“दिल्ली के ‘साहिब’: दूध-जलेबी की दुकान से सीएम तक, आज भी डीडीए फ्लैट में सादगी से रहते हैं!”

दिल्ली के ‘साहिब’: जब दूध-जलेबी बेचने वाला बना सीएम, पर आज भी डीडीए फ्लैट में रहता है!

असल में, दिल्ली की राजनीति में सादगी की बात करें तो एक ही नाम ज़हन में आता है – साहिब सिंह वर्मा। ये वही शख्स हैं जिन्होंने दूध-जलेबी की दुकान से निकलकर सीएम का पद संभाला, लेकिन आज भी डीडीए के उसी साधारण फ्लैट में रहते हैं। सच कहूँ तो, आज के दौर में ये किस्सा किसी परीकथा जैसा लगता है, है न? जब हर कोई सत्ता मिलते ही लाइफस्टाइल बदल लेता है, ये शख्स अपनी सादगी पर अडिग रहा।

गाँव के किसान से दिल्ली के सीएम तक: एक कहानी जो फिल्मों से भी बेहतर है

देखिए, साहिब सिंह की कहानी ऐसी है जिस पर बॉलीवुड वालों को फिल्म बनानी चाहिए! एक छोटे से गाँव में जन्म, फिर दिल्ली आकर दूध-जलेबी बेचना… और फिर? 1996 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बन जाना। लेकिन यहाँ सबसे दिलचस्प बात ये है कि पद मिलने के बाद भी इन्होंने अपनी जीवनशैली नहीं बदली। याद है न वो दिन जब दिल्ली में बिजली-पानी की भयंकर किल्लत थी? तब भी ये साधारण फ्लैट में ही रहे। बाद में अटल जी की सरकार में मंत्री बने, पर डीडीए फ्लैट नहीं छोड़ा। क्या आज कोई ऐसा नेता दिखता है आपको?

सोशल मीडिया पर वायरल हुई सादगी: ‘ये हैं असली जननेता!’

पिछले दिनों Twitter और Facebook पर इनकी एक पुरानी तस्वीर वायरल हुई थी। देखा जाए तो, लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई नेता इतना साधारण जीवन जी सकता है! भाजपा के कई नेताओं से लेकर आम लोगों तक ने श्रद्धांजलि दी। एक पूर्व सहयोगी ने तो मजेदार बात बताई – “साहिब जी सीएम होते हुए भी अक्सर बस में सफर करते थे। किसी को पता भी नहीं चलता था कि ये दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं!” सच मानिए, आज के नेताओं के लिए ये सब सुनना किसी चमत्कार से कम नहीं।

युवाओं के लिए प्रेरणा: ‘सत्ता में आकर भी बदलना ज़रूरी नहीं’

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने मुझसे कहा था – “सर, आज तो नेता बनते ही पहला काम बंगला और लैंड क्रूजर खरीदना होता है!” पर साहिब सिंह वर्मा ने साबित किया कि ऐसा होना ज़रूरी नहीं। अब भाजपा उनके नाम पर कुछ करने की योजना बना रही है। सुनने में आया है कि शायद कोई स्कीम लॉन्च की जाएगी। और हाँ, एक डॉक्यूमेंट्री भी बन रही है – जो शायद आज के नेताओं को आईना दिखाएगी!

सबक: जब सादगी ही सबसे बड़ी विरासत बन जाए

ईमानदारी से कहूँ तो, आज के दौर में साहिब सिंह वर्मा जैसे नेता दूब की तरह दुर्लभ हो गए हैं। जहाँ एक तरफ राजनीति भ्रष्टाचार के कीचड़ में सन रही है, वहीं ये शख्स अपनी सादगी से इतिहास में अमर हो गया। शायद यही सच्ची विरासत होती है – न कि बंगले और बैंक बैलेंस, बल्कि जनता के दिलों में बस जाना। क्या आपको नहीं लगता कि आज हर नेता को इनसे सबक लेना चाहिए?

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दिल्ली के ‘साहिब’ – वो सवाल जो हर किसी के मन में आते हैं

1. दिल्ली के ‘साहिब’ कौन हैं? और ये नाम क्यों?

असल में बात करें तो ये नाम दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए इस्तेमाल होता है। सोचो न, एक वक़्त था जब ये दूध-जलेबी बेचते थे, और आज? पूरी दिल्ली की कमान संभाल रहे हैं। मज़ेदार बात ये है कि इनकी सादगी आज भी कायम है – जैसे कि पहले दिन की तरह।

2. सीएम होकर भी DDA फ्लैट में रहना? क्यों भला?

यही तो खास बात है! देखिए न, आमतौर पर नेता लोग बंगलों की ओर भागते हैं, लेकिन केजरीवाल जी? उनके लिए तो ‘घर’ का मतलब है आम आदमी जैसा जीवन। VIP कल्चर से दूर, बिना झंझट के। सच कहूँ तो ये उनकी सोच की स्पष्टता दिखाता है – बातें नहीं, कर्म बोलते हैं।

3. दूध-जलेबी से सत्ता तक – कैसा रहा ये सफर?

अरे भई, कहानी तो फिल्मी लगती है! IIT से पढ़ाई, IRS की नौकरी… और फिर? सब छोड़कर भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में कूद पड़े। Anna Hazare के साथ India Against Corruption movement, फिर AAP बनाई… और बस! दिल्ली ने इन्हें दिल से अपना लिया। सच मानिए, struggle की ये मिसाल किसी प्रेरणा से कम नहीं।

4. सादगी की बात करें तो सबसे यादगार क्या?

हं… एक नहीं कई बातें! मसलन, बिना बॉडीगार्ड के घूमना, साधारण कुर्ता-पायजामा पहनना, खुद का बैग उठाना… ये सब तो ऐसे है जैसे कोई पड़ोसी चाचा हों। VIP कल्चर? उनके लिए तो ये शब्द ही बेमानी है। और हाँ, यही असली ‘साहिबाना’ अंदाज़ है!

एक बात और – इनकी हरकतें कभी-कभी लोगों को हैरान कर देती हैं। पर यही तो असली बात है न?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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