क्या हिंद महासागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी भारत के लिए मुसीबत बन रही है?
अभी कुछ दिन पहले की बात है, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक बयान दिया जिसने सबका ध्यान खींचा। असल में, उन्होंने हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक गतिविधियों पर सीधे-सीधे चिंता जताई। और सच कहूँ तो, चिंता की बात भी है! भारत सरकार ने साफ़ कर दिया है कि वो चीन के इस ‘समुद्री शक्ति’ बनने के खेल को लेकर पूरी तरह अलर्ट है। देखा जाए तो यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब पूरा हिंद महासागर क्षेत्र भू-राजनीतिक तनावों की आग में झुलस रहा है।
पूरा माजरा क्या है?
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। हिंद महासागर – ये सिर्फ पानी का एक बड़ा हिस्सा नहीं, बल्कि दुनिया की नसें हैं जहाँ से भारत का 80% तेल आता है। यह उतना ही ज़रूरी है जितना कि आपके घर में रसोई गैस का सिलेंडर! पिछले 10 सालों में चीन ने यहाँ अपनी पकड़ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह हो या पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट – ये सब चीन की उसी ‘String of Pearls’ रणनीति का हिस्सा हैं जिसे समझना बेहद ज़रूरी है। मतलब साफ़ है – भारत को घेरने की पूरी कोशिश। इसके जवाब में भारत ने ‘SAGAR’ पहल शुरू की है, जो कि एक बेहतरीन कदम है। लेकिन क्या यह काफ़ी है?
ताज़ा हालात
अब आते हैं मौजूदा स्थिति पर। विदेश राज्य मंत्री ने खुलासा किया कि हिंद महासागर में चीन की नौसेना और जासूसी जहाजों की आवाजाही पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई है। और तो और, चीन ने तो अपना पहला विमानवाहक पोत तक यहाँ भेज दिया है! ये कोई मामूली बात नहीं। भारत ने इसका जवाब अंडमान-निकोबार कमांड को मज़बूत करके और ‘Quad’ (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ) के सहयोग से दिया है। स्मार्ट मूव, है न?
कौन क्या कह रहा?
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो ये सब चीन की एक सोची-समझी रणनीति है। वहीं चीन का कहना है कि उसके सारे काम शांतिपूर्ण हैं। पर हम भारतीय जानते हैं न, ये ‘Debt Diplomacy’ का खेल है – छोटे देशों को कर्ज़ देकर फँसाने वाला। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश भी अब इस मामले में दिलचस्पी ले रहे हैं। साफ़ है कि ये मुद्दा अब सिर्फ भारत-चीन तक सीमित नहीं रहा।
आगे का रास्ता
तो अब सवाल यह है कि आगे क्या? भारत को अपनी नौसेना को और मज़बूत करना होगा, ‘Quad’ देशों के साथ तालमेल बढ़ाना होगा। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में हिंद महासागर में तनाव और बढ़ सकता है। और याद रखिए, यह सिर्फ सैन्य मोर्चे पर नहीं, बल्कि कूटनीति और अर्थव्यवस्था की भी लड़ाई है।
अंत में बस इतना – चीन की यह दखलंदाजी भारत के लिए बड़ी चुनौती तो है ही, लेकिन हमारे देश ने पहले भी ऐसी मुश्किलों का सामना किया है। ज़रूरत है सिर्फ सही रणनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति की। आपको क्या लगता है – क्या भारत इस चुनौती का सामना कर पाएगा?
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हिंद महासागर में चीन की दखलंदाजी – क्या है असली मामला?
अरे भाई, आजकल हर दूसरी खबर में यही सुनने को मिलता है न? चीन हिंद महासागर में क्या कर रहा है, भारत क्या कर रहा है… लेकिन असल में यह सब इतना important क्यों है? चलो समझते हैं बिना किसी जटिल भाषा के।
1. भारत को चीन की हिंद महासागर में दिलचस्पी से इतना डर क्यों?
देखिए, हिंद महासागर हमारे लिए सिर्फ पानी का एक बड़ा हिस्सा नहीं है। यह तो हमारी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की जान है! अब सोचिए, अगर आपके घर के बाहर कोई stranger बैठकर आप पर नजर रखने लगे तो? चीन का बढ़ता naval presence, Djibouti में military base, और वो “String of Pearls” वाली strategy – ये सब ऐसा ही है। हमारे trade routes और security के लिए सीधा खतरा।
2. चीन कैसे फैला रहा है अपने पैर?
असल में चीन ने बड़ी चालाकी से काम किया है। ये लोग:
– Pakistan के Gwadar port और Sri Lanka के Hambantota में पैसा लगाकर अपनी पकड़ बना रहे हैं (क्या आप जानते हैं Hambantota तो अब practically चीन का ही है?)
– BRI के नाम पर loans देकर छोटे देशों को फंसा रहे हैं – जैसे कोई साहूकार!
– Naval patrols और military exercises तो करते ही हैं, साथ ही fishing boats और research vessels के बहाने spy भी कर रहे हैं। स्मार्ट न?
3. भारत ने क्या किया इसका जवाब?
हम भी बैठे नहीं हैं भाई! हमारी सरकार ने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं:
– “Neighborhood First” policy के तहत पड़ोसी देशों से relations improve किए हैं (हालांकि कभी-कभी मुश्किल हो जाता है)
– Andaman & Nicobar Islands पर military power बढ़ाई है – यहां तो हमारा बहुत बड़ा advantage है
– QUAD के साथ मिलकर चीन को balance करने की कोशिश – USA, Japan, Australia साथ में तो ताकत बढ़ जाती है न?
– Navy को modernize करने पर जोर – नए submarines और ships पर काम चल रहा है
4. क्या यह सब हमारे trade को प्रभावित करेगा?
बिल्कुल कर सकता है! सोचिए, हमारा 80% तक oil imports इसी route से आता है। अगर चीन ने यहां control कर लिया तो? वो कभी भी हमारे oil supply को रोक सकता है। जैसे किसी की नल की पाइप पकड़ लो और कहो – “अब मेरी शर्तों पर मिलेगा पानी!” डरावना है न? इसीलिए यह मामला सिर्फ सैन्य नहीं, हमारी अर्थव्यवस्था का भी सवाल है।
तो ये है पूरा माजरा। क्या सोचते हैं आप? क्या भारत चीन की इस चाल को counter कर पाएगा? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com