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EXCLUSIVE: बिहार में बाबा बागेश्वर की यात्रा से उपेंद्र कुशवाहा नाराज़ क्यों? BJP सहयोगी का बड़ा बयान

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EXCLUSIVE: बिहार में बाबा बागेश्वर की यात्रा से उपेंद्र कुशवाहा नाराज़ क्यों? BJP सहयोगी का बड़ा बयान

रविवार का दिन, बिहार की राजनीति में एक नया मसला लेकर आया। और यह कोई छोटा-मोटा विवाद नहीं, बल्कि वही पुराना धर्म-राजनीति का खेल है जिसमें इस बार मुख्य किरदार हैं बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री और उपेंद्र कुशवाहा। सवाल यह है कि आखिर क्यों एक धार्मिक नेता का भाषण BJP के सहयोगी दल को इतना परेशान कर गया?

बाबा बागेश्वर… नाम तो सुना ही होगा? आजकल यह नाम हर उस चर्चा में है जहाँ हिंदू संगठनों की बात होती है। उनकी बिहार यात्रा को लेकर तो मानो राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया। असल में, यह कोई साधारण धार्मिक कार्यक्रम नहीं था – इसे समझने के लिए आपको बिहार की जटिल राजनीति को समझना होगा। वहीं दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा… ये वही नेता हैं जिनके बयान अक्सर सुर्खियाँ बटोरते हैं। RLJP के अध्यक्ष होने के नाते इन्होंने पहले भी कई बार अपनी ही पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। मजे की बात यह कि अब तक BJP इनकी इस आदत पर आँख मूंदे रही है। लेकिन इस बार?

पूरा मामला तब गरमाया जब बाबा ने पटना में कहा, “हमारा सपना भगवा-ए-हिंद बनाने का है।” सुनकर लगा जैसे किसी ने राजनीतिक मैदान में आग लगा दी हो! उपेंद्र कुशवाहा तो मानो बस इसी का इंतज़ार कर रहे थे – तुरंत उन्होंने जवाब दिया, “धार्मिक नेताओं को राजनीति में दखल नहीं देना चाहिए।” और सबसे दिलचस्प? BJP की चुप्पी। क्या यह चुप्पी सहमति है या असहमति? कोई नहीं जानता।

अब स्थिति यह है कि हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है। RLJP के कार्यकर्ता धर्मनिरपेक्षता की रट लगाए हुए हैं, वहीं BJP के एक नेता (जो नाम नहीं लेना चाहते) कहते हैं कि बाबा का भाषण उनका निजी मामला है। समाजशास्त्री डॉ. प्रियंका सिंह ने तो चिंता जताई ही है – पर सच कहूँ तो यह कोई नई बात नहीं। धर्म और राजनीति का यह नाच तो बरसों से चल रहा है। बस अब इसकी तीव्रता बढ़ गई है।

तो अब क्या? राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणी है कि यह विवाद BJP-RLJP गठबंधन में दरार ला सकता है। विपक्ष तो मानो इस मौके की तलाश में ही था! और 2024 के general elections को देखते हुए… समझदार लोग समझ गए होंगे कि यह सब किस दिशा में जा रहा है।

एक बात तो तय है – बिहार की राजनीति में धर्म का प्रवेश अब और गहरा हो गया है। और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएँगे, यह खेल और भी रोमांचक होता जाएगा। आप क्या सोचते हैं? क्या यह सब सही दिशा में जा रहा है, या फिर…?

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1. उपेंद्र कुशवाहा का बाबा बागेश्वर यात्रा पर इतना रोष क्यों?

देखिए, बात यह है कि उपेंद्र कुशवाहा, जो BJP के साथ गठबंधन में हैं और RLSP के बड़े नेता, इन्हें लग रहा है कि उन्हें जानबूझकर side किया जा रहा है। अब सोचिए, एक तरफ तो यह यात्रा राजनीतिक तौर पर इतनी अहम है, लेकिन उन्हें इसमें शामिल ही नहीं किया गया? थोड़ा तो गुस्सा आएगा ही न! असल में, यह सिलसिला पुराना है – BJP पर उनका यह आरोप कि बिहार में उनकी पार्टी को ignore किया जा रहा है।

2. बाबा बागेश्वर यात्रा का असली मतलब क्या है? राजनीति या आस्था?

अरे भई, यह सवाल तो बिल्कुल सही उठाया आपने! बाबा बागेश्वर की यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति का एक बड़ा मैदान है। BJP और उसके साथी इसे ‘सामाजिक एकता’ का प्रतीक बताते हैं, लेकिन हकीकत में? यह सीधा OBC और EBC वोट बैंक को target करती है। और भला हो न हो, बिहार की सियासत में तो यही वोट बैंक गेम चेंजर है न!

3. BJP ने कुशवाहा के गुस्से पर क्या किया? कोई एक्शन या सिर्फ बयानबाजी?

सच कहूं तो अभी तक तो BJP की तरफ से कोई official बयान नहीं आया है। लेकिन पर्दे के पीछे? पार्टी के कुछ sources बता रहे हैं कि वे कुशवाहा से बातचीत करके इस मामले को शांत करने की कोशिश में हैं। हालांकि, BJP के नेता इसे ‘internal matter’ बता कर टाल रहे हैं। पर सवाल यह है कि कब तक?

4. क्या यह झगड़ा BJP-RLSP गठबंधन को तोड़ देगा? असली खतरा क्या है?

अभी के लिए तो कुशवाहा ने गठबंधन छोड़ने की कोई बात नहीं कही। लेकिन… और यह बड़ा लेकिन है… अगर यह मामला और बढ़ा, तो स्थिति बिगड़ सकती है। राजनीति में तो छोटी-सी चिंगारी भी बड़ा आग लगा देती है। फिलहाल तो यह एक warning signal की तरह है – अगर BJP ने इसे ignore किया, तो आने वाले दिनों में political equations पलट सकती हैं। बिहार की राजनीति, है न कभी-कभी बड़ी unpredictable!

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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