1.05 लाख करोड़ की डिफेंस डील – क्या यह चीन-पाकिस्तान के लिए बुरे सपने जैसा है?
अरे भाई, भारत की डिफेंस स्टोरी में एक नया और दिलचस्प चैप्टर जुड़ गया है! DAC ने हाल ही में जो 1.05 लाख करोड़ के डिफेंस डील को हरी झंडी दिखाई है, उसने सचमुच सबका ध्यान खींचा है। और सच कहूं तो, ये सिर्फ खरीदारी नहीं बल्कि एक स्टेटमेंट है। बख्तरबंद गाड़ियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम तक – ये सब मिलकर हमारी सीमाओं को और मजबूत करने वाले हैं। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में गेम-चेंजर साबित होगा?
क्यों यह डील सिर्फ खर्च नहीं, बल्कि जरूरत है?
देखिए न, गलवान घाटी की घटना ने हमें एक कड़वा सबक सिखाया था। और पाकिस्तान तो हमेशा से ही अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। ऐसे में ये डिफेंस डील कोई लक्ज़री आइटम नहीं, बल्कि हमारे जवानों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम है। मजे की बात यह कि इस बार ‘मेड इन इंडिया’ पर भी खासा जोर दिया गया है। DRDO से लेकर L&T और टाटा तक – ये सभी इसका हिस्सा हैं। क्या यह हमारे डिफेंस सेक्टर के लिए गोल्डन एरा की शुरुआत है?
डिफेंस डील के ये 4 पंच लाइनें जो आपको जाननी चाहिए
1. बख्तरबंद वाहन: सोचिए एक ऐसी गाड़ी जो दुश्मन के इलाके में तूफान की तरह घुस सके। जीपीएस से लैस, मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाले ये वाहन हमारे जवानों को और ताकत देंगे। एकदम जबरदस्त!
2. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: ये तो जैसे साइंस फिक्शन फिल्मों जैसा है। दुश्मन के रडार और कम्युनिकेशन को ध्वस्त करने की क्षमता। सच में कमाल की टेक्नोलॉजी।
3. मिसाइल सिस्टम: लॉन्ग रेंज मिसाइलें जो सीमा पार करके भी दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सकें। ये हमें स्ट्रेटेजिक एडवांटेज देंगी।
4. स्वदेशीकरण: यही तो इस डील की सबसे बड़ी खूबी है। विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो इस पर गर्व महसूस कर रहे हैं – और होना भी चाहिए! उनका कहना है कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम है। वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी और ज्यादा स्वदेशीकरण की जरूरत है। सच तो यह है कि हमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर भी फोकस करना चाहिए।
आगे की राह – क्या हैं संभावनाएं?
असल में देखा जाए तो यह सिर्फ एक शुरुआत है। अगर हम अपने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को और मजबूत कर सकें, तो एक दिन हम न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर सकेंगे बल्कि एक्सपोर्ट भी कर सकेंगे। सोचिए, भारत से बनी हथियार दुनिया भर में जाएंगे – क्या बात होगी!
फिलहाल तो यह डील हमारे जवानों को मजबूती देगी और दुश्मनों को एक स्पष्ट संदेश भी। पर याद रखिए, टेक्नोलॉजी और मैनपावर का सही मेल ही असली ताकत है। जय हिन्द!
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अरे भाई, ये 1.05 लाख करोड़ की रक्षा डील सिर्फ एक खबर नहीं है – ये तो गेम-चेंजर है! देखा जाए तो ये हमारी सुरक्षा को तो मजबूत करेगी ही, साथ ही चीन और पाकिस्तान को एक साफ़ संदेश भी दे रही है – अब भारत किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है। और सच कहूं तो, ये सिर्फ डींग हाँकने वाली बात नहीं है।
अब जरा इसका असली मजा समझिए – बख्तरबंद वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वॉर तकनीक, और वो भी घातक मिसाइलों के साथ? ये तो ऐसा है जैसे आपके पास PUBG का सारा लेटेस्ट आर्मरी सेट आ गया हो! हमारी रक्षा क्षमता अब नए लेवल पर पहुँच गई है। लेकिन यहाँ सवाल ये उठता है कि क्या ये सिर्फ हथियारों की बात है?
असल में तो ये सौदा हमारे लिए… [वाक्य अधूरा छोड़ दिया गया] बिल्कुल वैसे ही जैसे आपके पास सबसे तगड़ा gaming PC हो, लेकिन उसमें सही ग्राफिक्स कार्ड न हो। पर यहाँ तो पूरा पैकेज मिल रहा है – टेक्नोलॉजी से लेकर फायरपावर तक। एकदम ज़बरदस्त। सच में।
एक तरफ तो ये हमारी सेना को और मजबूत बनाएगा, वहीं दूसरी तरफ… [विचार प्रकट करते हुए] ये दिखाता है कि हम अब सिर्फ रिएक्ट नहीं करेंगे, बल्कि खुद भी गेम सेट कर सकते हैं। पर क्या आपको नहीं लगता कि अब हमें इन हथियारों के साथ-साथ अपनी स्ट्रेटेजी पर भी काम करना चाहिए?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com