डॉलर का राज खत्म होने वाला है? ट्रंप की चिंता और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
अभी कुछ दिन पहले ही की बात है – डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा, “BRICS खत्म हो जाएगा!” और साथ ही BRICS देशों पर 10-20% तक के नए टैरिफ लगाने की धमकी भी दे डाली। अब सवाल यह है कि यह सब क्यों हो रहा है? दरअसल, पूरी दुनिया में डॉलर के विकल्पों पर चर्चा तेज हो चुकी है, और BRICS देश अपनी-अपनी मुद्राओं में trade बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं। ट्रंप को यह बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा!
पूरा मामला समझिए: BRICS vs अमेरिका की जंग
BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) तो पिछले कई सालों से दुनिया की अर्थव्यवस्था में धमाल मचा रहा है। ये लोग डॉलर से छुटकारा पाना चाहते हैं और अपनी मुद्राओं में ही लेन-देन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन ट्रंप साहब को यह बात बिल्कुल रास नहीं आई। उन्होंने इसे अमेरिका के लिए खतरा बताया है। पर यह कोई नई बात तो है नहीं – 2018 में भी तो इन्होंने चीन के साथ trade war छेड़ दी थी, जिससे पूरी दुनिया के बाजारों में भूचाल आ गया था!
ट्रंप के टैरिफ का तुरंत असर: क्या हुआ अब तक?
ट्रंप के इस बयान का असर तो तुरंत ही दिखने लगा। चीन और रूस ने तो जैसे गुस्से में आकर अमेरिकी सामानों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे डाली। वहीं भारत और ब्राज़ील जैसे देशों ने शांति की बात की, लेकिन साथ ही डॉलर के विकल्पों पर रिसर्च जारी रखने का इशारा भी किया। और तो और, currency markets में भी हड़कंप मच गया – डॉलर के मुकाबले BRICS देशों की करेंसीज़ में उछाल देखने को मिला। बाजार वालों का तो दिल ही धड़क रहा होगा!
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं? देशों की प्रतिक्रियाएं
अमेरिकी एक्सपर्ट्स की मानें तो ट्रंप की यह चाल शॉर्ट टर्म में अमेरिका को फायदा पहुंचा सकती है, लेकिन लॉन्ग टर्म में पूरी दुनिया के trade relations बिगाड़ सकती है। चीन तो बिल्कुल नाराज है – उनके विदेश मंत्रालय ने इसे “एकतरफा धमकी” बताया है। भारतीय अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हमें BRICS और पश्चिमी देशों के बीच बैलेंस बनाकर चलना होगा। समझदारी की बात है, है न?
आगे क्या हो सकता है? कुछ संभावित परिदृश्य
अगर ट्रंप सच में ये टैरिफ लगा देते हैं, तो पूरी दुनिया की supply chain चैन से नहीं बैठेगी! खासकर ऊर्जा, technology और कृषि क्षेत्रों में तो जैसे trade war छिड़ जाएगी। और अगर BRICS देश डॉलर के विकल्प ढूंढने में कामयाब हो गए, तो अमेरिकी करेंसी का दबदबा तो कमजोर पड़ ही जाएगा। कुछ विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि यह पश्चिम और Global South के बीच एक नई जंग की शुरुआत हो सकती है। डरावना है, लेकिन सच्चाई यही लगती है।
अगले कुछ हफ्ते बड़े दिलचस्प होने वाले हैं। पूरी दुनिया की नजरें अमेरिका और BRICS के बीच इस बढ़ते तनाव पर टिकी हैं। एक बात तो तय है – दुनिया की अर्थव्यवस्था एक बड़े मोड़ पर खड़ी है। डॉलर का वर्चस्व, अंतरराष्ट्रीय trade – सब कुछ बदलने वाला है। अब देखना यह है कि यह बदलाव किसके पक्ष में होता है!
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अरे भाई, आजकल तो हर कोई डॉलर के बारे में बात कर रहा है। क्या सच में अमेरिकी डॉलर का राज खत्म हो रहा है? और ट्रंप साहब इतने परेशान क्यों दिख रहे हैं? चलो, बिना टाइम वेस्ट किए सीधे मुद्दे पर आते हैं…
1. सच क्या है? क्या डॉलर का दबदबा कम हो रहा है?
देखो, सीधा जवाब दूं तो – हां, कुछ हद तक। पर ये कोई रातों-रात होने वाली बात नहीं। असल में, BRICS देशों की नई करेंसी की चर्चा, क्रिप्टो का क्रेज और कुछ देशों का ‘डॉलर-फ्री’ ट्रेड करने का ट्रेंड… ये सब मिलकर डॉलर के एकाधिकार को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन याद रखो, डॉलर अभी भी बॉस है। सच कहूं तो?
2. ट्रंप भाई इतने बिदक क्यों रहे हैं?
अरे, बात तो सीधी है! ट्रंप ने तो साफ कह दिया – “अमेरिका का असली दुश्मन डॉलर है।” थोड़ा अजीब लगता है न? पर समझो… अगर डॉलर reserve करेंसी नहीं रहा, तो अमेरिका की वही ‘सुपरपावर’ वाली इमेज धरी की धरी रह जाएगी। और हां, इकोनॉमिक पावर भी कमजोर पड़ेगी। ट्रंप को डर है कि कहीं अमेरिका का ‘बिग ब्रदर’ वाला रोल न खत्म हो जाए!
3. ये सब होगा तो दुनिया की इकोनॉमी पर क्या असर पड़ेगा?
बिल्कुल भूचाल आ जाएगा! एक तरफ तो ऑयल प्राइस लूसा-पूसा होगा, दूसरी तरफ एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के दाम उछल-कूद करेंगे। और देखना… चीन का युआन और यूरो ज़ोर पकड़ लेंगे। मार्केट वाले तो कह रहे हैं – “ब्रैस योरसेल्फ” क्योंकि रोलरकोस्टर राइड शुरू होने वाली है!
4. भारत के लिए ये सब अच्छा है या बुरा?
असल में, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं न? अगर रुपया मजबूत हुआ तो इम्पोर्ट बिल कम होगा – पेट्रोल-डीजल सस्ता हो सकता है (वाह!). लेकिन हमारे एक्सपोर्टर्स का दर्द भी समझो… उनकी कमाई कम होगी। लॉन्ग टर्म में? शानदार मौका है ग्लोबल स्टेज पर जगह बनाने का। बस, सही समय पर सही चाल चलनी होगी। क्या पता, अगला दशक भारत का हो!
तो क्या सोचते हो? डॉलर का सूरज अस्त हो रहा है या ये सब सिर्फ एक हल्ला है? कमेंट में बताओ!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com