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“हर्षवर्धन जैन: घर से मिला नोटों का जखीरा और 34 देशों की मुहर! गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का रहस्य”

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हर्षवर्धन जैन: घर से मिले नोटों का ढेर और 34 देशों की मुहरें! गाजियाबाद का ये फर्जी दूतावास क्या सच में इतना असली लगता था?

सुनकर हैरानी होगी, लेकिन गाजियाबाद के कवि नगर में यूपी एसटीएफ ने ऐसा केस खोला है जो सीधे-सीधे इंटरनेशनल स्तर की ठगी से जुड़ा है। मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन को पकड़ा गया है, और उसके घर से जो मिला वो तो… एकदम फिल्मी सीन जैसा था! नकली नोटों का पूरा जखीरा और साथ में 34 देशों की ऑफिशियल लगती मुहरें। ये कोई छोटी-मोटी ठगी नहीं बल्कि पूरा एक संगठित गैंग है जो लोगों को फर्जी वीजा और दस्तावेज बेचकर बेवकूफ बना रहा था। सोचिए, कितनी बड़ी स्कीम चल रही थी!

पूरा माजरा: कैसे चलती थी ये इंटरनेशनल ठगी?

असल में हर्षवर्धन जैन तो बरसों से इस धंधे में था। गाजियाबाद में उसने एक ऐसा फर्जी दूतावास बना रखा था जो देखने में बिल्कुल असली लगता था – शायद टाटा कंसल्टेंसी से भी ज्यादा प्रोफेशनल! विदेश जाने के ख्वाहिशमंद लोगों से पैसे लेकर फर्जी वीजा और दस्तावेज थमा दिए जाते थे। सबसे हैरानी की बात? इस दूतावास का लुक इतना ऑथेंटिक था कि आम आदमी तो क्या, शायद हम जैसे लोग भी फंस जाते। यूपी एसटीएफ को शाबास कि उन्होंने महीनों की मॉनिटरिंग के बाद आखिरकार इस गैंग का पर्दाफाश कर दिया।

घर से मिला क्या? सुनकर उड़ जाएंगे होश!

अरे भाई, जब पुलिस ने हर्षवर्धन के घर पर छापा मारा तो जो कुछ मिला वो सच में बॉलीवुड फिल्मों को भी पीछे छोड़ देने वाला था। नकली करेंसी? हाँ। फर्जी पासपोर्ट और वीजा? बिल्कुल। लेकिन सबसे चौंकाने वाली चीज थी 34 देशों की ऑफिशियल मुहरें! मतलब साफ है – ये गैंग पूरी दुनिया में अपना जाल फैला चुका था। पुलिस का कहना है कि और भी लोग इसके साथ जुड़े होंगे, जिनकी तलाश जारी है। तरीका सीधा था – लोगों को विदेश जाने के सपने दिखाओ, मोटी रकम वसूलो, और फर्जी कागजात देकर विदेश भेजने का नाटक करो। सबसे दुखद बात? कई पीड़ितों को तो एयरपोर्ट पर रोके जाने तक पता ही नहीं चलता था कि उनके दस्तावेज नकली हैं।

लोग क्या कह रहे? एक परिजन की आवाज सुनिए

इस मामले ने तो पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यूपी एसटीएफ के एक ऑफिसर ने बताया, “ये कोई छोटा-मोटा केस नहीं, बल्कि इंटरनेशनल लेवल का फ्रॉड नेटवर्क है। हम पूरी तरह जांच कर रहे हैं।” लेकिन असली दर्द तो उन परिवारों का है जो इस ठगी का शिकार हुए। एक पिता की आवाज सुनिए: “हमसे कहा गया था कि हमारे बेटे को कनाडा में अच्छी नौकरी मिलेगी… लाखों रुपये खर्च करने के बाद पता चला सब झूठ था। अब हमारा लड़का विदेश में फंसा हुआ है।” स्थानीय नेताओं ने भी मांग की है कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

अब आगे क्या? क्या मिलेगा पीड़ितों को इंसाफ?

तो अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? पुलिस तो इस नेटवर्क के दूसरे सदस्यों को भी ढूंढ रही है। हर्षवर्धन के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है और जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट पेश की जाएगी। पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार ऐसे फर्जी दूतावासों को रोकने के लिए कोई नया सिस्टम बनाएगी? क्योंकि ईमानदारी से कहूं तो… ये कोई पहला मामला नहीं है और आखिरी भी नहीं होगा।

इस पूरे केस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ठग अब कितने स्मार्ट हो गए हैं। अब देखना है कि कानून इनके खिलाफ कितनी तेजी से कार्रवाई करता है। और हाँ, सबसे जरूरी – क्या पीड़ित परिवारों को सच में इंसाफ मिल पाएगा? वक्त ही बताएगा…

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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