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बिहार ने रचा इतिहास! देश में पहली बार एक बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1200 तक सीमित

बिहार ने रचा इतिहास! एक बूथ पर सिर्फ 1200 वोटर – ये क्यों है बड़ी बात?

दोस्तों, भारतीय लोकतंत्र में आज एक बड़ी खबर है। बिहार ने एक ऐसा काम किया है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। अब हर मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या सिर्फ 1,200 तक ही रहेगी। सुनने में छोटी सी बात लगती है न? लेकिन असल में ये एक बड़ा बदलाव है। इसके लिए बिहार में 12,817 नए बूथ बनाए गए हैं। और तो और, चुनाव आयोग भी इतना खुश हुआ कि अब पूरे भारत में यही नियम लागू करने की सोच रहा है। सोचिए, अब वो लंबी-लंबी कतारें और भीड़भाड़ वाले दृश्य कम हो जाएंगे। मतदान करना एक आरामदायक अनुभव होगा – जैसा कि होना चाहिए!

अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये बदलाव क्यों जरूरी था? देखिए, पहले की बात करें तो एक बूथ पर 1,500 से 2,000 वोटर आ जाते थे। कल्पना कीजिए – इतने सारे लोग, एक ही जगह, एक ही समय पर! नतीजा? लोग घंटों लाइन में खड़े रहते थे। 2019 के चुनाव में तो हालात इतने खराब हुए कि लोगों ने खुलकर शिकायतें कीं। यही वजह है कि 2020 में एक समिति बनी थी जिसने ये सुझाव दिया। और अब बिहार ने सबसे पहले इस पर अमल किया है। सच कहूं तो ये एक साहसिक कदम है!

इस नए सिस्टम की खास बात क्या है? अब बिहार में मतदान केंद्रों की संख्या 1,12,000+ हो गई है। यानी लगभग 13% की बढ़ोतरी। लेकिन ये इतना आसान नहीं था। इसके लिए नई EVM मशीनें और स्टाफ की व्यवस्था करनी पड़ी। पर जो फायदा होने वाला है, वो किसी चमत्कार से कम नहीं। खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए ये वरदान साबित होगा। क्योंकि इन्हें तो पहले बेहद परेशानी होती थी।

अब सबकी प्रतिक्रियाएं क्या हैं? चुनाव आयोग तो मानो खुशी से फूला नहीं समा रहा। उनका कहना है कि ये “पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम” है। बिहार सरकार भी गर्व से कह रही है कि वो “देश में मिसाल कायम कर रही है”। ज्यादातर राजनीतिक दल भी खुश हैं, हालांकि कुछ लोग खर्चे और संसाधनों को लेकर चिंता जता रहे हैं। पर असली बात ये है कि आम वोटर इससे संतुष्ट दिख रहे हैं। और आखिरकार, यही तो मायने रखता है!

तो अब आगे क्या? चुनाव आयोग की नजर अब 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। वो चाहता है कि तक तक ये सिस्टम पूरे देश में लागू हो जाए। इसके लिए दूसरे राज्यों को भी अपने बूथ बढ़ाने होंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे न सिर्फ वोटिंग परसेंटेज बढ़ेगा, बल्कि प्रक्रिया भी ज्यादा पारदर्शी होगी। और हो सकता है कि यही रास्ता आगे डिजिटल वोटिंग जैसे नए प्रयोगों के लिए भी खोले।

अंत में बस इतना कि बिहार का ये फैसला सचमुच ऐतिहासिक है। ये न सिर्फ वोटिंग को आसान बनाएगा, बल्कि हमारे लोकतंत्र को और मजबूत भी करेगा। क्योंकि जब हर वोटर को आसानी से वोट डालने का मौका मिलेगा, तभी तो सच्चा लोकतंत्र साकार होगा। वैसे भी, क्या यही हम सब चाहते हैं न?

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Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com

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