औरंगाबाद में कौन है वो अफसर? RJD के निशाने पर, रीपोस्टिंग को लेकर भड़का विवाद

औरंगाबाद का वो अफसर कौन? RJD ने निशाना साधा, रीपोस्टिंग पर भड़की आग!

बिहार के औरंगाबाद में तो एक नियुक्ति ने हड़कंप मचा दिया है। क्या आपको यकीन होगा कि संतोष कुमार चौधरी को फिर से बाल संरक्षण इकाई में सहायक निदेशक बना दिया गया है? है ना हैरानी वाली बात? खासकर तब जब इसी शख्स पर पिछले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। RJD तो मानो आग बबूला हो गई है – उनका कहना है कि यह सरकारी भ्रष्टाचार का साफ-साफ उदाहरण है।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। 2021 की बात है जब 33 बच्चे एक सुरक्षा गृह से भाग निकले थे। उस वक्त चौधरी साहब ही इस पद पर थे। Funds के दुरुपयोग से लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने तक – सारे आरोप उन पर लगे। लेकिन सच कहूं तो हमारे सिस्टम की यही तो खासियत है न? आरोप साबित हो या न हो, वापसी तो होनी ही है! और वह भी उसी संवेदनशील विभाग में जहां से पहले ही उनका रिकॉर्ड खराब हो चुका है।

राजनीतिक गलियारों में तो मानो भूचाल आ गया है। RJD वाले तो सड़कों पर उतर आए हैं – “भ्रष्टाचार का खुला खेल” बता रहे हैं। नीतीश कुमार से तुरंत कार्रवाई की मांग हो रही है। पर सरकारी तंत्र? वो तो हमेशा की तरह ‘नो कमेंट’ मोड में है।

अब सुनिए लोग क्या-क्या बोल रहे हैं:
– RJD प्रवक्ता का तो कहना है, “बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को सजा मिलनी चाहिए।”
– Social activists चिंतित हैं कि “लोगों का विश्वास उठ जाएगा।”
– जबकि सरकारी सूत्रों का दावा है कि “आरोप साबित नहीं हुए हैं।”

किसकी बात सही है? पता नहीं। लेकिन एक बात तो तय है – यह मामला गर्मा ही रहने वाला है।

अब आगे क्या? RJD विधानसभा में हंगामा करने को तैयार है। Human rights activists कोर्ट जा सकते हैं। और अगर जनता का गुस्सा बढ़ा तो सरकार को शायद यह नियुक्ति वापस भी लेनी पड़े।

सच तो यह है कि औरंगाबाद का यह केस सवाल उठाता है – क्या हमारे यहां संवेदनशील पदों पर लोगों की नियुक्ति में कोई पारदर्शिता है? या फिर सब कुछ ‘जैसे चल रहा है, चलने दो’ वाली मानसिकता से चल रहा है? आने वाले दिनों में इसकी गूंज जरूर सुनाई देगी – राजनीति में भी, समाज में भी।

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औरंगाबाद अफसर विवाद – सच क्या है और क्या है सिर्फ राजनीति?

अरे भई, बिहार की राजनीति में तो रोज़ नया ड्रामा! औरंगाबाद का ये केस भी कम दिलचस्प नहीं। आइए बिना किसी पक्षपात के समझते हैं पूरा माजरा…

1. औरंगाबाद का वो अफसर जिसने RJD को खटकाया

तो बात हो रही है DM सुमन कुमार की। अच्छे-खासे सरकारी अफसर, लेकिन अब सोशल मीडिया की एक पोस्ट ने उन्हें विवादों में फंसा दिया। सच कहूं तो आजकल अफसरों का सोशल मीडिया एक्टिविटी भी बन गया है माइनफील्ड। एक गलत कदम और… बस!

2. रीपोस्टिंग वाला मामला – इतना बवाल क्यों?

देखिए, असल मुद्दा ये है कि DM साहब ने एक पुरानी वायरल पोस्ट शेयर कर दी। अब ये पोस्ट RJD के कुछ नेताओं पर सवाल उठाती थी। और फिर क्या? RJD वालों को लगा कि ये तो सीधा-सीधा पक्षपात है। पर सवाल ये भी है न कि क्या अफसरों को अपनी निजी राय रखने का हक नहीं? मुश्किल सवाल है।

3. क्या होगा अब? कानूनी रास्ता या सिर्फ राजनीति?

ईमानदारी से कहूं तो अभी तक तो सिर्फ नेताओं के बयान आ रहे हैं। RJD वाले चिल्ला रहे हैं कि अफसर को सस्पेंड किया जाए, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई? अभी तक तो नहीं। हालांकि, बिहार की राजनीति में कुछ भी हो सकता है। याद है न पिछले साल का वो केस?

4. ट्विटर-फेसबुक पर क्या चल रहा है?

अरे भई, सोशल मीडिया तो आग लगा रहा है! #AurangabadDM ट्रेंड कर रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं – “अफसर ने तो बस सच बोला”, तो कुछ का कहना है “ये तो साफ मिसयूज ऑफ पावर”। और RJD वाले? उनका #RJDBihar तो ट्रेंड करवाना ही था न! मज़ेदार बात ये कि ज्यादातर लोग तो पूरा केस जानते भी नहीं, फिर भी एक्सपर्ट बने हुए हैं।

अंत में बस इतना – ये केस सिर्फ एक पोस्ट से बड़ा हो गया है। असल सवाल ये है कि क्या अफसरों को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना चाहिए? आपकी राय क्या है? कमेंट में जरूर बताइएगा!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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