकी रोशनी वापस दिलाई? यह सच में कमाल की बात है। सोचो, जिन लोगों ने सालों से अंधेरे में जीना सीख लिया था, उनकी दुनिया अचानक रोशन हो गई। लेकिन सवाल यह है कि यह बायोसिंथेटिक कॉर्निया आखिर है क्या चीज़?

देखिए, असल में यह कोई जादू नहीं, बल्कि मेडिकल साइंस की एक शानदार कामयाबी है। यह उतना ही बड़ा कदम है जितना पहली बार किसी को स्टेंट लगाना था। और सच कहूं तो, यह सिर्फ कॉर्निया प्रत्यारोपण का विकल्प नहीं, बल्कि एक नई उम्मीद है।

अब आप सोच रहे होंगे – क्या यह तकनीक हर किसी के लिए है? तो जवाब है… लगभग हां! अगर आप या आपके कोई करीबी कॉर्निया की समस्या से जूझ रहे हैं (और भारत में ऐसे लाखों मामले हैं), तो यह तकनीक game-changer साबित हो सकती है।

एक बात और – यह सिर्फ मेडिकल साइंस की बात नहीं है। सोचिए, किसी बुजुर्ग को फिर से अपने पोते-पोतियों का चेहरा देखने का मौका मिल जाए… या किसी युवा को अपना करियर बचाने का… यही तो असली सफलता है, है न?

अभी तो यह शुरुआत है। लेकिन जिस तरह से मेडिकल टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, कल को शायद और भी कमाल होगा। क्या पता, अगले दस सालों में तो यह आम प्रक्रिया बन जाए!

एम्स में आर्टिफिशियल कॉर्निया से लौटी रोशनी – सारे जवाब यहीं!

अरे भाई, कल अखबार में पढ़ा ना एम्स वाला केस? सोचा तुम्हारे लिए इसके बारे में थोड़ा डिटेल में बताऊं। क्या कहते हो?

1. आखिर ये आर्टिफिशियल कॉर्निया है क्या बला?

देखो, समझो तो ये एक तरह का ‘नकली’ कॉर्निया है – पर ऐसा नकली जो असली से भी बेहतर काम करे! Artificial Cornea नाम की ये चीज़ एक खास मटेरियल से बनी होती है, जो हमारे असली कॉर्निया की तरह ही रोशनी को फोकस करने का काम करती है। है न कमाल की बात?

2. किस-किस को इसकी जरूरत पड़ती है?

असल में, दो तरह के लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पहले वो जिनका कॉर्निया इतना खराब हो चुका है कि मरम्मत के बाहर है। दूसरे वो बेचारे जिन्हें डोनर कॉर्निया मिल ही नहीं पा रहा – जो कि हमारे देश में आम बात है। खास तौर पर Keratoconus जैसी प्रॉब्लम वालों के लिए तो ये वरदान से कम नहीं!

3. सुरक्षा का सवाल – कितना सेफ है ये सब?

सुनो, अगर किसी अनुभवी डॉक्टर के हाथों में आपकी आंख हो तो फिक्र करने की कोई बात नहीं। पर हां, कोई भी सर्जरी तो रिस्क-फ्री होती नहीं न? इसमें भी थोड़ा बहुत इन्फेक्शन या रिजेक्शन का चांस रहता ही है। पर कुल मिलाकर, फायदा ही फायदा है।

4. एम्स वालों ने कैसा परफॉर्म किया?

बिल्कुल जबरदस्त! AIIMS वालों ने 70 मरीजों पर ये प्रक्रिया की और नतीजे? लाजवाब। ज्यादातर लोगों की नजर वापस आ गई – सोचो, अंधेरे से रोशनी में आने का एहसास कैसा होगा? सच में, भारतीय मेडिकल साइंस के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है। क्या कहते हो तुम?

अरे, कोई सवाल हो तो पूछ लेना। मैंने भी अपने एक दोस्त डॉक्टर से ये सारी जानकारी जुटाई है। है न दिलचस्प टॉपिक?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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