“भाजपा ने सीखा सबक! जगदीप धनखड़ जैसी गलती अब नहीं, उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी रणनीति जानें”

भाजपा ने आखिरकार सीख ही लिया सबक! धनखड़ जैसी गलती अब नहीं दोहराएगी, जानिए उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्लानिंग

अरे भाई, राजनीति के इस मैदान में इन दिनों बस एक ही चर्चा है – आखिर देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद तो यह सवाल हर किसी की जुबान पर है। और सच कहूं तो, इस बार भाजपा बिल्कुल अलग तरीके से खेल रही है। देखा जाए तो चुनाव आयोग ने तो प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन असली मजा तो तब आएगा जब मोदी जी मालदीव से लौटकर एनडीए की बैठक करेंगे। वहीं तय होगा कि कौन बनेगा देश का नया उपराष्ट्रपति।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। याद कीजिए धनखड़ साहब के वो विवादित बयान? सच बताऊं तो सरकार को कई बार शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। और भई, उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से तो उम्मीदें और भी ज्यादा होती हैं। शायद इसीलिए इस बार भाजपा दो-टूक रणनीति पर काम कर रही है – ऐसा उम्मीदवार जो पार्टी लाइन पर तो चले ही, साथ ही संविधान की मर्यादा भी बनाए रखे। वैसे, पिछले चुनावों में एनडीए ने कई बार ऐसे फैसले लिए हैं जिन्होंने विपक्ष की नींद उड़ा दी। कौन जाने इस बार भी कोई ऐसा ही मास्टरस्ट्रोक हो!

ताजा अपडेट की बात करें तो… चुनाव आयोग ने तिथियां तो घोषित कर दी हैं, लेकिन असली खेल तो बैकडोर मीटिंग्स में हो रहा है। सूत्रों की मानें तो एनडीए नेताओं ने संभावित उम्मीदवारों की एक छोटी सी लिस्ट तैयार कर ली है। और हां, इस बार एक बड़ा ट्विस्ट हो सकता है – क्या पता भाजपा कोई दलित या महिला उम्मीदवार को मौका दे दे! अगर ऐसा हुआ तो यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक बड़ा पॉलिटिकल स्टेटमेंट होगा।

दिलचस्प बात यह है कि अलग-अलग दलों की प्रतिक्रियाएं भी कम रोचक नहीं हैं। भाजपा वाले तो बस एक ही राग अलाप रहे हैं – “राष्ट्रहित, संवैधानिक मर्यादा…” वहीं कांग्रेस वाले चिल्ला रहे हैं कि विपक्ष से भी सलाह लो भई! पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो भाजपा इस बार बिल्कुल रिस्क नहीं लेना चाहती। धनखड़ एक्सपेरिमेंट से तो उन्होंने सीख ले ही ली है।

अब आगे क्या? सीधी सी बात है – मोदी जी की अगुआई में एनडीए की बैठक होगी, नाम फाइनल होगा। लेकिन यहां सबसे मजेदार बात यह होगी कि अगर भाजपा वाकई किसी महिला या दलित नेता को चुनती है… अरे भई, तब तो यह सोशल इन्क्लूजन का सबसे बड़ा उदाहरण बन जाएगा! राजनीति के इस दिलचस्प दौर में एक बात तो तय है – आने वाले दिनों में गरमा-गरम बहसें होने वाली हैं। और हम सबकी नजरें इस बात पर टिकी रहेंगी कि आखिर यह महत्वपूर्ण पद किसे मिलता है!

एक बात तो साफ है – इस बार भाजपा ने अपना होमवर्क पूरा कर लिया है। गलतियों से सीख लेकर, पूरी प्लानिंग के साथ वे मैदान में उतरे हैं। बस, अब देखना यह है कि यह स्ट्रैटेजी काम करती है या नहीं। क्योंकि राजनीति में, जैसा कि हम सभी जानते हैं, कुछ भी तय नहीं होता… है न?

यह भी पढ़ें:

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

झालावाड़ स्कूल त्रासदी: 7 मासूमों की मौत का रहस्य, जानिए पूरी कहानी और जिम्मेदार कौन?

जलवायु संकट की मार: भारत और दुनिया में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments