“CJI बीआर गवई का बड़ा ऐलान: रिटायरमेंट के बाद नहीं लूंगा कोई सरकारी पद!”

CJI बीआर गवई ने कहा – “रिटायरमेंट के बाद सरकारी पद? नहीं, धन्यवाद!”

अरे भाई, ये खबर तो कुछ ज़्यादा ही दिलचस्प हो गई! भारत के मौजूदा CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आज एक ऐसा बयान दिया है जो शायद हमारी न्यायपालिका के इतिहास में Golden Letters से लिखा जाएगा। सीधे शब्दों में कहें तो उन्होंने ये क्लियर कर दिया कि रिटायरमेंट के बाद वो किसी भी सरकारी या संवैधानिक पद पर नहीं बैठेंगे। और ये बात उस वक्त कही गई है जब पूर्व CJI का सरकारी पद संभालना आम बात हो चुकी है। सच कहूं तो, ये एक तरह का Bold Move ही तो है!

पीछे का सच – क्यों है ये मुद्दा इतना गर्म?

देखिए, हमारे यहाँ पूर्व CJI का राज्यसभा या NHRC जैसे पदों पर जाना कोई नई बात नहीं। पर सवाल ये उठता है कि क्या ये न्यायपालिका की Neutrality को प्रभावित करता है? मतलब सोचिए न, अगर किसी जज को पता हो कि रिटायरमेंट के बाद उसे कोई बढ़िया सा पद मिल सकता है, तो क्या ये उसके फैसलों पर असर नहीं डालेगा? ईमानदारी से कहूं तो ये Grey Area ही तो है। एक तरफ तो Experience का फायदा, दूसरी तरफ निष्पक्षता का सवाल।

क्या कहा CJI ने? – सीधे शब्दों में

आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में CJI गवई का स्टेटमेंट कुछ यूँ था – “मेरा फैसला फाइनल है – रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं।” और यहाँ सबसे ज़्यादा तारीफ़ की बात ये है कि उन्होंने दूसरे जजों को भी इसी रास्ते पर चलने के लिए Encourage किया। सच बात तो ये है कि ये एक तरह से न्यायपालिका के लिए Self-Cleaning Mechanism जैसा है। क्या आपको नहीं लगता कि ये एक बेहतरीन Initiative है?

किसने क्या कहा? – Political और Legal Reactions

अब ज़ाहिर है, ऐसे बड़े फैसले पर Reactions आने ही थे। राहुल गांधी ने तो Twitter पर ही इसे “न्यायपालिका के लिए Game-Changer” बता दिया। वहीं Supreme Court Bar Association भी इसकी तारीफ़ करने से खुद को रोक नहीं पाई। पर हैरानी की बात ये है कि सरकार की तरफ़ से अभी तक कोई Official Statement नहीं आया। शायद वो इस नए ट्रेंड पर अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले थोड़ा Wait-and-Watch कर रहे हैं।

आगे का Game Plan – क्या बदलाव आएगा?

असल में ये फैसला सिर्फ़ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था के लिए एक Benchmark सेट करता है। अब सवाल ये है कि क्या दूसरे जज भी इसी रास्ते पर चलेंगे? और क्या ये एक नई परंपरा की शुरुआत होगी? Personal तौर पर मुझे लगता है कि अगर ऐसा होता है तो ये हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत होगी। पर ये तो Time ही बताएगा।

Final Words में कहूँ तो – CJI गवई का ये कदम न सिर्फ़ पारदर्शिता का Message देता है, बल्कि आम जनता का न्यायपालिका पर भरोसा भी बढ़ाएगा। और यकीन मानिए, Strong Judiciary के बिना Strong Democracy की कल्पना भी नहीं की जा सकती। तो क्या ये नए भारत की न्यायिक क्रांति की शुरुआत है? आपको क्या लगता है?

अब CJI बीआर गवई का यह ऐलान… सच कहूं तो मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक फैसला नहीं, बल्कि न्यायपालिका की आज़ादी और निष्पक्षता के प्रति एक साफ़ संदेश है। और वो भी ऐसा संदेश जो सिर्फ बातों तक सीमित नहीं, बल्कि एक्शन में दिख रहा है।

सोचिए, सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पदों से दूरी रखने का फैसला? ये कोई छोटी बात थोड़े ही है! असल में, ये एक तरह से भविष्य के लिए एक मिसाल कायम करता है – वो भी ऐसी मिसाल जिसकी ज़रूरत आज के दौर में बहुत ज़्यादा है।

और हां, एक बात और… क्या आपने गौर किया कि ये फैसला कितना सिद्धांतपूर्ण है? मेरा मतलब, ऐसे लोग कम ही मिलते हैं जो सुविधाओं को ठोकर मारकर सिद्धांतों पर चलते हैं। सच में, सलाम है ऐसी सोच को!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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