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बिहार में SIR विवाद: चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 326 का जिक्र कर क्या संकेत दिया? जानें पूरा मामला

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बिहार का SIR विवाद: चुनाव आयोग का अनुच्छेद 326 वाला बयान क्या गड़बड़झाला है?

अरे भई, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में नया मसाला पड़ गया है! SIR (Superintendent of Intelligence Registration) नाम के इस पद को लेकर जो बवाल मचा है, उसने पटना से लेकर दिल्ली तक सबकी नींद उड़ा दी है। और अब तो चुनाव आयोग ने भी अनुच्छेद 326 का जिक्र करके एक ऐसा बयान दिया है जिसकी गूंज अगले कई हफ्तों तक सुनाई देगी। सच कहूं तो, ये सिर्फ एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा सवाल बन चुका है।

असल में झगड़ा किस बात का है?

देखिए न, बिहार में ये SIR वाला पद तो काफी समय से चर्चा में था – लेकिन अब बात हाथ से निकलती दिख रही है। विपक्ष वालों का कहना है कि सरकार इसका इस्तेमाल वोटर लिस्ट में गोलमाल करने के लिए कर रही है। RJD के तेजस्वी यादव तो बिल्कुल आगबबूला हो गए हैं – “लोकतंत्र पर खतरा!” वाली बातें कर रहे हैं। वहीं सरकार वालों का कहना है कि ये सब बेबुनियाद आरोप हैं।

अब इन सबके बीच चुनाव आयोग का बयान आया है… और भई, ये कोई मामूली बात नहीं है! अनुच्छेद 326 की बात करके उन्होंने साफ कर दिया है कि वोटिंग के अधिकार से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मतलब साफ है न? जैसे कह रहे हों – “हम नजर रखे हुए हैं।”

राजनीति गरमाई, बंद का ऐलान!

अब तो मामला और गरमा गया है। तेजस्वी यादव ने तो बिहार बंद का ऐलान कर दिया है। उनका दावा है कि SIR के जरिए वोटर डेटा में छेड़छाड़ की जा रही है। वहीं NDA वाले इसे “चुनावी प्रोपेगैंडा” बता रहे हैं।

पर सबसे दिलचस्प बात? चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जो कहा – वो तो गेम चेंजर साबित हो सकता है। अनुच्छेद 326 की याद दिलाकर उन्होंने साफ संदेश दे दिया है कि मताधिकार के साथ छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी। थोड़ा इशारा-इशारा भी है कि SIR की गतिविधियों पर नजर है।

आगे क्या? कोर्ट तक जाएगा मामला?

अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? 2025 के चुनावों में नई गाइडलाइंस आ सकती हैं। विपक्ष वाले तो सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की तैयारी में हैं। बिहार बंद के बाद तनाव और बढ़ेगा, ये तो तय है।

असल में देखा जाए तो, ये SIR वाला मामला अब एक छोटी सी प्रशासनिक बहस नहीं रहा। ये तो चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल बन गया है। चुनाव आयोग ने जिस तरह से हस्तक्षेप किया है, उससे लगता है कि ये सिलसिला अभी लंबा चलेगा। और हां, राजनीतिक दांव-पेच भी देखने को मिलेंगे – ये तो पक्का है!

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1. बिहार में ये SIR वाला विवाद क्या है? और इतनी हंगामा क्यों?

देखिए, मामला कुछ यूँ है – बिहार में SIR (Special Intelligence Report) के नाम पर राजनीतिक रैलियों और भाषणों पर नज़र रखे जाने की बात सामने आई है। अब सवाल यह है कि क्या यह सही है? चुनाव आयोग ने तो इसे गंभीर मानते हुए अनुच्छेद 326 का हवाला दिया है। और सच कहूँ तो, यह सिर्फ एक प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा सवाल है।

2. अनुच्छेद 326 का जिक्र कर चुनाव आयोग क्या कहना चाहता है?

असल में बात बड़ी सीधी है। अनुच्छेद 326 “वयस्क मताधिकार” (Adult Suffrage) की बात करता है। मतलब? हर वोटर को बिना किसी दबाव के वोट देने का अधिकार। अब अगर उसकी political रैलियों पर नज़र रखी जाएगी, तो क्या यह उसकी आज़ादी पर हमला नहीं? चुनाव आयोग यही इशारा कर रहा है। सोचने वाली बात है, है न?

3. कौन-कौन सी पार्टियाँ इस SIR रिपोर्टिंग के खिलाफ हैं?

RJD, Congress और Left पार्टियाँ तो जैसे आग बबूला हैं! इनका कहना है कि यह सरकार का विपक्ष को डराने का नया तरीका है। और सच पूछो तो, थोड़ा बहुत तर्क भी तो इनकी बात में दिखता है। क्योंकि अगर intelligence agencies सच में निष्पक्ष हैं, तो फिर सिर्फ विपक्षी नेताओं के भाषण ही क्यों ट्रैक हो रहे हैं?

4. क्या 2025 के बिहार चुनाव पर पड़ेगा इसका असर?

अभी तो चुनाव दूर हैं, लेकिन राजनीति गर्म है। चुनाव आयोग ने जिस तरह से इस मामले में दखल दिया है, वो काफी अहम है। अब देखना यह है कि क्या SIR जैसी प्रथाओं पर कोई नई गाइडलाइन आती है या नहीं। एक तरफ तो सुरक्षा का सवाल है, दूसरी तरफ लोकतंत्र की मर्यादा। बैलेंस बनाना मुश्किल होगा, यह तो तय है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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