“बिहार की मतदाता सूची से 35.5 लाख वोटर्स हटेंगे! चुनाव आयोग के नए अपडेट ने छेड़ा सियासी तूफान!”

बिहार की वोटर लिस्ट से 35.5 लाख नाम कटेंगे? चुनाव आयोग का बड़ा फैसला और राजनीति में हड़कंप!

अरे भई, बिहार की राजनीति में तो बवाल मच गया है! चुनाव आयोग ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने सभी को चौंका दिया। सुनकर हैरान रह जाएंगे – राज्य की वोटर लिस्ट से 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। पर सवाल यह है कि क्यों? असल में ये वो लोग हैं जो या तो इस दुनिया में नहीं रहे, किसी और राज्य में शिफ्ट हो गए हैं या फिर… है ना मजेदार बात… एक से ज्यादा बार रजिस्टर हो गए थे। साफ-सफाई का यह काम अच्छा है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच बहस छिड़ गई है। क्या सच में यह पारदर्शिता की दिशा में कदम है या कुछ और चल रहा है?

पूरी कहानी: रातोंरात नहीं हुआ यह फैसला

देखिए, यह कोई अचानक लिया गया निर्णय नहीं है। चुनाव आयोग ने National Voter Service Portal (NVSP) के जरिए लंबे समय से मतदाताओं को वेरिफाई कर रहा था। मजेदार आंकड़ा – 88.66% लोगों ने तो अपना फॉर्म जमा कर दिया, बाकी अभी भी पेंडिंग हैं। और हां, यह पहली बार नहीं है। 2022 में भी तो 24 लाख वोटर्स का नाम काटा गया था। उस वक्त भी विपक्ष ने हंगामा किया था। तो नया क्या है इस बार?

इस बार क्या है खास?

इस बार तो स्केल ही अलग है! 35.5 लाख नाम… यानी पूरा का पूरा एक छोटा राज्य! इनमें वो लोग शामिल हैं जो:
– अब इस दुनिया में नहीं हैं (दुखद, पर सच)
– एक से ज्यादा जगह रजिस्टर थे (चालाकी नहीं चलेगी!)
– दूसरे राज्य में शिफ्ट हो गए

चुनाव आयोग का दावा है कि यह साफ-सुथरी वोटर लिस्ट बनाने के लिए जरूरी है। पर क्या यह इतना आसान है जितना दिख रहा है?

राजनीति गरमाई: कौन क्या बोला?

अब यहां तो मजा आ गया! सरकार पक्ष (जदयू-भाजपा) ताली बजा रहा है – “बहुत अच्छा कदम, धांधली रुकेगी!” वहीं विपक्ष (राजद-कांग्रेस) आग बबूला – “साजिश है! वोटर काटकर चुनाव जीतना चाहते हैं!” बीच-बचाव करते निर्दलीय विश्लेषक कहते हैं – “अगर ईमानदारी से हुआ तो अच्छा है, पर राजनीतिक दखल न हो।” सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा।

अब आगे क्या? कोर्ट तक जाएगा मामला?

चुनाव आयोग ने 2 महीने के अंदर फाइनल लिस्ट जारी करने की बात कही है। लेकिन… और यह बड़ा लेकिन है… विपक्ष शायद इसे चुनौती दे। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में यह मुद्दा गरमा सकता है। वैसे भी, बिहार में तो हर वोट की कीमत होती है ना!

आखिरी बात: सफाई या सियासत?

सच कहूं तो यह फैसला दोहरी तलवार जैसा है। एक तरफ तो वोटर लिस्ट की सफाई जरूरी है – जैसे घर की सफाई। पर दूसरी तरफ… राजनीति का खेल भी तो है! अब देखना यह है कि यह प्रक्रिया कितनी निष्पक्ष रहती है। एक बात पक्की है – अगले कुछ महीनों तक बिहार की राजनीति में यह मुद्दा गरमा रहेगा। और हम सबके लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कौन निकलेगा सही?

यह भी पढ़ें:

बिहार की वोटर लिस्ट में भूचाल – क्या आपके नाम पर भी खतरा?

1. 35 लाख वोटर्स का सफाया? ये खेल क्या है?

देखिए, चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। असल में, voter list में जो नाम डुप्लीकेट हैं, गलत हैं या फिर… खैर, जिनका अब इस दुनिया से नाता नहीं रहा – उन्हें हटाया जा रहा है। सच कहूं तो ये सफाई तो होनी ही चाहिए थी। क्योंकि अगर आपके पड़ोस में रामू काका का नाम अभी तक voter list में है जबकि उनका तो… आप समझ गए न? बिल्कुल सही कदम।

2. सिर्फ बिहार की बारी या पूरे देश को टारगेट कर रहा है EC?

अभी तो बिहार की बारी है। लेकिन मेरे एक सूत्रों से पता चला है कि चुनाव आयोग पूरे देश की voter list को लेकर गंभीर है। मतलब ये कि आप चाहे दिल्ली में रहते हों या चेन्नई में, जल्दी ही आपके राज्य में भी ऐसी सफाई हो सकती है। एक तरह से देखें तो ये अच्छी खबर है – कम से कम voter list तो सही होगी न?

3. अरे बाप रे! अगर मेरा नाम ही गायब हो गया तो?

घबराइए मत! अगर ऐसा होता है (जो कि हो सकता है, क्योंकि सिस्टम तो सिस्टम है), तो आपके पास दो रास्ते हैं:
– सीधे अपने इलाके के electoral office में जाकर शिकायत दर्ज कराएं
– NVSP पोर्टल पर online complaint करें (जो कि ज्यादा आसान है, खासकर अगर आप टेक-सैवी हैं)

एक छोटी सी टिप – complaint करते समय अपना voter ID नंबर जरूर साथ रखें। वरना फिर वही… “सर आपका नाम ही नहीं मिल रहा” वाली कहानी!

4. सियासत की रोटियां सेंकने का समय आ गया?

अब यहां मजा शुरू होता है! ये voter list अपडेट बिहार की राजनीति में भूचाल ला सकता है। क्यों? क्योंकि कई नेताओं के तो vote bank ही डुप्लीकेट वोटर्स पर टिके होते हैं। आपने देखा होगा – एक इलाके में जनसंख्या 10,000 है लेकिन वोटर्स 15,000! अब ये गणित कैसे काम करता था… है न मजेदार सवाल?

Ruling party और opposition दोनों ही इस मुद्दे पर अपनी-अपनी रोटियां सेंक रही हैं। कुछ कह रहे हैं “सही कदम”, तो कुछ चिल्ला रहे हैं “ये तो voter suppression है!”। असली खेल तो अब शुरू होगा जब नई voter list आएगी। फिर देखिएगा कौन कितना रोता है!

PS: अगर आपको लगता है कि आपका नाम voter list से गायब हो सकता है, तो जल्दी से एक बार चेक कर लीजिए। बाद में “अरे यार!” करने से क्या फायदा?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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