भारत का 2000 करोड़ डॉलर ड्रोन प्लान: पाकिस्तान और चीन को चुनौती
अरे भाई, क्या बात है! भारत सरकार ने अभी-अभी एक ऐसा फैसला लिया है जो ड्रोन इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल सकता है। 2000 करोड़ रुपये का पैकेज! यानी लगभग 23.4 करोड़ डॉलर। असल में, यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है – यह एक स्टेटमेंट है। हम चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों को दिखाना चाहते हैं कि अब हम भी इस गेम में हैं। और सच कहूं तो, यह सिर्फ सेल्फी ड्रोन्स की बात नहीं है – यह हमारी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
पृष्ठभूमि: क्यों जरूरी हो गया यह ड्रोन प्लान?
देखिए, मामला यह है कि पिछले कुछ सालों में ड्रोन टेक्नोलॉजी ने दुनिया को हिला दिया है। लेकिन हम? हम अभी तक चीन से ड्रोन खरीदने में व्यस्त थे। और अब तो पाकिस्तान ने भी चीन से ड्रोन टेक्नोलॉजी हासिल कर ली है। स्थिति गंभीर है, है ना? एक तरफ तो हमारी सीमाओं पर खतरा बढ़ रहा है, दूसरी तरफ हम टेक्नोलॉजी के मामले में पीछे रह जाएंगे। ऐसे में यह कदम उतना ही जरूरी था जितना कि सुबह की चाय!
योजना के प्रमुख बिंदु: क्या-क्या शामिल है?
तो अब सवाल यह है कि यह पैसा कहां जाएगा? सरकार का प्लान काफी क्लीयर है – ड्रोन पार्ट्स का निर्माण भारत में ही होगा। मतलब ‘मेक इन इंडिया’ को असली मतलब मिलेगा। और सबसे अच्छी बात? यह सिर्फ आर्मी के लिए नहीं है। किसानों से लेकर डॉक्टर्स तक, हर किसी को इसका फायदा मिलेगा। कल्पना कीजिए – खेतों में ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव, आपदा प्रबंधन में मदद, यहां तक कि दवा पहुंचाने के लिए भी। एकदम ज़बरदस्त। सच में।
विभिन्न हलकों की प्रतिक्रिया
अब सबकी राय अलग-अलग है ना? सरकार तो खुश है – “आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम” वगैरह वगैरह। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह हमें ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धी बनाएगा। लेकिन विपक्ष की चिंता भी वाजिब है – कहीं यह सिर्फ घोषणा तक ही सीमित न रह जाए। हम सभी जानते हैं ना कि कितनी योजनाएं केवल कागजों तक ही रह जाती हैं।
भविष्य की संभावनाएं: क्या बदलाव आएगा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो? फिर तो भारत अगले 5 साल में ड्रोन एक्सपोर्ट करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो सकता है। सोचिए – हमारे बने ड्रोन दुनिया भर में उड़ रहे होंगे! सीमा सुरक्षा हो या आतंकवाद से लड़ाई, हमारे पास बेहतर साधन होंगे। और सबसे बड़ी बात – चीन के मोनोपॉली को चुनौती मिलेगी। लेकिन यह सब तभी होगा जब यह सिर्फ कागजी घोषणा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत बनेगी।
अंत में बस इतना कहूंगा – यह प्लान सच में अच्छा है। लेकिन जैसे हमारे दादाजी कहते थे, “अच्छी नीयत से ज्यादा जरूरी है उसे अमल में लाना।” अब देखना यह है कि क्या हम सच में इस अवसर को भुनाने में सफल हो पाते हैं। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो… वाह! सच में वाह!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com