अप्रैल-जून 2025 में कोयला उत्पादन में जबरदस्त उछाल! कैप्टिव और कमर्शियल माइंस ने किया 16% का कमाल
अच्छी खबर सुनने का मन है? तो सुनिए… भारत का कोयला सेक्टर इन दिनों जैसे पंख लगाकर उड़ रहा है। कोयला मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े देखें तो जून 2025 में कैप्टिव और कमर्शियल माइंस से उत्पादन 15.57 MT तक पहुँच गया – यानी पिछले साल के मुकाबले 16% ज्यादा! और तो और, डिस्पैच भी 17.31 MT रहा जो 13% की बढ़त दिखाता है। सच कहूँ तो ये सिर्फ एक महीने की बात नहीं, बल्कि पूरी तिमाही का शानदार प्रदर्शन है।
अब सवाल यह है कि ये ग्रोथ आखिर हुई कैसे? असल में, सरकार ने पिछले कुछ सालों में कोयला सेक्टर को लेकर कई स्मार्ट फैसले लिए हैं। आत्मनिर्भर भारत की बात हो या आयात पर निर्भरता कम करने की – ये सारे प्रयास अब रंग ला रहे हैं। खासकर जब से बिजली प्लांट्स और इंडस्ट्रीज की भूख कोयले के लिए लगातार बढ़ रही है। समझ सकते हैं न?
एक नजर जून 2025 के आँकड़ों पर:
– उत्पादन: 15.57 MT (16% ↑)
– डिस्पैच: 17.31 MT (13% ↑)
ये सब हुआ कैसे? सरकार ने माइंस के आवंटन की प्रक्रिया को आसान बनाया, नई टेक्नोलॉजी अपनाई और पारदर्शिता बढ़ाई। सीधी सी बात है – जब सिस्टम सुधरता है, तो नतीजे खुद-ब-खुद सामने आते हैं।
कोयला मंत्रालय तो इस उपलब्धि पर फूला नहीं समा रहा। उनका कहना है कि ये हमारी एनर्जी सिक्योरिटी के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। लेकिन… हमेशा की तरह दोनों तरफ के विचार आ गए न! इंडस्ट्री वालों ने आपूर्ति बढ़ने की तारीफ तो की है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्ट में और सुधार की मांग भी उठाई है। वहीं पर्यावरणविदों की चिंता भी समझ आती है – “क्या कोयला बढ़ाना टिकाऊ समाधान है?” उनका तर्क है कि रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस करना चाहिए।
आगे की राह? सरकार ने 2025-26 तक 1 बिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। नई माइंस और मौजूदा खदानों के विस्तार पर काम चल रहा है। पर यहाँ एक अहम बात – सरकार ने साफ किया है कि पर्यावरण मानकों और स्थानीय लोगों के हितों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा। सतत विकास की बात भी हो रही है। सच पूछो तो ये एक बैलेंसिंग एक्ट है – एक तरफ एनर्जी जरूरतें, दूसरी तरफ पर्यावरणीय चुनौतियाँ।
फिलहाल तो ये आंकड़े उम्मीद जगाते हैं। लेकिन लॉन्ग टर्म में क्या होगा? वक्त ही बताएगा। आपको क्या लगता है – क्या कोयला हमारी एनर्जी समस्या का स्थायी हल है? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: Livemint – Industry | Secondary News Source: Pulsivic.com