एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट की बड़ी खामी: ब्रिटेन की मुश्किलें बढ़ीं
अरे भाई, ब्रिटेन की वायुसेना के लिए नई मुसीबत आ गई है। वो भी किसी और से नहीं, अपने ही सबसे एडवांस्ड माने जाने वाले एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स से! असल में, इन विमानों में कुछ ऐसी गंभीर तकनीकी खामियां पकड़ में आई हैं जो सीधे उनकी उड़ान क्षमता और युद्ध कौशल को प्रभावित कर रही हैं। और तो और, हाल ही में केरल में एफ-35 से जुड़ी एक घटना ने तो पूरे मामले को और भी ज्यादा गंभीर बना दिया है। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक अकेली घटना है या फिर यह समस्या वैश्विक स्तर पर फैली हुई है?
एफ-35 जेट्स: महंगे सपने, बड़ी मुश्किलें
देखिए, एफ-35 को तो आधुनिक युद्धक विमानों का बादशाह माना जाता है। अमेरिकी कंपनी Lockheed Martin की यह महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसमें ब्रिटेन ने अरबों डॉलर झोंक दिए हैं। लेकिन यहां दिक्कत यह है कि जितना शानदार यह जेट दिखता है, उतना ही ज्यादा यह समस्याओं से घिरा हुआ है। एक तरफ तो इसकी तकनीक की दुनिया भर में तारीफ होती है, वहीं दूसरी ओर इसके सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से जुड़ी गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही हैं। नई रिपोर्ट्स तो ऐसी हैं कि ब्रिटिश रक्षा विशेषज्ञों की नींद ही उड़ गई है। सच कहूं तो, इतने पैसे खर्च करने के बाद यह हाल?
खामियां जो दिल दहला देती हैं
अब जरा इन खामियों पर गौर करिए:
– पहली और सबसे बड़ी समस्या: कई बार ये उन्नत विमान उड़ान भरने में ही फेल हो जाते हैं। जी हां, आपने सही सुना! मिशन के बीच में ही ये धरती से नहीं उठ पाते।
– दूसरी मुसीबत: हथियार प्रणालियों का ठीक से काम न करना। यानी जब सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब ये वेपन सिस्टम फेल हो जाते हैं।
– तीसरा और सबसे डरावना पहलू: केरल वाली घटना शायद अकेली नहीं है। विशेषज्ञों को लगता है कि यह समस्या वैश्विक स्तर पर फैली हो सकती है। बस सोचिए, इतने महंगे जेट्स और इतनी बड़ी खामियां!
दुनिया की क्या प्रतिक्रिया है?
इस मामले ने तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने तो बयान जारी कर दिया है कि वे “मामले को गंभीरता से ले रहे हैं”। पर सच पूछो तो, यह बयानबाजी कब तक चलेगी? रक्षा विशेषज्ञ तो सीधे कह रहे हैं कि “एफ-35 की लगातार आ रही समस्याएं इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही हैं”। और हमारी भारतीय वायुसेना? वो भी अलर्ट मोड में है। उनका कहना है कि वे “जांच कर रहे हैं”। समझदारी की बात है, है न?
आगे की राह: क्या होगा अब?
अब ब्रिटेन और अमेरिका मिलकर इन खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पर्याप्त होगा? दूसरे देश जिन्होंने इन जेट्स को खरीदा है, वे भी अब अपनी-अपनी समीक्षा शुरू कर सकते हैं। कुछ विश्लेषक तो यहां तक कह रहे हैं कि इस घटना का असर पूरी स्टील्थ टेक्नोलॉजी के भविष्य पर पड़ सकता है। सोचिए न, इतने बड़े बजट के बाद भी ऐसी गलतियां?
अंत में बस इतना कहूंगा – एफ-35 की ये खामियां सिर्फ ब्रिटेन की ही नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए सिरदर्द बन गई हैं जिन्होंने इसमें निवेश किया है। असली सवाल तो यह है कि क्या दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएगा? वक्त ही बताएगा। पर अभी के लिए तो यह कहानी एक बड़े सबक की तरह लगती है – टेक्नोलॉजी में ज्यादा जल्दबाजी अच्छी नहीं होती। है न?
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com