अरबपति चार्ल्स कोहेन की मुसीबत: वाइन, हवेलियाँ, सुपरयॉट और फेरारी… सब खतरे में!
क्या आपने कभी सोचा है कि अमीरों की ज़िंदगी भी कितनी अनपेडिक्टेबल हो सकती है? अमेरिकी रियल एस्टेट किंग चार्ल्स कोहेन आज ऐसे ही एक झटके से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। सच बताऊँ तो, Fortress Investment Group ने उन पर जो बम गिराया है, वो उनकी पूरी लग्जरी लाइफस्टाइल को उड़ा सकता है। 535 मिलियन डॉलर (यानी लगभग 4,400 करोड़ रुपये!) का कर्ज… और अब कोर्ट ने तो जैसे उनकी सारी शानो-शौकत पर ताला लगा दिया है। वाइन कलेक्शन से लेकर सुपरयॉट तक – सब कुछ अब सरकारी कब्जे में जा सकता है। ये केस सिर्फ एक अरबपति की कहानी नहीं, बल्कि पूरे कॉर्पोरेट लोन सिस्टम पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
कहाँ गलती हुई? एक टाइकून का डाउनफॉल
देखिए, चार्ल्स कोहेन कोई नौसिखिया बिजनेसमैन तो हैं नहीं। न्यूयॉर्क से मियामी तक, इस शख्स ने जितनी बड़ी-बड़ी प्रॉपर्टी डील्स की हैं, उन्हें सुनकर आपके होश उड़ जाएँ। लेकिन 2022 में लिया गया वो 535 मिलियन डॉलर का लोन… वही उनके लिए अभिशाप बन गया। असल में, कोहेन ने अपनी कई संपत्तियों को गिरवी रखा था – जैसे हममें से कोई गोल्ड लोन के लिए अपना चेन गिरवी रखता है। पर अब बात बन नहीं रही। और समस्या ये है कि जब बड़े लोगों के बड़े लोन डिफॉल्ट होते हैं, तो उसकी गूँज पूरे मार्केट में सुनाई देती है।
कोर्ट का झटका: “अब नहीं चलेगा ये शाही अंदाज़!”
अब ये मामला सिर्फ पैसों तक सीमित नहीं रहा। कोर्ट ने तो जैसे कोहेन की पूरी लाइफस्टाइल पर ही रेड मार्क लगा दिया है। कैलिफ़ोर्निया की विला? गई। 10 मिलियन डॉलर की वाइन? गई। सुपरयॉट और फेरारी का कलेक्शन? भाई, वो तो बिल्कुल गया! हालाँकि कोहेन की टीम अभी भी लड़ रही है, पर एक्सपर्ट्स की राय में ये सब सिर्फ टाइम पास है। अगर अगले कुछ दिनों में कोई डील नहीं हुई, तो नीलामी की नोटिस लगने में देर नहीं लगेगी।
दोनों पक्षों की बात: “हम सही, वो गलत!”
इस पूरे झगड़े में सबसे मज़ेदार (या कहें दुखद?) बात ये है कि दोनों तरफ से जो बयान आ रहे हैं, वो एक-दूसरे से उल्टे हैं। Fortress वालों का कहना है – “हम तो बस अपने निवेशकों का पैसा बचा रहे हैं।” वहीं कोहेन की टीम इसे ‘मामूली तकनीकी गड़बड़ी’ बता रही है। पर सच तो ये है कि आजकल बड़े फंड्स कर्ज़दारों के साथ कोई रियायत नहीं दे रहे। एक तरह से ये केस दूसरे अमीरों के लिए वॉर्निंग साइन है – चाहे आप कितने भी बड़े क्यों न हों, लोन का पैसा तो चुकाना ही पड़ेगा!
आगे क्या? कोहेन के लिए अब कौन-सा दरवाज़ा खुलेगा?
अब सवाल ये उठता है कि अगर सब कुछ जब्त हो गया, तो कोहेन का साम्राज्य क्या मिट्टी में मिल जाएगा? ईमानदारी से कहूँ तो, इतनी बड़ी गिरावट से उबरना आसान नहीं होगा। सोशल स्टेटस से लेकर बिजनेस क्रेडिबिलिटी तक – सब कुछ दाँव पर लगा है। और ये केस तो अब एक केस स्टडी बन चुका है। रियल एस्टेट वालों से लेकर निवेशकों तक, सभी की नज़र इस पर टिकी हुई है। एक बात तो तय है – अब कोई भी बड़ा लोन लेने से पहले सौ बार सोचेगा!
आखिर में बस इतना ही – चार्ल्स कोहेन की ये कहानी हमें याद दिलाती है कि पैसा हो या न हो, ज़िंदगी कभी भी किसी को भी करवट बदल सकती है। और जहाँ तक इस केस का सवाल है… अभी तो ये सिर्फ शुरुआत है। आने वाले दिनों में और भी कई ट्विस्ट्स आने वाले हैं। क्या कोहेन इस संकट से उबर पाएँगे? या फिर ये उनके करियर का अंत होगा? वक्त ही बताएगा।
चार्ल्स कोहेन की कहानी तो सच में कुछ ऐसी है जो दिमाग पर चस्पा हो जाती है। सोचिए, इतना पैसा, इतनी शोहरत, फिर भी वित्तीय अनिश्चितता का यह हाल? है ना हैरान कर देने वाली बात? उनकी वाइन कलेक्शन, शानदार हवेलियाँ, सुपरयॉट और फेरारी जैसी गाड़ियाँ – ये सब तो हम सबका सपना होता है। लेकिन जब यही चीज़ें जब्त होने लगें, तो समझ आता है कि Luxury Market में भी कितना रिस्क है।
असल में देखा जाए तो यह केवल कोहेन की कहानी नहीं है। यह तो एक सबक है हम सबके लिए। बड़े-से-बड़े खिलाड़ी भी… अरे भाई, लोन डिफॉल्ट की मार से बच नहीं पाते। क्या आपने कभी सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है? मैं तो हर बार यही सोचता हूँ – पैसा हो या न हो, financial planning तो ज़रूरी है ही। वरना फेरारी भी किस काम की जो EMI न भर पाएँ?
एक तरफ तो यह कहानी डराती है, लेकिन दूसरी तरफ सिखाती भी है। समझदारी की बात यही है कि चाहे आप छोटे इन्वेस्टर हों या बड़े, रिस्क मैनेजमेंट को नज़रअंदाज़ न करें। वरना… खैर, आप समझ गए होंगे।
Source: NY Post – Business | Secondary News Source: Pulsivic.com